Stock market: 7 अप्रैल को बेंचमार्क इंडेक्सों में 10 महीने की सबसे बड़ी गिरावट देखने को मिली। इसके बाद दलाल स्ट्रीट पर मंदड़ियों ने अपनी पकड़ मजबूत कर ली। अमेरिका द्वारा लगाए गए रिसीप्रोकल टैरिफ के कारण ट्रेड वॉर और मंदी की आशंकाओं के कारण दुनिया भर में निवेशकों के सेंटीमेंट पर निगेटिव असर हुआ है। सभी सेक्टोरल इंडेक्स लाल निशान में बंद हुए है। मेटल इंडेक्स में 6.7 फीसदी, रियल्टी में 5.6 फीसदी और मीडिया, पीएसयू बैंक, ऑटो, एनर्जी और आईटी 2.5-4 फीसदी नीचे बंद हुए हैं।
कारोबारी सत्र के अंत में सेंसेक्स 2,226.79 अंक या 2.95 फीसदी की गिरावट के साथ 73,137.90 पर और निफ्टी 742.85 अंक या 3.24 फीसदी की गिरावट के साथ 22,161.60 पर बंद हुआ। इस बिकवाली से निवेशकों वेल्थ 12 लाख करोड़ रुपये से अधिक घट गई है। बीएसई पर लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैप पिछले कारोबारी सत्र के 403 लाख करोड़ रुपये से घटकर 390 लाख करोड़ रुपये रह गया है।
ट्रेंट, टाटा स्टील, जेएसडब्ल्यू स्टील, हिंडाल्को इंडस्ट्रीज, श्रीराम फाइनेंस और एलएंडटी निफ्टी के टॉप लूजर रहे हैं। जबकि, जोमैटो और हिंदुस्तान यूनिलीवर निफ्टी के टॉप गनरों में रहे हैं। बीएसई मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्सों में क्रमशः 3.4 फीसदी और 4 फीसदी की गिरावट आई।
बीएसई पर 770 से ज्यादा स्टॉक आज 52-सप्ताह के निचले स्तर पर पहुंच गए। इनमें सीमेंस, जिंदल सॉ, पंजाब एंड सिंध बैंक, थर्मैक्स, स्वान एनर्जी, नाल्को, इंटेलेक्ट डिजाइन, सोभा, हिंदुस्तान कॉपर, सम्मान कैपिटल, भारत फोर्ज, डीएलएफ, गोदरेज प्रॉपर्टीज, इंडियामार्ट इंटरमेश, स्टर्लिंग विल्सन, टीबीओ टेक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र, जिंदल स्टेनलेस, हैप्पिएस्ट माइंड्स शामिल हैं।
रिसर्च एंड वेल्थ मैनेजमेंट के हेड सिद्धार्थ खेमका ने मनीकंट्रोल से बातचीत में कहा बाजार में आई बिकवाली की मुख्य वजह ग्लोबल ट्रेड वॉर का डर और इसक चलते ग्लोबल इकोनॉमी के मंदी में जाने की आशंका है। चीन, कनाडा और यूरोपीय संघ सहित कई देशों ने अमेरिकी चीजों पर जवाबी टैरिफ की बात कही है। अब टैरिफ बढ़ोतरी के अगले चरण से पहले कोई समझौता हो पाएगा या नहीं, इस बारे में अनिश्चितता बाजार में घबराहट पैदा कर रही है।
खेमका ने घबराहट में बिक्री करने या जोखिम भरे दांव लगाने से बचने की सलाह दी है। इसके बजाय,उन्होंने अनुशासित तरीके से लंबे नजरिए के साथ निवेश की सलाह दी है। उनका कहना है कि निवेशकों को इस गिरावट का इस्तेमाल फंडामेंटली मजबूत और घरेलू इकोनॉमी निर्भर कंपनियों में धीरे-धीरे खरीदारी शुरू करने के लिए करना चाहिए। उनको कंजम्प्शन, फाइनेंशियल और बैंकिंग शेयर अच्छे लग रहे हैं। ये सेक्टर ग्लोबल जोखिम से जुड़े आईटी, फार्मा और मेटल जैसे सेक्टरों की तुलना में ज्यादा सुरक्षित लग रहे हैं।
उन्होंने कहा कि खपत जैसी घरेलू इकोनॉमी पर आधारित थीम भारत के लिए सबसे मजबूत लॉन्ग टर्म बेट बने हुए हैं। हालांकि इनसे शर्ट टर्म में बहुत ज़्यादा रिटर्न की उम्मीद नहीं है। लेकिन मंदी के दौर में वे बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं। तेल वितरण कंपनियों और एविएशन जैसे कच्चे तेल से जुड़े सेक्टरों को भी तेल की गिरती कीमतों से फ़ायदा मिल सकता है।
प्रोग्रेसिव शेयर्स के निदेशक आदित्य गग्गर का कहना है कि टंप के टैरिफ ने ग्लोबल बाजार में मंदी को बल दिया। भारतीय बाजार भी मंदी से बच नहीं पाए। नए हफ्ते की शुरुआत बेहद खराब नोट पर हुई है। इस कारोबारी हफ्ते की शुरुआत 1,000 से अधिक अंकों की गिरावट के साथ हुई। कारोबार के अंत में निफ्टी 742.85 अंकों की बड़ी गिरावट के साथ 22,161.60 पर बंद हुआ। सभी सेक्टरों में लगातार बिकवाली का दबाव बना रहा। मेटल और रियल्टी शेयरों में सबसे ज्यादा गिरावट रही। 3.50 फीसदी से ज्यादा की गिरावट के साथ,मिड और स्मॉलकैप ने फ्रंटलाइन इंडेक्स से कमजोर प्रदर्शन किया।
इंडेक्स के लिए तत्काल सपोर्ट 21,750 पर नजर आ रहा है। जबकि रेजिस्टेंस 22,300 के आसपास है। शॉर्ट टर्म में, बाजार की दिशा टैरिफ से संबंधित खबरों से तय है। अगर इस फ्रंट से कोई अच्छा समाचार मिलता है तो बाजार में तेज रिकवरी हो सकती है। दूसरी ओर टैरिफ से जुड़ी नकारात्मक खबरें बाजार को निचले स्तरों पर धकेल सकती हैं।
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