METAL SECTOR OUTLOOK: आनंद राठी के लीड एनालिस्ट पार्थिव झोंसा से जानें, क्या चीन की इकोनॉमी में हलचल से बढ़ेगी मेटल की डिमांड
Metal stocks: आज जेएसपीएल , हिंडाल्को, कोल इंडिया और जेएसडब्ल्यू स्टील में जोरदार तेजी देखने को मिली है। मेटल सेक्टर पर बात करते हुए पार्थिव झोंसा का कहना है कि चीन में आर्थिक पैकेज से प्रॉपर्टी सेक्टर को राहत संभव है। इस छोटी अवधि में प्रॉपर्टी सेक्टर को सपोर्ट मिलेगा। लेकिन लंबी अवधि में राहत पैकेज का खास असर नहीं होगा
SECTOR SCAN : पार्थिव झोंसा ने आगे कहा कि राहत पैकेज से 30-40 लाख घरों को फायदा संभव है। घरेलू डिमांड घटने से चीन स्टील बाहर डंप करता है। चीन की डंपिग से स्टील कीमतों पर दबाव बढ़ता है
Metal stocks : मेटल शेयरों में आज जोरदार चमक देखने को मिली है। दरअसल, US फेड के बाद चीन के सेंट्रल बैंक ने भी दरों में कटौती का एलान किया है। इस रेट कट से लिक्विडिटी के साथ इकोनॉमिक ग्रोथ की रफ्तार भी बढ़ेगी। जाहिर है कि इसका फायदा रियल्टी, मेटल जैसे सेक्टर को होगा। इसलिए आज सेक्टर स्कैन में सीएनबीसी-आवाज़ पर मेटल स्पेस पर खास चर्चा की जा रही है। मेटल सेक्टर के आउटलुक पर खास चर्चा के लिए आवाज़ साथ हैं आनंद राठी इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज के लीड एनालिस्ट पार्थिव झोंसा (PARTHIV JHONSA) जो कि मेटल एंड माइनिंग स्पेस पर नजर रखते हैं।
आज जेएसपीएल (jspl), हिंडाल्को (hindalco), कोल इंडिया (coal india) और जेएसडब्ल्यू स्टील (jsw steel) में जोरदार तेजी देखने को मिली है। जेएसपीएल आज 20.20 रुपए यानी 1.98 फीसदी की बढ़त के साथ 1041.55 रुपए के स्तर पर बंद हुआ है। वहीं, हिंडाल्को 27.30 रुपए यानी 3.95 फीसदी की बढ़त के साथ 717.85 रुपए के स्तर पर बंद हुआ है। कोल इंडिया भी 3.70 रुपए यानी 0.74 फीसदी की तेजी लेकर 505 रुपए के आसपास बंद हुआ है।
मेटल सेक्टर पर पार्थिव झोंसा की राय
मेटल सेक्टर पर बात करते हुए पार्थिव झोंसा का कहना है कि चीन में आर्थिक पैकेज से प्रॉपर्टी सेक्टर को राहत संभव है। इस छोटी अवधि में प्रॉपर्टी सेक्टर को सपोर्ट मिलेगा। लेकिन लंबी अवधि में राहत पैकेज का खास असर नहीं होगा। चीन के प्रॉपर्टी सेक्टर में 4 साल से सुस्ती का माहौल है। चीन में प्रॉपर्टी इंवेंटरी घटने पर ही मेटल डिमांड बढ़ेगी। प्रॉपर्टी बाजार की सु्स्ती दूर होने पर मेटल को फायदा होगा।
चीन में प्रॉपर्टी प्राइस में गिरावट से संकट बढ़ा
इस बातचीत में पार्थिव झोंसा ने आगे कहा कि राहत पैकेज से 30-40 लाख घरों को फायदा संभव है। घरेलू डिमांड घटने से चीन स्टील बाहर डंप करता है। चीन की डंपिग से स्टील कीमतों पर दबाव बढ़ता है। चीन से कैलंडर ईयर 2024 में 10 करोड़ टन से ज्यादा का एक्सपोर्ट संभव है। कुछ हफ्तों से स्टील इंवेंटरी में कमी के संकेत मिल रहे हैं।
पार्थिव ने आगे कहा कि चीन की सरकार द्वारा हाल ही में घोषित प्रोत्साहन, अतीत में टुकड़ों-टुकड़ों में दिए गए प्रोत्साहन तुलना में काफी महत्वपूर्ण है। हालांकि यह प्रोत्साहन निकट भविष्य में चीन में प्रॉपर्टी सेक्टर को फायदा दे सकता है। लेकिन लंबे समय में यह पिछले चार सालों में सेक्टर में आई सुस्ती के कारण पूरी तरह से बदलाव लाने के लिए अपर्याप्त साबित होगा।
