Stock market : 29 सितंबर के उतार-चढ़ाव भरे कारोबारी सत्र में भारतीय शेयर इंडेक्स सपाट बंद हुए हैं। कारोबारी सत्र के अंत में सेंसेक्स 61.52 अंक या 0.08 प्रतिशत की गिरावट के साथ 80,364.94 पर और निफ्टी 19.80 अंक या 0.08 प्रतिशत की गिरावट के साथ 24,634.90 पर बंद हुआ है। आज लगभग 1837 शेयरों में तेजी, 2163 शेयरों में गिरावट और 171 शेयरों में कोई बदलाव नहीं हुआ है।
बीएसई मिडकैप इंडेक्स 0.3 प्रतिशत बढ़ा है। जबकि, स्मॉलकैप इंडेक्स मामूली रूप से गिरा है। एक्सिस बैंक, मारुति सुजुकी, एलएंडटी, अपोलो हॉस्पिटल्स, डॉ रेड्डीज लैब्स निफ्टी पर सबसे ज्यादा गिरने वाले शेयरों में शामिल रहे हैं, जबकि इटरनल, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स, इंडसइंड बैंक, टाइटन कंपनी और विप्रो के शेयर बढ़त में रहे हैं।
तेल एवं गैस, पीएसयू बैंक, एनर्जी और रियल्टी इंडेक्स में 1 फीसदी तक की तेजी देखने को मिली है। जबकि, मीडिया इंडेक्स में लगभग 1 प्रतिशत की गिरावट आई है।
आगे कैसी रह सकती है बाजार की चाल
एलकेपी सिक्योरिटीज के तकनीकी विश्लेषक वत्सल भुवा का कहना है कि सोमवार को शुरुआत में निफ्टी में हल्का उछाल देखने को मिला लेकिन ऑवरली चार्ट पर 20-ईएमए के पास बिकवाली का दबाव रहा,जिससे डेली चार्ट पर दिन का अंत में ये कमजोरी के साथ बंद हुआ। डेरिवेटिव डेटा से पता चलता है कि 24,600 और 24,500 स्ट्राइक पर पुट राइटिंग हुई है। ये अब तत्काल सपोर्ट का काम कर सकता है। जबकि 24,700 और 24,800 पर कॉल राइटर्स ने रेजिस्टेंस होने का संकेत दिया है। इन तकनीकी और डेरिवेटिव संकेतों के आधार पर, निफ्टी के 24,500-24,850 के शार्ट टर्म दायरे में मंडराने और एक साइडवेज-टू-बेयरिश अंडरटोन के साथ कारोबार करने की उम्मीद है। नई तेजी पकड़ने के लिए इसे 50-डे ईएमए से ऊपर एक मजबूत चाल दिखानी होगी।
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के आनंद जेम्स का कहना है कि निफ्टी जुलाई के मध्य के अपने हाई से लगातार सातवें सत्र में फिसलता दिखा है जो सितंबर-मार्च के मंदी के दौर की शुरुआत जैसा है। सुस्त स्टोकेस्टिक के ओवरसोल्ड जोन की ओर बढ़ने के साथ, हमें इस सप्ताह की शुरुआत में साइडवेज मूवमेंट या पुलबैक की उम्मीद है। 24,500 तक के संभावित गिरावट से पहले निफ्टी एक बार 24,720-24,830 या 24,970 तक भी चढ़ सकता।
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के चीफ इंवेस्टमेंट स्ट्रेटेजिस्ट वी के विजयकुमार ने कहा कि पिछले एक साल में एफपीआई ने भारत से 21 अरब डॉलर निकाले हैं, जो इस अवधि में उभरते बाजारों में सबसे हुई सबसे बड़ी निकासी। इससे डॉलर के मुकाबले रुपये में 3.5 फीसदी की गिरावट भी आई है। भारत में महंगा वैल्यूएशन और सुस्त अर्निंग ग्रोथ बाजार पर दबाव की मुख्य वजह बने हुए हैं। बाजार लगातार छह सत्रों से नीचे की ओर जा रहा है, जिससे निफ्टी 24,800 के सपोर्ट ज़ोन से नीचे आ गया है। तकनीकी रूप से बाजार कमज़ोर ज़रूर है, लेकिन अब यह ओवरसोल्ड हो चुका है और इसमें शॉर्ट टर्म उछाल देखने को मिल सकता है। हालांकि,किसी भी तेजी को बरकरार रखने के लिए, अमेरिका के साथ ट्रेड डील पर प्रगति जैसे पॉजिटिव संकेत ज़रूरी हैं।
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