इंडिगो में चल रही क्राइसिस सेबी के रडार पर आ गई है। रेगुलेटर ने मामले की जांच शुरू कर दी है। सेबी इस बात की जांच कर रहा है कि क्या इंडिगो की पेरेंट कंपनी इंटरग्लोब एविएशन जरूरी डिसक्लोजर करने में नाकाम रही। सेबी को मामले की शुरुआती जांच में अगर इंडिगो की लापरवाही नजर आती है तो वह कंपनी से औपचारिक जवाब मांग सकता है। एक सूत्र ने यह जानकारी दी।
बोर्ड की कमेटीज के रोल की भी जांच
एक सूत्र ने कहा, "डिसक्लोजर इश्यू को SEBI देख रहा है। बोर्ड की कमेटीज की भूमिका की भी जांच हो रही है। संबंधित बोर्ड कमेटीज की मीटिंग के मिनट्स को देखा जा रहा है।" सूत्र ने कहा कि स्टॉक एक्सचेंजों को भी अपने स्तर पर यह देखने को कहा गया है कि क्या किसी तरह की लापरवाही हुई है। उन्हें जांच के बाद रेगुलेटर को रिपोर्ट सौंपने को कहा गया है। स्टॉक एक्सचेंज शुरुआती रेगुलेटर्स हैं और यह देखना उनका काम है कि लिस्टेड कंपनियां सेबी के एलओडीआर नियमों का पालन कर रही हैं या नहीं।
डिसक्लोजर के नियमों के उल्लंघन का संदेह
इस मामले की जानकारी रखने वाले एक दूसरे व्यक्ति ने कहा, "बोर्ड और कमीटीज के मिनट्स से यह पता चलेगा कि उन्हें आने वाले संकट का अंदाजा था या नहीं। अगर बोर्ड को इस बारे में जानकारी थी तो उसने स्थिति से निपटने के लिए किन उपायों पर चर्चा की और उसका क्या प्लान था?" डिसक्लोजर के नियमों के उल्लंघन का संदेह सबसे पहले सेबी के पूर्व एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर और स्टेकहोल्डर्स इम्पावरमेंट सर्विसेज (SES) के फाउंडर जे एन गुप्ता ने व्यक्त किया।
कंपनी ने कारण बताओं नोटिस को डिसक्लोज नहीं किया
SES की रिपोर्ट में कहा गया है, "सेबी को इस बात की जांच करनी चाहिए कि क्या LODR नियमों के तहत इंडिगो को डीजीसीए की तरफ से कारण बताओ नोटिस को डिसक्लोज करना चाहिए था? डीजीसीए ने 11 अगस्त, 2025 को 'नॉन-एप्रूव्ड फुल फ्लाइट सिमुलेटर्स' के इस्तेमाल पर कारण बताओ नोटिस इश्यू किया था। यहां तक कि DGCA की तरफ से 6 दिसंबर को इश्यू किए गए कारण बताओ नोटिस का डिसक्लोजर एक्सचेंजों को नहीं किया गया।"
एसईएस की रिपोर्ट में कंपनी के बोर्ड की तीखी आलोचना
एसईएस की रिपोर्ट में इंटरग्लोब एविएशन के बोर्ड की भी तीखी आलोचना की गई है। एसईएस ने कहा है कि स्पष्ट चेतावनी के संकेतों और रेगुलेटरी ऑब्लिगेशंस के बावजूद बोर्ड और उसकी सब-कमेटी खासकर रिस्क मैनेजमेंट कमेटी और स्टेकहोल्डर्स रिलेशनशिप कमेटी क्राइसिस का अंदाजा लगाने और उसे मैनेज करने में नाकाम रही। इसमें यह सवाल उठाया गया है कि स्थिति गंभीर हो जाने पर क्यों क्राइसिस मैनेजमेंट ग्रुप बनाया गया। इस बारे में प्रतिक्रिया के लिए सेबी और इंटरग्लोब एविएशन को भेजे ईमेल के जवाब नहीं मिले।