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Maruti Shares Fall: आखिर क्यों टूटे मारुति के शेयर? गिरावट का है चीन से कनेक्शन!

Maruti Shares Fall: कार बनाने वाली देश की सबसे बड़ी कंपनी मारुति सुजुकी के शेयरों में आज बिकवाली का दबाव दिखा। इसके शेयरों में बिकवाली का यह दबाव लंबे समय से इंतजार की जा रही इसकी इलेक्ट्रिक एसयूवी e-Vitara को लेकर हुए एक खुलासे पर आया। जानिए कि इस इलेक्ट्रिक एसयूवी को लेकर कंपनी ने क्या खुलासा किया जिसने शेयरों को तोड़ दिया?

अपडेटेड Jun 11, 2025 पर 3:56 PM
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अनुमान है कि रेयर अर्थ मैगनेट्स की कमी का असर दूसरी ऑटो कंपनियों के प्लान पर भी पड़ेगा।

Maruti Shares Fall: देश की सबसे बड़ी कार कंपनी मारुति सुजुकी इंडिया की इलेक्ट्रिक एसयूवी ई-विटारा (e-Vitara) का इंतजार लंबे समय से हो रहा है। अब सामने आय रहा है कि इसके लॉन्च में देरी हो सकती है। इस खुलासे पर शेयर धड़ाम से गिर गए। सीएनबीसी-टीवी18 को सूत्रों के हवाले से जो जानकारी मिली है, उसके मुताबिक यह झटका ऐसे समय में आया है, जब चीन ने रेयर-अर्थ मैग्नेट्स के निर्यात पर सख्ती की है। इसे अमेरिका की ट्रंप सरकार की टैरिफ नीतियों के जवाब के रूप में देखा जा रहा है। इसके चलते मारुति को भी झटका लगा और इसकी आंच में शेयर भी झुलस गए। आज बीएसई पर यह 0.47% की गिरावट के साथ ₹12475.50 पर बंद हुआ है। इंट्रा-डे में यह 1.09% फिसलकर ₹12397.85 तक आ गया था।

e-Vitara के लिए अब आगे क्या?

मैग्नेट की दिक्कतों के चलते मारुति सुजुकी ने इस वित्त वर्ष 2026 में इलेक्ट्रिक गाड़ियों के उत्पादन का टारगेट 88 हजार यूनिट से घटाकर 67 हजार यूनिट कर दिया है। पहले लक्ष्य इस साल सितंबर तक 26.5 हजार यूनिट बनाने का था लेकिन अब घटाकर महज 8200 यूनिट कर दिया गया है। शुरुआती दिक्कतों के बावजूद मारुति सुजुकी को उम्मीद है कि अक्टूबर से उत्पादन में तेजी आएगी। ई-विटारा का उत्पादन पहले से ही चल रहा है, लेकिन सीमित मात्रा में ही। ई-विटारा मारुति की पहली इलेक्ट्रिक एसयूवी है और इसे भारत से पहले जापान और यूरोप में लॉन्च करने की योजना थी। फिलहाल जो देरी हो रही है, उससे कंपनी की स्ट्रैटेजी पर असर पड़ा है लेकिन सूत्रों के मुताबिक लॉन्ग टर्म योजनाओं में कोई बदलाव नहीं हुआ है।


सिर्फ Maruti को ही नहीं है दिक्कत

मैग्नेट की किल्लत के चलते सिर्फ मारुति को ही दिक्कत नहीं हो रही है। दोपहिया कंपनियां बजाज ऑटो और टीवीएस मोटर कंपनी पहले ही चिंता जता चुकी हैं और चेतावनी दी है कि इसके चलते अगले महीने की शुरुआत में ही उत्पादन ठप हो सकता है। एक्सिस सिक्योरिटीज के श्रीधर कल्लनी के मुताबिक दुनिया भर का करीब 90% चुंबक चीन से आता है तो ऐसे में विकल्प ढूंढना न तो आसान है और न ही तेज। श्रीधर के मुताबिक चीन के विकल्प में अगर मलेशिया, वितयनाम और ऑस्ट्रेलिया के पास जाएं तो इतने बड़े पैमाने पर मैग्नेट की भरपाई नहीं हो पाएगी और भाव भी सही नहीं मिल पाएगा। इसके अलावा नए स्रोतों का परीक्षण और सत्यापन करने में वर्षों लग सकते हैं। इस बीच कॉमर्स मिनिस्टर पीयूष गोयल ने स्विट्जरलैंड के बर्न से कहा कि भारत कूटनीतिक प्रयासों और सप्लाई चेन डेवलपमेंट के जरिए सक्रिय रूप से विकल्प तलाश रहा है। भारतीय दूतावास ने चीनी अधिकारियों के साथ चर्चा शुरू कर दी है और कॉमर्स मिनिस्ट्री इस मुद्दे को सुलझाने में लगा हुआ है।

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डिस्क्लेमर: यहां मुहैया जानकारी सिर्फ सूचना के लिए दी जा रही है। यहां बताना जरूरी है कि मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है। निवेशक के तौर पर पैसा लगाने से पहले हमेशा एक्सपर्ट से सलाह लें। मनीकंट्रोल की तरफ से किसी को भी पैसा लगाने की यहां कभी भी सलाह नहीं दी जाती है।

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First Published: Jun 11, 2025 1:08 PM

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