RBI की रेट बढ़ोतरी के बाद से बाजार में आई 7% की गिरावट, आइए जानते हैं किन कारण से बाजार में बना है दबाव
Angel One के समीत चव्हाण का कहना है कि बाजार का टेक्निकल ढ़ाचा काफी कमजोर नजर आ रहा है। लगभग सभी टेक्निकल इंडिकेटर बाजार में कमजोरी के संकेत दे रहे हैं
मॉर्गन स्टेनली ने भारत के इकोनॉमी ग्रोथ के अगले 2 वित्त वर्षों के अनुमान में कटौती की है। मॉर्गन स्टेनली का कहना है कि ग्लोबल मंदी, कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें और कमजोर घरेलू डिमांड एशिया की तीसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी पर निगेटिव असर दिखाएंगी
4 मई को रिजर्व बैंक की तरफ से ब्याज दरों में की गई अचानक बढ़ोतरी के बाद से बाजार की लगातार पिटाई हो रही है और इसकी लगाम मंदडियों के हाथ में आ गई है। 5 मई को छोड़ दे तो उसके बाद से बाजार में अब तक लगातार निगेटिव क्लोजिंग देखने को मिल रही है और इस अवधि में निफ्टी 1224 अंक यानी 7 फीसदी टूट गया है जबकि सेंसेक्स 3969 अंक यानी 7 फीसदी गिरा है।
आज भी बेहाल है बाजार
फिलहाल आज के बाजार की चाल पर नजर डालें तो ये 9 हफ्ते के निचले स्तर पर नजर आ रहा है। ग्लोबल बिकवाली और ब्याज दरें बढ़ने की आशंका से बाजार सहमा दिख रहा है। निफ्टी 15800 के आसपास पहुंच गया है जबकि बैंक निफ्टी 1000 अंक से ज्यादा फिसल गया है। दिग्गज शेयरों की तरह ही छोटे-मझोले शेयरों की भी जमकर पिटाई हो रही है। बाजार की आज की गिरावट मे सरकारी बैंक सबसे ज्यादा बेहाल नजर आ रहे हैं। निफ्टी पीएसयू बैंक इंडेक्स 4 फीसदी टूटा है। वहीं नतीजों के बाद पीएनबी करीब 12 फीसदी टूट गया है। निफ्टी के ऑटो, मेटल, FMCG और रियल्टी इंडेक्स में 2 फीसदी से ज्यादा की गिरावट देखने को मिल रही है।
महंगाई को लेकर RBI का रुख सख्त
इस बीच सूत्रों के हवाले से जानकारी आ रही है कि महंगाई को लेकर RBI का रुख सख्त हो गया है। आने वाले दिनों में आरबीआई फिर से दरों में बढ़ोतरी कर सकता है। सूत्रों के मुताबिक महंगाई इस समय सबसे बड़ा खतरा बन गई है जिस पर काबू करने के लिए आरबीआई अगले 6 से 8 महीनों तक कदम उठाता रहेगा। बाजार की नजरें आज आने वाले और रिटेल महंगाई के आंकड़ों पर बनी रहेगी।
Geojit Financial Services के वीके विजयकुमार का कहना है कि बाजार के लिए इस समय महंगाई सबसे बड़ी परेशानी बनी हुई है। अप्रैल महीने में अमेरिका में उपभोक्ता महंगाई दर 8.3 फीसदी पर रही है। इससे आगे यूएस फेड के दरों में और बढ़त की संभावना मजबूत हो रही है। इस बात की भी संभावना नजर आ रही है कि 2023 में अमेरिका में मंदी की स्थितियां बन सकती हैं। इस बीच डॉलर इंडेक्स 104 पर पहुंच गया है और इसमें आगे और मजबूती की संभावना नजर आ रही है। ऐसे में इंडियन इक्विटीज में आगे भी विदेशी संस्थागत निवेशकों की बिकवाली बने रहने में संभावना है। हालांकि इस समय भारतीय बाजार में घरेलू निवेशक एफआईआई की बिकवाली की तुलना में ज्यादा खरीदारी करते नजर आ रहे हैं लेकिन यह बाजार का सेटीमेंट में सुधार के लिए पर्याप्त नहीं है।
क्यों टूट रहा बाजार
अमेरिका में महंगाई में उछाल
बुधवार को जारी अमेरिकी सरकार के आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल 2021 में अमेरिका में उपभोक्ता महंगाई में 8.3 फीसदी का उछाल देखने को मिला है। हालांकि मार्च में यह 8.5 फीसदी पर थी। अमेरिका में महंगाई दरें रिकॉर्ड स्तर पर हैं इसकी वजह से यूएस फेड की मौद्रिक नीतियों में और कड़ाई आने की संभावना है जिसका निगेटिव असर पूरी दुनिया पर पड़ रहा है।
कमजोर ग्लोबल संकेत
