Stock market : सेंसेक्स की वीकली एक्सपायरी के दिन बाजार में बिकवाली देखने को मिली है। सेंसेक्स-निफ्टी गिरावट के साथ बंद हुए हैं। बैंक निफ्टी में भी करीब 1 फीसदी की गिरावट आई है। रियल्टी, IT, तेल-गैस शेयरों में बिकवाली रही। डिफेंस शेयरों में लगातार दूसरे दिन गिरावट देखने को मिली। मेटल, बैंकिंग और ऑटो शेयरों में बिकवाली रही। निफ्टी 262 प्वाइंट गिरकर 24,684 पर बंद हुआ है। वहीं, सेंसेक्स 873 प्वाइंट गिरकर 81,186 पर बंद हुआ है। निफ्टी बैंक 543 प्वाइंट गिरकर 54,877 पर बंद हुआ है। मिडकैप 923 प्वाइंट गिरकर 56,183 पर बंद हुआ है। निफ्टी के 50 में से 42 शेयरों में गिरावट रही। सेंसेक्स के 30 में से 27 शेयरों में गिरावट देखने को मिली। निफ्टी बैंक के 12 में से 11 शेयरों में गिरावट रही।
आगे कैसी रह सकती है बाजार की चाल
अमेरिका और भारत के बीच संभावित ट्रेड डील को लेकर जागी उम्मीदें कमजोर पड़ रही हैं। खासकर चीन और ब्रिटेन द्वारा वाशिंगटन के साथ सफलतापूर्वक समझौते किए जाने के बाद निवेशक अब भारत-अमेरिका ट्रेड डील पर स्पष्टता चाहते हैं। मार्केट एक्सपर्ट्स का कहना है कि जब तक ट्रेड डील को लेकर स्पष्टता नहीं आ जाती, घरेलू बाजार सीमित दायरे में ही घूमता रह सकता है।
एक्सपर्ट्स का कहना है कि अमेरिका वर्तमान में भारत सहित कई देशों के साथ टैरिफ पर बातचीत कर रहा है। जब तक हमें उन वार्ताओं के नतीजों पर स्पष्टता नहीं मिल जाती, तब तक बाजार सीमित दायरे में रहने की संभावना है। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत तीन चरणों में अमेरिका के साथ व्यापार समझौते पर चर्चा कर रहा है और जुलाई से पहले दोनों देशों के एक अंतरिम समझौते पर पहुंचने की उम्मीद है।
जियोजित इन्वेस्टमेंट्स के वी.के.विजयकुमार का कहना है कि निकट भविष्य में बाजार कंसोलीडेशन के फेज में जा सकता। हाई वैल्यूएशन के कारण तेजी सीमित रहेगी तथा संस्थागत निवेशकों की बिकवाली बढ़ेगी। अमेरिका की क्रेडिट रेटिंग में गिरावट से फाइनेंशियल मार्केट में बेचैनी की स्थिति पैदा हो गई है। हालांकि इससे निकट भविष्य में कोई खतरा नहीं है,लेकिन इससे अनिश्चितता बढ़ेगी।
एक्सपर्ट्स का यह भी कहना है कि मिड और स्मॉलकैप स्पेस के अधिकांश शेयरों और कई लार्ज कैप कंपनियों के वैल्यूएशन काफी महंगे दिख रहे है। ऐसे में मिड टर्म में अच्छे रिटर्न की उम्मीदें कम ही रहेंगी।
मार्केट एक्सपर्ट्स का ये भी कहना है कि अमेरिका के साथ ट्रेड डील और पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना द्वारा ब्याज दरों में कटौती के बाद चीन के बाजार के लिए बेहतर संभावनाएं बनी हैं। ऐसे में विदेशी पूंजी कुछ समय के लिए चीन की ओर जा सकती है। हालांकि यह एक शॉर्ट टर्म इवेंट हो सकता है, लेकिन इससे घरेलू बाजार पर थोड़ा दबाव पड़ सकता है।
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