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Israel-Palestine war: मिडिल ईस्ट में बढ़ी टेंशन का असर, तेल की कीमतें उछलीं

फिलिस्तीनी इस्लामी समूह हमास ने शनिवार को इजराइल पर सैन्य हमला किया, जिसमें सैकड़ों इजराइली मारे गए हैं और हजारों घायल हैं। इस हमले को हमास का सबसे बड़ा सैन्य हमला बताया जा रहा है। इजराइल और हमास के बीच सैन्य झड़पों ने पूरे मिडिल ईस्ट में राजनीतिक अनिश्चितता को गहरा कर दिया है। इसका असर तेल की कीमतों पर दिखना भी शुरू हो गया है

अपडेटेड Oct 09, 2023 पर 9:49 AM
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बड़े पैमाने पर अस्थिरता से भी इनकार नहीं किया जा सकता है।

सोमवार को शुरुआती एशियाई कारोबार में तेल की कीमतें (Oil Prices) 3 डॉलर प्रति बैरल से अधिक बढ़ गईं। इसकी वजह है कि इजराइल और हमास के बीच सैन्य झड़पों ने पूरे मिडिल ईस्ट में राजनीतिक अनिश्चितता को गहरा कर दिया है। ब्रेंट क्रूड 3.34 डॉलर या 3.95% चढ़कर 87.92 डॉलर प्रति बैरल हो गया, जबकि यूएस वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट क्रूड 3.44 डॉलर या 4.16% बढ़कर 86.23 डॉलर प्रति बैरल था। पूरी दुनिया को होने वाली तेल सप्लाई में से लगभग एक तिहाई सप्लाई मिडिल ईस्ट से होती है।

फिलिस्तीनी इस्लामी समूह हमास ने शनिवार को इजराइल पर सैन्य हमला किया, जिसमें सैकड़ों इजराइली मारे गए हैं और हजारों घायल हैं। इस हमले को हमास का सबसे बड़ा सैन्य हमला बताया जा रहा है। जवाब में इजराइल ने भी गाजा पर हवाई हमले किए हैं। रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ANZ Bank के एक एनालिस्ट का कहना है कि मिडिल ईस्ट में जियोपॉलिटिकल रिस्क बढ़ने से तेल की कीमतें बढ़ने का अनुमान है। बड़े पैमाने पर अस्थिरता से भी इनकार नहीं किया जा सकता है।

अगर निकला ईरान का इन्वॉल्वमेंट तो बिगड़ेगी स्थिति


ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इजराइल में हो रहीं घटनाएं तेल आपूर्ति के लिए तुरंत कोई खतरा पैदा नहीं करती हैं। लेकिन अंदेशा है कि यह संघर्ष विनाशकारी युद्ध में बदल सकता है, जिससे अमेरिका और ईरान उलझ सकते हैं। इन हमलों में ईरान के भी शामिल होने के आरोप लग रहे हैं। अगर ऐसा हुआ तो ईरान के खिलाफ कोई भी जवाबी कार्रवाई ईरान से तेल की सप्लाई को प्रभावित कर सकती है।

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मेल-मिलाप कराने की अमेरिकी कोशिशें खतरे में 

इस हिंसा से सऊदी अरब और इजराइल के बीच मेल-मिलाप कराने की अमेरिकी कोशिशों के पटरी से उतरने का खतरा है। इन कोशिशों में सऊदी अरब, अमेरिका के साथ रक्षा सौदे के बदले में इजराइल के साथ संबंधों को सामान्य करेगा। सऊदी-इजरायल संबंधों के सामान्य होने से सऊदी अरब और ईरान के बीच अलगाव की दिशा में हाल के कदमों पर रोक लगने की संभावना है।

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