बुधवार के उतार-चढ़ाव भरे कारोबार में वॉल स्ट्रीट में भारी गिरावट देखने को मिली थी। कच्चे तेल की कीमतों में उबाल आने के साथ ही निवेशकों को इकोनॉमी में मंदी आने की उम्मीद नजर आ रही है। बुधवार के कारोबार में डाओ जोन्स 1.02 फीसदी टूटा था। वहीं S&P 500 इंडेक्स 1.65 फीसदी गिरकर बंद हुआ था जबकि Nasdaq 3.18 फीसदी टूटा था। एशियाई बाजार पर नजर डालें तो Nikkei, Hang Seng, Shanghai और Kospi में 0.5 से 1 फीसदी की गिरावट देखने को मिली। जबकि SGX Nifty में 2 फीसदी से ज्यादा की कमजोरी देखने को मिली है।
कच्चे तेल की कीमतों में उबाल
रूस से यूरोप को होने वाली गैस सप्लाई में आई गिरावट और रूस द्वारा कुछ यूरोपियन कंपनियों द्वारा लगाए गए प्रतिबंध के चलते 11 मई को कच्चे तेल की कीमतों में 5 फीसदी से ज्यादा का उछाल देखने को मिला। ब्रेंट क्रूड 5.05 डॉलर प्रति बैरल या 4.9 फीसदी के उछाल के साथ 107.51 डॉलर प्रति बैरल पर सेटल हुआ था। वहीं WTI क्रूड 5.95 डॉलर प्रति बैरल के साथ 105.71 डॉलर पर नजर आ रहा है।
मॉर्गन स्टेनली ने भारत के ग्रोथ अनुमान में की कई कटौती
मॉर्गन स्टेनली ने भारत के इकोनॉमी ग्रोथ के अगले 2 वित्त वर्षों के अनुमान में कटौती की है। मॉर्गन स्टेनली का कहना है कि ग्लोबल मंदी, कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें और कमजोर घरेलू डिमांड एशिया की तीसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी पर निगेटिव असर दिखाएंगी। मॉर्गन स्टेनली का कहना है कि वित्त वर्ष 2023 में भारत की जीडीपी ग्रोथ 7.6 फीसदी पर रह सकती है। वहीं वित्त वर्ष 2024 में ये 6.7 फीसदी पर आ सकती है। बता दें कि मॉर्गन स्टेनली ने अपने ताजे ग्रोथ अनुमान में 30 बेसिस प्वाइंट की कटौती की है।
आरबीआई के लिए महंगाई सबसे बड़ा खतरा, ब्याज दरों में और बढ़ोतरी की संभावना
RBI आने वाले दिनों में फिर दरों में बढ़ोतरी कर सकता है। RBI के लिए महंगाई सबसे बड़ा खतरा बनकर उभरा है। सूत्रों के मुताबिक महंगाई पर काबू पाने के लिए अगले 6 से 8 महीनों तक कदम उठाता रहेगा। इस खबर पर ज्यादा जानकारी देते हुए सीएनबीसी-आवाज के इकोनॉमिक पॉलिसी एडिटर लक्ष्मण राय ने सूत्रों से मिली जानकारी के आधार पर यह बताया है कि महंगाई से निपटने के लिए आरबीआई फिर से अपनी अहम दरों में बढ़ोतरी का ऐलान कर सकता है।
आरबीआई जून में महंगाई दर अनुमान में भी बढ़ोतरी कर सकता है। हालांकि बढ़ती दरें इकोनॉमी में डिमांड खत्म कर सकता है। इसके बावजूद आरबीआई यह जोखिम लेने को तैयार है क्योंकि उसके सामने महंगाई ही इस समय सबसे बड़ा खतरा है। महंगाई पर काबू पाने के लिए आरबीआई प्राथमिकता के आधार पर कदम उठाएगी और अगले 6-8 महीने तक महंगाई पर नियत्रंण पाने के लिए दरों में बढ़ोतरी होती नजर आएगी।
गौरतलब है कि कोविड के दौरान आरबीआई ने देश की जनता को राहत देने और इकोनॉमी में सरलता बढ़ाने के लिए तमाम कदम उठाए थे जिसके कारण इस समय इकोनॉमी में काफी लिक्विटीडी देखने को मिल रही है। इसको महंगाई बढ़ने का एक कारण माना जा रहा है। अब आरबीआई इस महंगाई से निपटने के लिए कोविड के दौरान उठाए गए राहत के कदमों को वापस लेने की तैयारी में है। सूत्रों के मुताबिक पूरी दुनिया में स्टैगफ्लेशन(मुद्रा अपस्फीति ) का खतरा नजर आ रहा है। इससे निपटने का कोई तरीका नहीं है। जानकारों का मानना है कि स्टैगफ्लेशन में महंगाई बढ़ने से इकोनॉमी में सुस्ती संभव है।
टेक्निकल व्यू
Angel One के समीत चव्हाण का कहना है कि बाजार का टेक्निकल ढ़ाचा काफी कमजोर नजर आ रहा है। लगभग सभी टेक्निकल इंडिकेटर बाजार में कमजोरी के संकेत दे रहे हैं। अगर निफ्टी 16000 के नीचे फिसलता है तो यह हमें एक बार फिर से 15,700 का अपना स्विंग लो छूता नजर आ सकता है। अब आगे बाजार की नजर अमेरिका के महंगाई आंकड़ों पर टिकी रहेंगी। नियर टर्म में अमेरिकी बाजार ही ग्लोबल मार्केट की दिशा तय करेगा। ऐसे में बाजार भागीदारों को सलाह होगी कि वह बहुत आक्रामक होकर दांव ना लगाएं और ग्लोबल बाजार में जारी भारी उठा-पटक के ठंडे पड़ने का इंतजार करें।
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