लोकसभा चुनाव 2024 के वोटों काउंटिंग के बीच शेयर मार्केट औंधे मुंह गिर गया। शुरुआत में सेंसेक्स 1700 अंक और निफ्टी 500 अंक के साथ खुला। इसके बाद सेंसेक्स 6000 अंक और निफ्टी ने 1700 से ज्यादा अंकों का गोता लगाया। शेयर मार्केट में 5% से ज्यादा की गिरावट से इंवेस्टर्स के माथे पर चिंता की लकीरें साफ देखी जा सकती हैं। लेकिन क्या ये गिरावट आपके लिए शेयर लेने के लिहाज से एक सुनहरा मौका हो सकता है? लॉन्ग टर्म गोल के लिए इंवेस्टमेंट करने वालों के लिए एक्सपर्ट्स क्या स्ट्रेटेजी बता रहे हैं? आइए आज इसी दिलचस्प सवाल का जवाब जानते हैं कि क्या ये गिरावट आपके पोर्टफोलियो को मजबूत बनाने का मौका है या फिर घबराकर बाहर निकलने का समय?
'जल्दबाजी में ने लें फैसला'
बिगुल के सीईओ अतुल पारख ने कहा कि इंवेस्टर्स को जल्दबाजी में लिए गए फैसलों से बचना चाहिए और अपने रिस्क प्रोफाइल के हिसाब से अपने पोर्टफोलियो का रिवैल्युएशन करना चाहिए। अच्छी कंपनियों के शेयर अगर कम दाम पर मिल रहे हैं तो यह लंबे समय के लिए इंवेस्टमेंट करने वालों के लिए अच्छा मौका है। हालांकि, चुनाव नतीजे आने तक बाजार में उतार-चढ़ाव बना रह सकता है, इसलिए इसके लिए तैयार रहें।
'बाजार में उतार-चढ़ाव बना रहेगा!'
द इन्फिनिटी ग्रुप के फाउंडर विनायक मेहता का कहना है कि चुनाव के नतीजे आने तक, बाजार में उतार-चढ़ाव बना रहने का अनुमान है और खबरों के प्रति ज्यादा सेंसिटिव रहने की संभावना है। पॉलिटिकल एनालिस्ट का कहना है कि सत्तारूढ़ पार्टी की सीटों की संख्या पिछले चुनावों के मुकाबले स्थिर रह सकती है, जिससे निगेटिव ट्रेंड को बढ़ावा दिया है। चुनाव के नतीजों या सीटों की संख्या में किसी भी तरह के बदलाव से, खासकर इस अनिश्चित समय में, बाजार की व्यापकता और भी प्रभावित हो सकती है।
Invasset में पार्टनर और फंड मैनेजर अनिरुद्ध गर्ग ने कहा कि इस समय मार्केट महंगा लग रहा है और विकास के मौके भी सीमित हैं। इंवेस्टर्स को चुनाव नतीजों के हिसाब से सट्टेबाजी करने के बजाय कम से कम 3-4 साल के इंवेस्टमेंट का नजरिया अपनाना चाहिए। चुनावों के आसपास होने वाली संभावित उथल-पुथल इंवेस्टर्स के मनोबल को खराब कर सकती है। इसलिए, बैलेंस पोर्टफोलियो बनाना बुद्धिमानी है, जिसमें विकास और क्वालिटी दोनों पर ध्यान दिया जाए।
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