जुलाई ने इस बार भी शेयरों के निवेशकों को खुश किया है। अगर पिछले 15 साल के इतिहास को देखें तो जुलाई महीने में सेंसेक्स (July) ने 11 बार पॉजिटिव रिटर्न दिया है। इस बार एक जुलाई को सेंसेक्स 52,907 अंक पर बंद हुआ था। 29 जुलाई को 11 बजे यह 554 अंक यानी 0.97 फीसदी चढ़कर 57,412 अंक पर था। 30 और 31 जुलाई क्रमश: शनिवार और रविवार होने से बाजार बंद रहेंगे।
इस साल जुलाई में सेंसेक्स 4500 अंक यानी 8.51 फीसदी चढ़ा है। यह लगातार पिछले कई महीनों से मार्केट में गिरावट से निराश इनवेस्ट्स के घाव पर मरहम जैसा है। कॉर्पोरेट डाटाबेस AceEquity के मुताबिक, पिछले 15 साल में कम से कम 6 बार सेंसेक्स ने जुलाई में 5 फीसदी से ज्यादा रिटर्न दिया है। 9 बार इसका रिटर्न 1 फीसदी से ज्यादा रहा है। कुल 11 बार इसका रिटर्न पॉजिटिव रहा है।
जुलाई में सेंसेक्स में पिछले 15 साल में कभी तेज गिरावट नहीं आई है। सबसे ज्यादा 4.86 फीसदी की गिरावट 2019 जुलाई में आई थी। सबसे ज्यादा 8.12 फीसदी का उछाल जुलाई 2009 में आया था। 2021 में सेंसेक्स 0.20 फीसदी चढ़ा था। 2020 में इसमें 7.71 फीसदी तेजी आई थी। 2018 में यह 6.16 फीसदी चढ़ा था।
पिछले कुछ हफ्तों में वैश्विक आर्थिक माहौल में आए बदलाव का असर शेयर बाजारों पर पड़ा है। अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने बुधवार को इंटरेस्ट रेट 0.75 फीसदी (75 बेसिस प्वॉइंट्स) बढ़ा दिया। उम्मीद 100 बेसिस प्वॉइंट्स यानी एक फीसदी वृद्धि की थी। फेडरल रिजर्व ने भविष्य में इंटरेस्ट रेट 3 से 3.5 फीसदी रहने का अनुमान जताया है। इससे मार्केट ने राहत की सांस ली है। पहले यह माना जा रहा था कि फेडरल रिजर्व इस साल इंटरेस्ट रेट में कई बार वृद्धि कर सकता है।
अमेरिकी केंद्रीय बैंक अपनी कमेंटरी में मार्केट को यह भरोसा दिलाने की कोशिश की है कि इंटरेस्ट रेट में वृद्धि का यह दौर बहुत लंबा नहीं चलेगा। यह मार्केट के अनुमान के उलट है। एनालिस्ट्स का कहना है कि इसका दुनियाभर के स्टॉक मार्केट्स पर पॉजिटिव असर पड़ेगा।
HDFC Securities में हेड (रिटेल रिसर्च) दीपक जसानी ने कहा, "इंटरेस्ट रेट को लेकर फेडरल रिजर्व के रुख में नरमी की वजह यह है कि मौद्रिक नीति को सख्त बनाने का असर दुनियाभर में दिख रहा है। कमोडिटी की कीमतों में नरमी आ ही है। ड्यूरेबल रिसेशन का रिस्क भी घट गया है। इस वजह से ट्रेडर्स सस्ते भाव पर शेयर खरीद रहे हैं, जिससे कुछ लोग शॉर्ट कवरिंग को मजबूर हुए हैं।"
रेलिगेयर ब्रोकिंग में वीपी (रिसर्च) अजीत मिश्रा ने कहा, "जून के अपने निचले स्तर से मार्केट्स ने शानदार रिकवी दिखाई है। ऑटो और एफएमसीजी शेयरों का इसमें बड़ा हाथ रहा है। अब हम बैंकिंग और फाइनेंशियल शेयरों में तेजी आते देख रहे हैं। आईटी और एनर्जी अब भी संघर्ष कर रहे हैं। निवेशकों को उन सेक्टर पर फोकस करना चाहिए, जो अपेक्षाकृत मजबूत हैं।" Nifty IT और Nifty Oil & Gas को छोड़ जुलाई में सभी सूचकांक चढ़े हैं।