Stock market: भारतीय इक्विटी इंडेक्स 7 फरवरी को लगातार तीसरे सत्र में गिरावट के साथ बंद हुए और निफ्टी 23,600 से नीचे आ गया। कारोबारी सत्र के अंत में सेंसेक्स 197.97 अंक या 0.25 फीसदा की गिरावट के साथ 77,860.19 पर और निफ्टी 43.40 अंक या 0.18 फीसदी की गिरावट के साथ 23,559.95 पर बंद हुआ। आज लगभग 1468 शेयरों में तेजी आई, 2293 शेयरों में गिरावट आई और 139 शेयरों में कोई बदलाव नहीं हुआ। निफ्टी पर ओएनजीसी, आईटीसी, ब्रिटानिया, एसबीआई, अडानी पोर्ट्स आज के टॉप लूजर रहे। जबकि टाटा स्टील, भारती एयरटेल, ट्रेंट, जेएसडब्ल्यू स्टील, हिंडाल्को आज के टॉप गेनर रहे।
निफ्टी मिडकैप इंडेक्स में मामूली बढ़त रही। जबकि स्मॉलकैप इंडेक्स में 0.3 प्रतिशत की गिरावट रही। सेक्टोरल फ्रंट पर निफ्टी मेटल इंडेक्स में 2.6 फीसदी की बढ़ोतरी हुई, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स में 1 फीसदी की बढ़ोतरी हुई और ऑटो इंडेक्स में 0.7 फीसदी की बढ़ोतरी हुई। जबकि पीएसयू बैंक, एफएमसीजी, मीडिया, ऑयल एंड गैस में 1 फीसदी की गिरावट आई।
वीकली बेसिस पर देखें तो बाजार में मामूली बढ़त दर्ज की गई और यह लगातार दूसरे सप्ताह बढ़त के साथ बंद हुआ। फार्मा और मेटल इंडेक्सों में सबसे ज्यादा बढ़त हुई। इनमें से प्रत्येक में 3 फीसदी की बढ़त हुई। एफएमसीजी इंडेक्स में सबसे अधिक गिरावट रही।
एलकेपी सिक्योरिटीज के वरिष्ठ तकनीकी विश्लेषक रूपक डे का कहना है कि RBI गवर्नर द्वारा मौद्रिक नीति की घोषणा के बाद भी निफ्टी में उतार-चढ़ाव देखने को मिला। हालांकि,उतार-चढ़ाव के बावजूद डेली टाइम फ्रेम पर निफ्टी 21 EMA से नीचे नहीं गया। यह एक पॉजिटिव शॉर्ट टर्म ट्रेंड का संकेत है। जब तक निफ्टी 23,450 से ऊपर बना रहेगा,तब तक ट्रेंड पॉजिटिव रहने की संभावना है। ऊपर की तरफ 23,700 पर रेजिस्टेंस। 23,700 से ऊपर जानें पर निफ्टी में 24,050 की ओर रैली देखने को मिल सकती है।
मेहता इक्विटीज के प्रशांत तापसे का कहना है कि ब्याज दरों में कटौती से कोई बड़ा आश्चर्य नहीं हुआ। साथ ही निवेशकों को नए आरबीआई गवर्नर की टिप्पणियों में कुछ भी दिलचस्प नहीं दिखा। इसके चलते बैंकिंग, तेल और गैस, एफएमसीजी और पावर शेयरों में मुनाफावसूली जारी रही। कंपनियों के नतीजे भी मिलेजुले रहे हैं। वहीं, एफआईआई द्वारा घरेलू बाजार में हो रही लगातार बिक्री को देखते हुए निवेशक सावधानी बरतने के मूड में हैं।
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के रिसर्च हेड विनोद नायर का कहना है कि धीमी पड़ती अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के उद्देश्य से दरों में कटौती एक पॉजिटिव संकेत है। हालांकि, उम्मीद के मुताबिक नकदी बढ़ाने के उपायों की अनुपस्थिति से निवेशकों को निराशा हुई। इसके चलते बाजार में मुनाफावसूली हुई। इसके अलावा ग्लोबल ट्रेड पॉलिसी और महंगाई से जुड़ी चिंताओं के चलते शॉर्ट टर्म ग्रोथ के पूर्वानुमान में कटौती से पता चलता है कि केंद्रीय बैंक भविष्य में दरों में समायोजन के लिए सतर्क और चरणगत नजरिया अपनाएगा।
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