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Ruchi Soya FPO: अगले हफ्ते आने वाले पब्लिक ऑफर के पहले Ruchi Soya में लगा 20% का अपर सर्किट, जानिए अहम बातें

रूचि सोया इस FPO से मिले पैसे का इस्तेमाल कर्ज घटाने, वर्किंग कैपिटल जरुरतों को पूरा करने और कंपनी के सामान्य कामकाज में करेगी। FPO के जरिए कंपनी के प्रमोटर सेबी दिशा-निर्देशों का पालन करने के लिए अपनी हिस्सेदारी घटाएंगे.

अपडेटेड Mar 14, 2022 पर 10:46 PM
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वर्तमान में Ruchi Soya में पतंजलि की हिस्सेदारी 98.9 फीसदी है जबकि पब्लिक शेयर होल्डिंग सिर्फ 1.1 फीसदी है।

पतंजलि के मालिकाना हक वाली Ruchi Soya के शेयरों में आज यानी 14 मार्च के कारोबार में जोरदार तेजी देखने को मिली है। बतातें चलें कि कंपनी ने अपने फॉलो ओन पब्लिक ऑफऱ (FPO) के लिए सेबी में अर्जी (RHP) दाखिल कर दिया है। यह एफपीओ 4,300 करोड़ रुपये का है।

आज सुबह 09.53 बजे के कारोबार में यह शेयर 145.30 रुपये यानी 18.08 फीसदी की बढ़त के साथ बीएसई पर 949 रुपये तक जाता नजर आया। आनेवाली कारोबारी दिनों मे इस स्टॉक में तेजी जारी रहनी की उम्मीद है।

गौरतलब है कि रूचि सोया इस एफपीओ के तहत 2 रुपये फ्रेश वैल्यू के 4,300 करोड़ शेयों की बिक्री करेगी। इस इश्यू में 10,000 इक्विटी शेयर कंपनी के कर्मचारियों के लिए रिजर्व होगे। यह इश्यू 24 मार्च को खुलकर 28 मार्च 2022 को बंद होगा।


SBI Capital Markets, Axis Capital, और ICICI Securitie इस इश्यू की बुकरनिंग लीड मैनेजर है।

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रूचि सोया इस FPO से मिले पैसे का इस्तेमाल कर्ज घटाने, वर्किंग कैपिटल जरुरतों को पूरा करने और कंपनी के सामान्य कामकाज में करेगी। FPO के जरिए कंपनी के प्रमोटर सेबी दिशा-निर्देशों का पालन करने के लिए अपनी हिस्सेदारी घटाएंगे। सेबी नियमों के तहत किसी भी लिस्टेड कंपनी में कम से कम 25 फीसदी पब्लिक शेयर होल्डिंग होनी चाहिए। इस FPO के जरिए बाबा रामदेव की पतंजलि सेबी के इन्हीं नियमों का पालन करेगी।

वर्तमान में Ruchi Soya में पतंजलि की हिस्सेदारी 98.9 फीसदी है जबकि पब्लिक शेयर होल्डिंग सिर्फ 1.1 फीसदी है। इस FPO के बाद Ruchi Soya में पतंजलि की होल्डिंग घटकर 81 फीसदी हो जाएगी जबकि पब्लिक शेयर होल्डर बढ़कर 19 फीसदी हो जाएगी।

यह भी बतातें चलें कि कोई FPO आईपीओ की तरह ही होता है। कोई लिस्टेड कंपनी अपने आईपीओ के बाद पब्लिक को अतिरिक्त शेयर जारी करने के लिएFPO का रास्ता अपनाती है। आईपीओ की तरह FPO के जरिए भी लिस्टेड कंपनियां अपनी एडशिनल कैपिटल बढ़ा सकती है और कंपनी में प्रमोटरों की हिस्सेदारी घटा सकती है।

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