गुरुवार को आए आंकड़ों से पता चला कि कमजोर घरेलू मांग के कारण लगातार दूसरी तिमाही में अप्रत्याशित रूप से हुई गिरावट के कारण जापान की अर्थव्यवस्था मंदी की चपेट में आ गई है। इसके चलते जापानी केंद्रीय बैंक की इस साल किसी समय अपनी अति नर्म नीति से बाहर निकलने की संभावना को लेकर अनिश्चितता बढ़ गई है। अप्रत्याशित रूप से कमजोर प्रदर्शन के कारण जापान ने दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का खिताब खो दिया है। अब उसकी जगह जर्मनी ने ले ली है।
सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि पिछली तिमाही में 3.3% की गिरावट के बाद अक्टूबर-दिसंबर की अवधि में देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में सालाना आधार पर 0.4% की गिरावट आई। जबकि बाजार ने इसमें 1.4% की औसत बढ़त का अनुमान लगाया था।
लगातार दो तिमाहियों में मंदी
आमतौर पर ये माना जाता है कि अगर लगातार दो तिमाहियों में मंदी रहे तो इसको तकनीकी रूप से मंदी कहा जा सकता है। कमजोर आंकड़े बैंक ऑफ जापान के इस पूर्वानुमान को गलत साबित कर सकते हैं कि बढ़ती मजदूरी खपत को बढ़ाएगी और मौद्रिक प्रोत्साहन योजना को चरणबद्ध तरीके से बंद करना उचित होगा।
क्रेडिट एग्रीकोल के मुख्य अर्थशास्त्री ताकुजी ऐडा ने कहा, "ग्लोबल ग्रोथ की धीमी गति, कमजोर घरेलू मांग और पश्चिमी जापान में नए साल के भूकंप के असर के कारण जनवरी-मार्च तिमाही में अर्थव्यवस्था में और संकुचन आ सकता है। ऐसे में बैंक ऑफ जापान 2023 और 2024 के लिए अपने जीडीपी पूर्वानुमानों को कम करने के लिए मजबूर हो सकता है"।
ये आंकड़े जारी होने के बाद येन में गिरावट आई और ये 150.42 प्रति डॉलर के आसपास पहुंच गया जो तीन महीने के निचले स्तर के करीब है। हालांकि निक्केई में 1 फीसदी तक की तेजी देखने को मिली। शायद इस इस उम्मीद में तेजी आई है कि बैंक ऑफ जापान अपने ईजिंग प्रोग्राम को अपेक्षा से अधिक समय तक जारी रख सकता है।
उपभोग स्तर भी अनुमान के मुकाबले कमजोर रहा
कल आए इन आंकड़ों पर नजर डालें तो तिमाही आधार पर सकल घरेलू उत्पाद 0.3% के बढ़त के औसत पूर्वानुमान के मुकाबले 0.1% गिर गया। उपभोग स्तर भी अनुमान के मुकाबले कमजोर रहा है। निजी खपत 0.2% गिर गई। जबकि अर्थशास्त्रियों ने इसमें 0.1% की बढ़त का अनुमान लगाया था। प्राइवेट सेक्टर का एक अन्य प्रमुख ग्रोथ इंजन पूंजीगत व्यय 0.3% बढ़त के पूर्वानुमान की तुलना में 0.1% गिर गया है।