Jet Airways Liquidation: जेट एयरवेज के रिवाइवल पर दांव लगाने वाले करीब 1.43 लाख रिटेल इनवेस्टर्स 7 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट की ओर से कंपनी के लिक्विडेशन के आदेश के बाद बर्बाद होने की कगार पर हैं। सुप्रीम कोर्ट ने बंद हो चुकी एयरलाइन की खरीद के लिए जालान कलरॉक कंसोर्शियम की बोली को खारिज कर दिया। साथ ही कंसोर्शियम की ओर से कंपनी में डाले गए 200 करोड़ रुपये जब्त करने और भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की अगुवाई वाले कर्जदाताओं के समूह को 150 करोड़ रुपये की परफॉरमेंस बैंक गारंटी भुनाने की भी इजाजत दे दी।
जेट एयरवेज का शेयर इस आदेश के बाद बीएसई पर 5 प्रतिशत गिरकर 34.04 रुपये पर लोअर सर्किट में बंद हुआ। सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्राइब्यूनल (NCLAT) के उस फैसले को खारिज कर दिया, जिसमें अप्रूव्ड रिजॉल्यूशन प्लान के तहत जेट को जालान-कलरॉक कंसोर्शियम (जेकेसी) को ट्रांसफर करने को बरकरार रखा गया था। कंसोर्शियम, रिजॉल्यूशन प्लान में निर्धारित समय के अंदर पैसे की पहली किस्त डालने में भी विफल रहा।
रिटेल इनवेस्टर्स की हिस्सेदारी 19% से ज्यादा
30 सितंबर 2024 तक जेट एयरवेज में ऐसे रिटेल इनवेस्टर्स, जिनकी इनवेस्ट की हुई कैपिटल 2 लाख रुपये से कम है, की 19.29 प्रतिशत हिस्सेदारी थी। अन्य प्रमुख शेयरधारकों में 26 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ पंजाब नेशनल बैंक, 24 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ एतिहाद एयरवेज और 25 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ पुराने प्रमोटर शामिल हैं। 386.69 करोड़ रुपये के मौजूदा मार्केट कैप पर जेट में रिटेल शेयरहोल्डिंग 74.6 करोड़ रुपये है।
एयरलाइन 2019 से बंद है लेकिन रिटेल इनवेस्टर्स ने स्टॉक में ट्रेड करना जारी रखा हुआ है। सफल इनसॉल्वेंसी रिजॉल्यूशन या लिक्विडेशन की स्थिति में कंपनी के डीलिस्ट होने के स्पष्ट खतरे के बावजूद ये इनवेस्टर एयरलाइन के रिवाइवल पर दांव लगा रहे थे। 2023 की रिपोर्ट के अनुसार, जालान कलरॉक रिजॉल्यूशन प्लान में पब्लिक शेयरहोल्डिंग को 25 प्रतिशत से घटाकर 0.21 प्रतिशत करना शामिल था। इससे पब्लिक शेयरहोल्डर्स की मार्केट वैल्यू खत्म हो जाती, लेकिन ऐसा लगता है कि इससे रिटेल इनवेस्टर्स को कोई नुकसान नहीं होता।
यूं अर्श से फर्श पर आई जेट एयरवेज
एक समय भारत की प्रमुख एयरलाइन रही जेट एयरवेज को 2010 के दशक के अंत में गंभीर वित्तीय चुनौतियों का सामना करना पड़ा, जिसमें बढ़ते कर्ज, बढ़ती ऑपरेटिंग कॉस्ट और कम लागत वाली एयरलाइंस के साथ कड़ी प्रतिस्पर्धा शामिल थी। 2019 तक जेट एयरवेज ऑपरेशंस के लिए संघर्ष कर रही थी और अपने कर्मचारियों के साथ-साथ वेंडर्स को भी भुगतान करने में विफल रही। अप्रैल 2019 में जेट एयरवेज ने ऑपरेशंस बंद कर दिए क्योंकि इसका कर्ज 7,500 करोड़ रुपये से अधिक हो गया था।
इसके बाद जल्द ही भारतीय स्टेट बैंक के नेतृत्व में ऋणदाता, एयरलाइन को दिवालिया कार्यवाही के लिए नेशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल (NCLT) में ले गए, इस उम्मीद में कि रिवाइवल के माध्यम से बकाया वसूल किया जाएगा। इस प्रक्रिया ने कलरॉक कैपिटल और मुरारी लाल जालान के कंसोर्शियम जैसे निवेशकों की रुचि को आकर्षित किया, जिन्होंने एक रिवाइवल प्लान रखा जिसे 2021 में NCLT की मंजूरी मिली।
हालांकि, इस योजना को चुनौतियों का सामना करना पड़ा। 2023 तक जेट के रिवाइवल की उम्मीदें फीकी पड़ने लगी थीं, क्योंकि कलरॉक-जालान कंसोर्शियम वित्तीय दायित्वों को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहा था। अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने जेट एयरवेज के दिवालियापन की लंबी कहानी को खत्म कर दिया।