स्टॉक मार्केट में जारी गिरावट ने इनवेस्टर्स को हैरान कर दिया है। पिछले साल सितंबर के आखिर से जारी गिरावट रुकने का नाम नहीं ले रही। इस गिरावट ने उन निवेशकों को स्तब्ध कर दिया है, जिन्होंने इससे पहले कभी ऐसी गिरावट नहीं देखी थी। उन्हें समझ नहीं आ रहा कि इस मार्केट में उन्हें क्या करना चाहिए। हालांकि, इतिहास इस बात का गवाह है कि जब चारों ओर निराशा हो तब किया गया निवेश शानदार रिटर्न देता है। सवाल है कि निवेशकों को इस गिरावट के बीच खरीदारी करनी चाहिए या गिरावट जारी रहने तक मार्केट से दूर रहना चाहिए?
तीसरी तिमाही में भी अर्निंग्स ग्रोथ कमजोर
मार्केट (Stock Market) में गिरावट कब तक जारी रहेगी, यह बताना मुश्किल है। अमेरिका में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी और अमेरिकी डॉलर में निवेश में इनवेस्टर्स की बढ़ती दिलचस्पी ने स्टॉक मार्केट की हालत पतली कर दी है। इधर, इंडिया में कंपनियों की कमजोर अर्निंग्स ग्रोथ ने भी निवेशकों की चिंता बढ़ा दी है। तीसरी तिमाही में भी कंपनियों की अर्निंग्स कमजोर रही। इस वित्त वर्ष के पहले 9 महीनों में निफ्टी कंपनियों की अर्निंग्स ग्रोथ साल दर साल आधार पर सिर्फ 4 फीसदी है।
अच्छी खबरों का नहीं दिख रहा पॉजिटिव असर
एनबीएफसी, हेल्थकेयर और कैपिटल गुड्स का प्रदर्शन अच्छा रहा है। आईटी कंपनियों के प्रदर्शन में स्थिरता देखने को मिली है। लेकिन मेटल और ऑयल एंड गैस जैसे साइक्लिकल सेक्टर्स का प्रदर्शन खराब रहा है। सीमेंट, केमिकल और कंज्यूमर से जुड़े बिजनेसेज ने भी निराश किया है। रूरल डिमांड में अच्छी रिकवरी नहीं दिख रही है। सरकार ने यूनियन बजट में इनकम टैक्स में राहत दी है। आरबीआई ने पांच साल बाद इंटरेस्ट रेट घटाया है। अभी इन दोनों कदमों का पॉजिटिव असर नहीं दिख रहा।
इंडियन मार्केट की वैल्यूएशन घटी है
यह बताना मुश्किल है कि इंडियन मार्केट की वैल्यूएशन अभी अट्रैक्टिव है या नहीं। लेकिन, यह सही है कि पिछले करीब 5 महीनों से जारी गिरावट की वजह से वैल्यूशन घटी है। अभी निफ्टी की वैल्यूएशन एक साल के फॉरवर्ड अर्निंग्स का 19.1 गुना है। यह लंबी अवधि के औसत 20.5 गुना वैल्यूएशन से कम है। बॉन्ड यील्ड और अर्निंग्स यील्ड के बीच के फर्क को देखने से पता चलता है कि यह फर्क घट रहा है। जब मार्केट में गिरावट आती है तो यह फर्क घट जाता है, जबकि मार्केट के पीक पर होने पर यह फर्क बढ़ जाता है।
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पिछले 18 सालों में निफ्टी इंडेक्स के लिए यह मीडियन गैप 1.3 फीसदी है। इसका मतलब है कि यहां से निफ्टी में और 4.5 फीसदी की गिरावट। अगर निफ्टी 22,800 के लेवल से और 4 फीसदी गिरता है तो यह 21,900 पर आ जाएगा। अगर बीते 18 सालों में बॉन्ड और अर्निंग्स यील्ड के बीच के गैप को देखा जाए तो इसका मिड प्वाइंट 1.8 फीसदी आता है। इसका मतलब निफ्टी का 24,000 का लेवल है। इसे 2025 के लिए निफ्टी के काफी खराब टारगेट कहा जा सकता है।
सवाल है कि क्या इस टारगेट के बीच आपको निवेश करना चाहिए? एक्सपर्ट्स का कहना है कि आपको मार्केट के शोरगुल पर ध्यान दिए बगैर धीरे-धीरे लार्जकैप स्टॉक्स में निवेश करना चाहिए।