कोविड के बाद, चीन की सरकार द्वारा प्रोत्साहन दिए जाने की उम्मीद में मेटल सेक्टर में तेजी आई और उसके बाद इसकी कीमतों में करेक्शन देखने को मिला। इसी तरह का एक्शन हाल ही में भी देखने को मिला है। पार्थिव का मानना है कि जब तक प्रॉपर्टी की कीमतों में गिरावट को काबू में नहीं किया जाता और जब तक बिना बिकी इन्वेंट्री कम नहीं होती तब तक इस सेक्टर पर दबाव जारी रहेगा।
पार्थिव के मुताबिक चीन में रियल एस्टेट सेक्टर के सामने खड़ी चुनौतिया संरचनात्मक है, क्योंकि देश के टॉप 70 शहरों में से 66 में कीमतें गिर रही हैं। हालांकि हाल ही में घोषित प्रोत्साहन से 3-4 मिलियन घरों को फायदा मिलने की उम्मीद है, लेकिन ब्लूमबर्ग डेटा के मुताबिक वर्तमान में अधूरे घरों की सूची 48 मिलियन है, जिसे पूरा होने में लगभग 7 साल लगेंगे।
वर्ष 2024 में चीन का निर्यात 100 मिलियन टन से अधिक होने की उम्मीद
पार्थिव का कहना है कि ऐतिहासिक रूप से यह देखने को मिला है कि जब भी चीन घरेलू मांग में दबाव से जूझ रहा होता है, तो वह अंतरराष्ट्रीय बाजारों में स्टील डंप करना शुरू कर देता है। इसका सीधा असर मेटल और कच्चे माल की कीमतों पर पड़ता है क्योंकि चीन में सेंटिमेंट अनुकूल नहीं होता है। जब चीन ने वर्ष 2015 और वर्ष 2016 में भारी मात्रा में निर्यात किया, तो कीमतें पूरे साल दबाव में रहीं। हाल के महीनों में भी इसी तरह की स्थिति देखने को मिली है। उम्मीद है कि वर्ष 2024 में चीन का निर्यात 100 मिलियन टन से अधिक हो जाएगा।
चीन में दिखे कुछ अच्छे संकेत
हालांकि, पिछले कुछ हफ़्तों के दौरान चीन के लोकल बाज़ार में कुछ अच्छे संकते दिखे हैं। इंफ्रास्ट्रक्चर आधारित स्टील इन्वेंट्री (विशेष रूप से लॉन्ग और वायर रॉड) में सप्ताह दर सप्ताह कमी आई है। इसी तरह, BoF उपयोग दर में भी पिछले 3 हफ़्तों में लगातार सुधार देखने को मिला है जो 84% (उत्पादन 2.2 मिलियन टन/प्रति दिन को पार कर गया) को पार कर गया है। लेकिन HRC चीन में 30-35/ प्रति टन डिस्काउंट पर कारोबार करने के साथ संघर्ष करता दिख रहा है।
भारत में भी इसी तरह का रुझान देखने को मिल रहा है। यहां ऐतिहासिक रूप से HRC, लॉन्ग की तुलना में प्रीमियम प्रोडक्ट रहा है। वर्तमान में लॉन्ग उत्पादों पर डिस्काउंट 2,900 रुपये प्रति टन है। फ्लैट्स के आयात में बढ़त से एचआरसी की कीमतों पर दबाव बना हुआ है। चीन से होने वाला आयात वर्तमान में घरेलू कीमतों से 8-9 फीसदी सस्ता है।
हालांकि, लॉन्ग स्टील में हाल ही में ये अंतर 5,000 रुपये प्रति टन से घटकर 4,300 रुपये प्रति टन हो गया है। जब अंतर कम होता है, तो इससे प्राइमरी लॉन्ग स्टील उत्पादकों को मदद मिलती है। लॉन्ग स्टील में IF ग्रेड का दबदबा है।
अक्सर यह देखने को मिलता है कि अगर चीन में अयस्क का बंदरगाह स्तर का भंडारण लगातार बढ़ रहा है, तो कीमतों में गिरावट आती है क्योंकि ताजा अयस्क की खरीद के लिए कोई खरीदार नहीं होता। दोनों के बीच विपरीत संबंध है। वर्तमान में बंदरगाह का भंडार 145 मीट्रिक टन के रिकॉर्ड स्तर पर है। इसके अलावा, सप्लाई साइड पर, कुछ बड़े माइनरों से होने वाला रिकॉर्ड उत्पादन कच्चे माल की कीमतों पर दबाव डालना जारी रखेगा।
हालांकि कोकिंग कोल की कीमतें अब 200 डॉलर प्रति टन से कम हैं। सभी टियर-I मिलों के पास कुछ सप्ताह/महीनों का स्टॉक है। इसका बड़ा फायदा तीसरी तिमाही में मिलने की उम्मीद है।
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