आरबीआई ने हाल में कुछ एनबीएफसी और एमएफआई के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की है। उन पर ग्राहकों से लोन पर ज्यादा इंटरेस्ट वसूलने सहित कई दूसरे नियमों के उल्लंघन के आरोप हैं। इस बारे में माइक्रोफाइनेंस इंस्टीट्यूशंस नेटवर्क (एमफिन) के सीईओ आलोक मिश्रा ने स्थिति स्पष्ट करने की कोशिश की है। उन्होंने कहा है कि लोन पर ज्यादा इंटरेस्ट वसूलने पर कुछ एनबीएफसी-एमएफआई के खिलाफ आरबीआई की कार्रवाई का मतलब यह नहीं है कि यह समस्या पूरी इंडस्ट्री में है। उन्होंने कहा कि एमफिन नियमित रूप से मेंबर्स को इंटरेस्ट रेट के बारे में जानकारी देता रहता है।
आरबीआई ने चार कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई की है
मिश्रा ने मनीकंट्रोल से बातचीत में कहा कि यह पूरे इंडस्ट्री का मसल नहीं है। यह सिर्फ कुछ एनबीएफसी या एमएफआई तक सीमित है। आरबीआई ने 17 अक्टूबर को चार एनबीएफसी और एनबीएफसी-एमएफआई के खिलाफ कार्रवाई की थी। उन्हें लोन का सैंक्शन और डिस्बर्सल नहीं करने को कहा गया था। इनमें Asirvad Micro Finance, Arohan Financial, DMI Finance और Navi Finserv शामिल हैं।
इन कंपनियों पर नियमों के उल्लंघन के हैं आरोप
आरबीआई ने कहा है कि इन कंपनियों की प्राइसिंग पॉलिसी में गड़बड़ियां खासकर उनके वेटेड एवरेज लेंडिंग रेट (WALR) में कमियां पाई गई हैं। कॉस्ट पर फंड पर चार्ज किए गए इंट्रेस्ट स्प्रेड में भी कमियां मिली हैं। ये बहुत ज्यादा पाई गई हैं। यह नियमों के मुताबिक नहीं है। इस मामले पर मिश्रा ने कहा कि MFIN इस बारे में उन कंपनियों से बात कर रहा है, जिनके खिलाफ कार्रवाई की गई है। उन्होंने कहा कि पूरे मामले को समझने के बाद ही इस बारे में कुछ कहा जा सकता है।
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आरबीआई गवर्नर ने 7 अक्टूबर को आगाह किया था
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने 7 जून को एमएफआई को लोन पर ज्यादा इंटरेस्ट वसूलने को लेकर आगाह किया था। उन्होंने कहा था कि यह देखा गया है कि कई एमएफआई और एनबीएफस छोटे अमाउंट के लोन पर ज्यादा इंटरेस्ट रेट वसूल रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा था कि रेगुलेटेड एनटिटीज को इंटरेस्ट के मामले में जो आजादी दी गई है, उसका सही तरीके से इस्तेमाल होना चाहिए।