बाजार में हालिया करेक्शन की वजह मैक्रो इकोनॉमिक कारणों में है। इसके लिए कोई फंडामेंटल कारण जिम्मेदार नहीं है। भारत एक सेक्युलर इकोनॉमिक अपसाइकिल में है। हमारा मानना है कि हम कैपेक्स साइकिल के शुरुआती दौर में है। यह बातें तेजी मंदी (Teji Mandi) के फाउंडर वैभव अग्रवाल ने मनीकंट्रोल के साथ हुई एक बातचीत में कहीं।
इस बातचीत में वैभव अग्रवाल ने आगे कहा कि अपने पोर्टफोलियो को मंदी के दबाव से सुरक्षित रखने के लिए इस समय घरेलू फार्मा कंपनियों और कंज्यूमर स्टेपल कंपनियों पर दांव लगाने की सलाह होगी।
ऑटो सेक्टर पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि डिमांड और सप्लाई से जुड़ी चिंताओं के चलते ऑटो सेक्टर पर दबाव था। अब डिमांड में फिर सुधार आता नजर आ रहा है। इसके अलावा सप्लाई से जुड़ी मुश्किलें भी कम होती नजर आ रही हैं। कच्चे माल की कीमतें हाल के दिनों में कम हुई हैं। इसके अलावा चिप शॉर्टेज की समस्या भी काफी हद तक कम हुई है। ऐसे में अब ऑटो सेक्टर में एक बार फिर तेजी आनी चाहिए। अच्छे मानसून और 2 साल बाद आने वाले पहले सामान्य त्योहारी मौसम के कारण भी आगे हमें पैसेंजर व्हीकल और टू-व्हीलर सेगमेंट अच्छा करते नजर आ सकते हैं। कमर्शियल व्हीकल सेगमेंट भी लगभग 5-6 साल के मंदी के दौर से बाहर आता नजर आ रहा है। अब इसमें भी आगे अच्छी तेजी देखने को मिल सकती है।
जून तिमाही में हमें किन सेक्टरों से पॉजिटिव सरप्राइस मिल सकते हैं? इस सवाल का जवाब देते हुए वैभव अग्रवाल ने कहा कि पावर, बैंकिंग और कैपेक्स से जुड़ी कंपनियां पहली तिमाही में पॉजिटिव सरप्राइस दे सकती हैं।
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