अनाप शनाप मेडिकल बिलिंग के लिए प्राइवेट अस्पताल इंपोर्टेड उपकरणों का इस्तेमाल करते हैं। मेडिकल डिवाइस बनाने वाली घरेलू कंपनियों ने सरकार से इसकी शिकायत की है। इंडस्ट्री का आरोप है कि प्राइवेट हॉस्पिटल्स बिना MRP या ज्यादा MRP वाले इंपोर्टेड डिवाइस की कीमत को जबरन मरीजों के बिल में जोड़ते हैं ताकि ज्यादा कमाई की जा सके। प्राइवेट अस्पताल में इलाज महंगा होने की एक वजह है, ग्लव्स, मास्क, पीपीई किट, सिरींज, कैनुला और नीडल्स जैसे कंज्यूमेबल्स आईटम्स जो इंपोर्टेड होते हैं। इन पर या तो MRP बढ़ा-चढ़ाकर लिखी जाती है या फिर MRP होती ही नहीं है। जबकि घरेलू कंपनियां बड़े पैमाने पर इनका उत्पादन करती हैं और सस्ते में एक्सपोर्ट भी करती हैं।
वाणिज्य मंत्रालय में हाल में हुई एक बैठक में घरेलू मेडिकल इक्विपमेंट कंपनियों ने सरकार से शिकायत की है कि प्राइवेट हॉस्पिटल्स घरेलू कंपनियों की बजाय इम्पोर्ट को तरजीह देते हैं।
सीएनबीसी आवाज़ को सूत्रों से जानकारी मिली है कि इस मुद्दे पर अब वाणिज्य मंत्रालय NPPA यानि नेशलन फार्मास्यूटिकल्स प्राईसिंग अथॉरिटी और स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ बैठक करके ये मुद्दा उठा सकता है ताकि इलाज और सर्जरी में इस्तेमाल होने वाले कॉमन मेडिकल उपकरणों की कीमतों को कैप किया जा सके।
बैठक में ये भी बताया गया कि मामूली ड्यूटी देकर इम्पोर्ट किए गए माल पर ज्यादा मार्जिन और कमीशन का लालच भी दिया जाता है। लिहाजा प्राइवेट हॉस्पिटल्स की दिलचस्पी घरेलू मेडिकल डिवाईस इंडस्ट्री में बिल्कुल नहीं होती।