Indian Rupee: इन 5 कारणों से गिरता जा रहा रुपया, डॉलर के मुकाबले बनाया 90.56 का नया ऑलटाइम लो

Indian Rupee: भारतीय रुपया शुक्रवार 12 दिसंबर को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 90.56 के अपने नए रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया। कारोबार की शुरुआत में भारतीय रुपया 90.43 के स्तर पर खुला और गुरुवार की गिरावट को जारी रखते हुए और नीचे फिसल गया। बीच-बीच में आरबीआई के सपोर्ट के बावजूद रुपये में कमजोरी बनी रही

अपडेटेड Dec 12, 2025 पर 11:11 AM
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Indian Rupee: RBI ने रुपये में तेज उतार-चढ़ाव को रोकने के लिए बाजार में हस्तक्षेप किया

Indian Rupee: भारतीय रुपया शुक्रवार 12 दिसंबर को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 90.56 के अपने नए रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया। कारोबार की शुरुआत में भारतीय रुपया 90.43 के स्तर पर खुला और गुरुवार की गिरावट को जारी रखते हुए और नीचे फिसल गया। बीच-बीच में आरबीआई के सपोर्ट के बावजूद रुपये में कमजोरी बनी रही। घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों वजहों से रुपये में यह गिरावट बढ़ी है।

रुपये में हालिया गिरावट के पीछे मुख्य कारण ये हैं:

1. भारत–अमेरिका ट्रेड डील को लेकर अनिश्चितता

भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड डील को लेकर जारी बातचीत अपने अंतिम चरण में है, लेकिन इसके बावजूद अब तक कोई ठोस प्रगति नहीं दिखी है। ट्रेडर्स के अनुसार इसी अनिश्चितता ने बाजार में सावधानी बढ़ा दी है। MUFG ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि रुपये की कमजोरी “ट्रेड डील से जुड़ी जारी अस्पष्टता” को दिखाती है, खासतौर पर तब जब टैरिफ से जुड़े मुद्दे सुलझते नहीं दिख रहे।


2. विदेशी निवेशकों की लगातार बिकवाली

रुपये की गिरावट का सबसे बड़ा कारण विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) की ओर से की जा रही लगातार निकासी है। विदेशी निवेशकों ने एक दिन पहले गुरुवार को भारतीय शेयर बाजार से 2,020.94 करोड़ रुपये की निकासी की। दिसंबर महीने में अब तक वे कुल करीब 2.5 अरब डॉलर (22,500 करोड़ रुपये) की इक्विटी और डेट बेच चुके हैं। लगातार होती यह निकासी रुपये पर भारी दवाब डाल रही है।

3. आयातकों की ओर से डॉलर की भारी मांग

ग्लोबल बाजार में कीमती धातुओं के दाम बढ़ने के बाद आयातकों यानी इंपोर्ट्स ने डॉलर की खरीद बढ़ा दी, जिससे रुपये पर अतिरिक्त दबाव बना। डीलरों का कहना है कि आयातकों की यह तेज और बड़ी मात्रा में खरीदारी रुपये को और नीचे ले जाने वाली एक बड़ी वजह रही।

4. मिलजुले ग्लोबल संकेत और मजबूत डॉलर इंडेक्स

शुक्रवार को डॉलर इंडेक्स थोड़ा बढ़कर 98.37 पर पहुंच गया, जबकि ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमतें फ्यूचर्स में 0.67% तक चढ़ गई। एशियाई करेंसी भी मिले-जुले रुझान के साथ ट्रेड कर रही थीं, जिससे रुपये को रिजनल सपोर्ट सीमित रहा। हालांकि फेडरल रिजर्व के सॉफ्ट आउटलुक ने डॉलर को दो महीने के निचले स्तर के करीब रखा है, लेकिन ग्लोबल लेवल पर रिस्क सेंटीमेंट अभी भी कमजोर बना हुआ है।

5. आरबीआई ने गिरावट रोकने की कोशिश की

ट्रेडर्स ने बताया कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने रुपये में तेज उतार-चढ़ाव को रोकने के लिए बाजार में हस्तक्षेप किया, जिसकी रुपया और ज्यादा नीचे जाने से बच गया। एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगर रुपये पर गिरावट का दबाव बना रहा, तो RBI आगे भी बाजार में एक्टिव रह सकता है।

हालांकि रुपया कमजोर होने के बावजूद, शेयर बाजार ने शुक्रवार को मजबूती के साथ कारोबार की शुरुआत की है। लेकिन ट्रेड डील को लेकर अनिश्चितता और विदेशी निवेश के लगातार बाहर जाने से रुपया इस हफ्ते करीब 0.5% की गिरावट दर्ज करने की राह पर है।

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