लंबे इंतजार के बाद इंडसइंड को नया सीईओ मिलने जा रहा है। बैंक ने दिग्गज बैंकर राजीव आनंद को एमडी और सीईओ पद पर नियुक्ति का ऐलान कर दिया है। इससे इंडसइंड बैंक की लीडरशिप टीम को मजबूती मिलेगी। बैंक अब मुनाफा बढ़ाने, कॉस्ट और रिकवरी और 'वन इंडसइंड' एप्रोच पर फोकस बढ़ाएगा। बैंक के सामने अपने बिजनेस से अपने मुनाफा का बढ़ाने का बड़ा चैलेंज है। इसे अपने रिटर्न ऑन एसेट (आरओए) में भी इजाफा करना होगा। सवाल है कि क्या यह इंडसइंड बैंक के शेयरों में इनवेस्ट करने का समय है या अभी सावधानी बरतना सही रहेगा?
राजीव आनंद के पास बैंकिंग का व्यापक अनुभव
IndusInd Bank ने अकाउंटिंग मैं लैप्सेज के बाद से मुश्किल वक्त का सामना किया है। बैंक की टॉप लीडरशिप टीम को इस्तीफा देना पड़ा। ऐसे में प्राइवेट सेक्टर के एक दिग्गज बैंकर के बॉस पद पर नियुक्ति अच्छी खबर है। राजीव आनंद Axis Bank में डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर थे। उन्होंने 2009 में फाउंडिंग मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ के रूप में एक्सिस मैनेजमेंट को ज्वाइन किया था। बाद में उन्हें एक्सिस बैंक में रिटेल बैंकिंग का प्रेसिडेंट नियुक्त किया गया। उसके बाद उन्हें एक्सिस बैंक के बोर्ड में शामिल किया गया। उन्हें होलसेल बैंकिंग का हेड बनाया गया।
साख को दोबारा हासिल करना आसान काम नहीं
राजीव आनंद की नियुक्ति से नए सीईओ का इंतजार खत्म हो गया है, लेकिन इंडसइंड बैंक में उनका काम आसान नहीं होगा। अकाउंटिंग लैप्सेज का असर बैंक के बिजनेस के हर पहलू पर पड़ा है। इसके अलावा ऑपरेटिंग इनवायरमेंट कॉम्पटिटिव और चैलेंजिंग है। इससे इंडसइंड बैंक के लिए अपनी साख को दोबारा हासिल करना आसान नहीं है। FY26 की पहली तिमाही में इंडसइंड बैंक की ग्रोथ खराब रही। साल दर साल आधार पर 4 फीसदी और तिमाही दर तिमाही आधार पर 3.3 फीसदी डी-ग्रोथ देखने को मिली।
कारोबार में सावधानी बरत रहा बैंक
इंडसइंड बैंक एमएफआई के मामले में सावधानी बरत रहा है। बढ़ते कॉम्पटिशन के चलते इसने कॉर्पोरेट बैंकिंग की रफ्तार कम की है। कमजोर लोन ग्रोथ खासकर अनसेक्योर्ड हाई-यील्ड बिजनेस में सुस्त ग्रोथ को देखते हुए बैंक डिपॉजिट बढ़ाने के मामले में भी सावधानी बरत रहा है। इसने ज्यादा कॉस्ट वाले बल्क डिपॉजिट पर फोकस घटाया है। कुल डिपॉजिट में रिटेल डिपॉजिट की हिस्सेदारी बढ़ी है, लेकिन लो-कॉस्ट CASA (करेंट एंड सेविंग अकाउंट) रेशियो गिरकर 31.5 फीसदी पर आ गया है।
एसेट क्वालिटी पर कुछ तिमाही तक दबाव जारी रह सकता है
इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही में इंडसइंड बैंक का नेट इंटरेस्ट मार्जिन (NIM) 3.46 फीसदी रहा। यह चौथी तिमाही के एडजस्टेड NIM से कम है। आगे रेपो रेट में कमी खासकर जून में हुई कमी का असर अभी पड़ना बाकी है। हालांकि, बैंक की फिक्स्ड रेट बुक (ज्यादातर रिटेल) 60 फीसदी के करीब है और यह अपेक्षाकृत बेहतर है। हमें शॉर्ट टर्म में मार्जिन पर दबाव बने रहने की उम्मीद है। कोर फीस गिरकर एसेट के 1.1 फीसदी के लो लेवल पर आ गया है। इसके बढ़ने में समय लगेगा। एनपीए का कुल स्लिपेज हाई बना हुआ है और ग्रॉस स्लिपेज का 35 फीसदी एमएफआई से आया है। बैंक को इसमें कुछ और तिमाही तक दबाव जारी रहने का अनुमान है।
निवेशकों को क्या करना चाहिए?
IndusInd Bank के आरओए में धीरे-धीरे इजाफा होने की उम्मीद है। यह FY26 की पहली तिमाही में गिरकर 0.45 फीसदी पर आ गया। हालांकि, इंडसइंड बैंक की वैल्यूएशन ज्यादा नहीं है, लेकिन रिकवरी में समय लगेगा। इसलिए यह स्टॉक लंबी अवधि के उन निवेशकों के लिए सही है, जो धैर्य रख सकते हैं। बैंक के नए सीईओ की नियुक्ति से शॉर्ट टर्म में शेयरों पर पॉजिटिव असर दिख सकता है। 5 अगस्त को बैंक का शेयर अच्छी तेजी के साथ खुला। लेकिन, बाद में तेजी थोड़ी कम हो गई। 11 बजे शेयर की कीमत 1.49 फीसदी चढ़कर 816 रुपये चल रही थी।