दिग्गज आईटी कंपनी इंफोसिस (Infosys) के चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर (CFO) निलंजन रॉय (Nilanjan Roy) के इस्तीफे का असर शेयरों पर भी दिख रहा है। इंफोसिस ने अगले सीएफओ को भी चुन लिया है। निलंजन के बाद 1 अप्रैल से इस पद की जिम्मेदारी जयेश संघराजका (Jayesh Sanghrajka) संभालेंगे। हालांकि नए सीएफओ के नाम का ऐलान भी फिलहाल शेयरों को संभाल नहीं पा रहा है। शुरुआती कारोबार में इसके शेयर 1 फीसदी से अधिक टूटकर 1467.50 रुपये पर आ गए थे। कारोबार आगे बढ़ने पर थोड़ी रिकवरी तो हुई लेकिन दिन के आखिरी में BSE पर यह 0.85 फीसदी की कमजोरी के साथ 1476 रुपये (Infosys Share Price) पर बंद हुआ है।
अगले सीएफएओ 1 अप्रैल को संभालेंगे पदभार
निलंजन रॉय कंपनी में इस वित्त वर्ष के आखिरी यानी 31 मार्च 2024 तक बने रहेंगे। इंफोसिस ने उनके इस्तीफे के बारे में खुलासा करते हुए कहा कि वह 2018 में सीएफओ बने थे और अब इंफोसिस के बाहर अपनी व्यक्तिगत इच्छाओं को पूरा करने के लिए कंपनी छोड़ रहे हैं। निलंजन का यह इस्तीफा ऐसे समय में आया है, जब आई सेक्टर की दिग्गज कंपनियां विप्रो (Wipro), एचसीएल टेक (HCL Tech) और टीसीएस (TCS) में भी टॉप लेवल पर एम्प्लॉयी कंपनी छोड़ रहे हैं। इंफोसिस की ही बात करें तो पिछले डेढ़ साल में इसके पूर्व प्रेसिडेंट रवि कुमार एस और मोहित जोशी ने कंपनी छोड़ दी।
18 साल से Infosys में हैं अगले सीएफओ
इंफोसिस ने अगले सीएफओ के तौर पर कंपनी में दो बार में 18 साल काम कर चुके जयेश को चुना है। जयेश एक चार्टर्ड एकाउंटेंट हैं और उनके पास इंडस्ट्री में 25 साल के काम का अनुभव है। इंफोसिस में फिलहाल वह एक्जीक्यूटिव वाइस प्रेसिडेंट और डिप्टी फाइनेंशियल ऑफिसर हैं। जयेश इंफोसिस ग्रुप के डिफ्टी चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर पद पर अक्टूबर 2015 में पहुंचे थे। अभी वह इनवेस्टर रिलेशंस, बिजनेस फाइनेंस, कॉरपोरेट फाइनेंस, ट्रेजरी और टैक्स से जुड़ा काम देखते हैं।
इंफोसिस के कारोबारी सेहत की बात करें तो अभी यह मैक्रोइकनॉमिक अनिश्चितताओं और सावधानी भरे मांग के माहौल से जूझ रही है। कंपनी ने इस साल कैंपस हायरिंग को भी टालने का फैसला कर लिया। सितंबर तिमाही में इसने पूरे वित्त वर्ष के रेवेन्यू ग्रोथ के अधिकतम अनुमान को कम कर दिया और अब इसका अनुमान है कि वित्त वर्ष 2023-24 में इसका रेवेन्यू 1-2.5 फीसदी की दर से बढ़ेगा। इससे पहले भी कंपनी ने पिछली तिमाही में ग्रोथ अनुमान को 4-7 फीसदी से घटाकर 1-3.5 फीसदी कर दिया था।