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FPI ने मई महीने में की जमकर बिकवाली, निकाले 40,000 करोड़ रुपये, जानिए आगे कैसा रहेगा निवेशकों का रुझान

विदेशी निवेशकों का लगातार 8वें महीने पैसा निकालना जारी रहा। साल 2022 में FPI अब तक 1.69 लाख करोड़ रुपये के शेयर बेच चुके हैं

अपडेटेड Jun 05, 2022 पर 3:34 PM
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डिपॉजिटरी के डेटा के मुताबिक, 2022 में FPI अब तक 1.69 लाख करोड़ रुपये के शेयर बेच चुके हैं।

विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (Foreign Portfolio Investors -FPIs) का इंडियन इक्विटी मार्केट से पैसे निकालने का सिलसिला बना हुई है। मई महीने में लगातार आठवें महीने भी FPI ने अपने शेयर बेच दिए। आशंका जताई जा रही है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व बैंक (US Federal Reserve) दरों में बढ़ोतरी कर सकता है। लिहाजा विदेशी निवेशक बिकवाली के मूड में बने हुए हैं। FPI ने मई महीने में इक्विटी मार्केट से करीब 40,000 करोड़ रुपये निकाले हैं।

डिपॉजिटरी डेटा (data with depositories) के मुताबिक, FPI ने साल 2022 में अब तक 1.69 लाख करोड़ रुपये के शेयर बेच चुके हैं। डेटा के मुताबिक, FPI ने मई में शेयर बाजारों से कुल 39,993 करोड़ रुपये रुपये निकाले हैं। कहा जा रहा है कि FPI के पैसे निकालने से इंडियन मार्केट में कमजोरी आई है। बता दें कि अक्टूबर, 2021 से मई, 2022 तक 08 महीने में FPI इक्विटी मार्केट से 2.07 लाख करोड़ रुपये निकाल चुके हैं।

आगे कैसा रहेगा निवेशकों का रुझान


कोटक सिक्योरिटीज (Kotak Securities) के इक्विटी रिसर्च हेड श्रीकांत चौहान (Shrikant Chouhan) का कहना है कि जियो-पॉलिटिकल टेंशन, हाई इन्फ्लेशन, सेंट्रल बैंकों के मौद्रिक रुख में सख्ती (tightening of monetary policy) के चलते आगे चलकर भी FPI का यह फ्लो उतार-चढ़ाव वाला बना रहेगा। वहीं मॉर्निंगस्टार इंडिया (Morningstar India) के एसोसिएट डायरेक्टर-मैनेजर रिसर्च हिमांशु श्रीवास्तव (Himanshu Srivastava) का कहना है कि आंशका जताई जा रही है कि अमेरिकी सेंट्रल बैंक में ब्याज दरों में बढ़ोतरी कर सकता है। लिहाजा FPI पैसे निकालने में जुटे हुए हैं। बता दें कि फेडरल रिजर्व इस साल बढ़ती महंगाई पर काबू पाने के लिए नीतिगत दरों में दो बार बढ़ोतरी कर चुका है।

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BDO इंडिया के मनोज पुरोहित (Manoj Purohit) का कहना है कि इसके अलावा रूस-यूक्रेन (Russia and Ukraine) युद्ध को लेकर चिंता के बीच FPI में अनिश्चितता की चिंताई छाई हुई है। युद्ध की वजह से ग्लोबल लेवल पर कच्चे तेल के दाम सरपट चाल से भाग रहे हैं। यूएस फेडरल बैंक की नीतिगत दरों में बढ़ोतरी, ग्लोबल लेवल पर केंद्रीय बैंकों का महंगाई पर सख्त रूख और विदेशी मुद्रा डॉलर दर में बढ़ोतरी से विदेशी निवेशक संवेदनशील बाजारों में बिकवाली कर रहे हैं।

बिकवाली में आई सुस्ती

जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज (Geojit Financial Services) के वी के विजयकुमार (VK Vijayakumar) का कहना है कि अब FPI की बिकवाली की रफ्तार में सुस्ती आई है। जून के शुरुआती दिनों में बिकवाली काफी कम रही है। उन्होंने कहा कि अगर डॉलर और अमेरिकी बांड (US bond) स्थिर होते हैं तो FPI की बिकवाली रुकने की संभावना है। इसके उलट अगर अमेरिकी महंगाई (US inflation) ऊंची बनी रहती है। डॉलर और बॉन्ड यील्ड्स में लगातार बढ़ोतरी बनी रहती है, तो FPI फिर से बिक्री शुरू कर सकते हैं।

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