फाइनेंशियल मार्केट्स उत्सुकता से हर साल वित्तमंत्री के बजट भाषण का इंतजार करता है। इसकी वजह यह है कि इससे सरकार की प्राथमिकता और फोकस का पता चलता है। इससे शेयर बाजार को यह अंदाजा लगाने में मदद मिलती है कि आगे किन शेयरों में नरमी और किनमें सुस्ती आ सकती है। बॉन्ड मार्केट की नजरें बजट में होने वाले कुछ खास ऐलान पर होती हैं। इनमें फिस्कल डेफिसिट का टारगेट और सरकार बॉन्ड्स के जरिए कर्ज लेने का सरकार का प्लान शामिल हैं। कई बार फिक्स्ड इनकम इंस्ट्रूमेंट्स और शेयरों पर इन ऐलान का अलग-अलग तरह से असर पड़ता है। उदाहरण के लिए बजट में सरकार के खर्च बढ़ाने के ऐलान का स्टॉक मार्केट स्वागत करता है, जबकि इसका बॉन्ड मार्केट के सेंटिमेंट पर खराब असर पड़ सकता है।
केंद्र की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के 10 साल पूरे हो गए हैं। सरकार की फिस्कल पॉलिसी की दिशा साफ हो चुकी है। इस साल 1 फरवरी को पेश अंतरिम बजट में सरकार ने FY25 में फिस्कल डेफिसिट जीडीपी का 5.1 फीसदी रहने का अनुमान लगाया था। कर्ज से पैसे जुटाने का अनुमान 14.13 लाख करोड़ रुपये था। सरकार को RBI से बंपर डिविडेंड मिला है। इसलिए सरकार का फिस्कल डेफिसिट कम रहने का अनुमान है। इससे सरकार को बाजार से कम कर्ज लेना पड़ेगा। अगले 12-18 महीनों में कई बड़े राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं।
बजट में संतुलन बनाने की कोशिश
सरकार ने वेल्फेयर स्कीम पर अपना फोकस बढ़ाया है। इसकी वजह यह है कि लोकसभा चुनावों में ग्रामीण इलाकों में बीजेपी का प्रदर्शन कमजोर रहा। कई सीटों पर पार्टी को हार का सामना करना पड़ा। 23 जुलाई के वित्तमंत्री के बजट भाषण से संकेत मिलता है कि सरकार बीच का रास्ता अपनाना चाहती है। फिस्कल डेफिसिट के लिए 4.9 फीसदी का टारगेट अंतरिम बजट के 5.1 फीसदी के टारगेट से कम है। हालांकि, कर्ज से 14.01 लाख करोड़ रुपये जुटाने के सरकार के प्लान में कोई बदलाव नहीं है।
सरकार के कम कर्ज लेने का बॉन्ड बाजार पर पॉजिटिव असर
बजट में हुए ऐलान का बॉन्ड मार्केट पर ज्यादा असर देखने को नहीं मिला। 10 साल के बेंचमार्क सरकारी बॉन्ड की यील्ड 22 जुलाई के मुकाबले बगैर किसी बड़े बदलाव के 6.97 फीसदी रही। S&P ने 14 साल बाद इस साल मई में इंडिया का रेटिंग आउटलुक स्टेबल से बढ़ाकर पॉजिटिव कर दिया था। बजट में सरकार ने फिस्कल डेफिसिट का जो अनुमान व्यक्त किया है, एसएंडपी उसका स्वागत करेगा। दूसरी रेटिंग एजेंसियों को भी यह पसंद आएगा। सरकार ने FY26 तक फिस्कल डेफिसिट को 4.5 फीसदी तक लाने के टारगेट को दोहराया है। ऐसा होने पर अगले 2 सालों में इंडिया की रेटिंग बढ़ने की संभावना है।
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दूसरी छमाही में बॉन्ड बाजार का अट्रैक्शन बढ़ने की उम्मीद
बजट में हुए ऐलान बॉन्ड मार्केट्स के लिए अच्छे हैं। लोकल और ग्लोबल इनवेस्टर्स की राय इंडियन फिक्स्ड इनकम एसेट्स को लेकर पॉजिटिव बनी रह सकती है। अमेरिका में अगले तीन महीनों में इंटरेस्ट रेट में कमी की संभावना है। ग्लोबल मार्केट्स पर इसका असर पड़ता दिख रहा है। इधर, इंडिया में इस साल अक्टूबर-दिसंबर में इंटरेस्ट रेट में कमी हो सकती है। मार्च से ही अनुमान लगाया जा रहा है कि इस फाइनेंशियल ईयर की दूसरी छमाही में 10 साल के सरकारी बॉन्ड की यील्ड 6.5-6.75 फीसदी के बीच रह सकती है। ऐसे में इंडिया में फिक्स्ड इनकम एसेट्स में निवेश का मौका दिख रहा है।