जियो पोलिटिकल तनाव, बढ़ती अमेरिकी बांड यील्ड और महंगे वैल्यूएशन के घातक कॉकटेल ने पिछले हफ्ते से भारतीय बाजार में बिकवाली का उन्माद जैसा पैदा कर दिया है। इस उन्माद से छोटे और मझोले शेयर, जिन्हें हाल तक ब्लू चिप्स-इन-मेकिंग कहा जाता था, सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं। इस बात को ध्यान में रखते हुए मनीकंट्रोल ने की बाजार जानकारों से बात की और उनसे जानने की कोशिश की कि इस गिरावट को देखते हुए निवेशकों को मिड और स्मॉल-कैप शेयरों के अपने पोर्टफोलियो में किस तरह की रणनीति अपनानी चाहिए।
इस पर जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के गौरांग शाह ने कहा कि अगले हफ्ते बाजार में एक डेड कैट बाउंस ( एक दो दिन की अस्थाई तेजी) देखने को मिल सकता है। बता दें कि डेट कैट बाउंस (dead cat bounce) शेयर मार्केट की बेसिक शब्दावली है। किसी बड़ी गिरावट के बाद जब बाजार में छोटी अवधि की अस्थाई तेजी आती है तो उसके लिए "डेड कैट बाउंस" शब्द का इस्तेमाल किया जाता है। अक्सर यह तेजी अल्पकालिक होती। यानी यह टिकाऊ नहीं होती। इससे बाजार में चालू ट्रेंड में बदलाव के संकेत भी नहीं मिलते हैं।
बता दें कि पिछले हफ्ते के दौरान निफ्टी मिडकैप 100 में 5.57 फीसदी और स्मॉलकैप 100 इंडेक्स में 4.76 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है। इस दौरान बेंचमार्क निफ्टी 3.56 फीसदी टूट गया है।
बॉटम-फिशिंग रणनीति के तहत गौरांग शाह ने सुझाव दिया है कि इस गिरावट में निवेशकों को केपीआईटी टेक्नोलॉजीज और साइएंट जैसे मिडकैप आईटी शेयरों में खरीदारी करनी चाहिए। गौरांग की अशोक लीलैंड, इंडियन होटल्स और केईसी इंटरनेशनल में भी खरीदारी करने की सलाह है।
इसके अलावा, तमोहरा इन्वेस्टमेंट्स (Tamohara Investments)की पोर्टफोलियो मैनेजर और रिसर्च हेड, हरिनी देधिया (Harini Dedhia) का कहना है कि ये करेक्शन निवेशकों के लिए अपने पोर्टफोलियो को मजबूत करने का एक मौका है। चाहे वह पोर्टफोलियो मिडकैप का हो या स्मॉलकैप का। उन्होंने आगे कहा कि मिडकैप शेयरों में गिरावट का इस्तेमाल पोर्टफोलियो को फिर से व्यवस्थित करने के लिए किया जाना चाहिए। इस गिरावट में कमजोर शेयरों की छंटनी करने क्वालिटी शेयरों में निवेश बढ़ाएं।
निफ्टी मिडकैप इंडेक्स में अप्रैल 2023 के बाद से जोरदार तेजी देखने को मिली है। छह महीने में ये इंडेक्स 40 फीसदी तक बढ़ गया है। फिनएज के अनिरुद्ध बोस का कहना है कि इतनी तेजी के बाद करेक्शन आना स्वाभाविक है। ये पूरे बाजार के हेल्थ के लिए अच्छी बात है। इस करेक्शन से नए निवेशकों को बाज़ार में प्रवेश करने के मौके मिल रहे हैं। इसके साथ ही हेल्दी करेक्शन बाजार में बुलबुले नहीं बनने देगा।
मार्केट एक्सपर्ट अंबरीश बालिगा का कहना है कि इस करेक्शन में डेल्हीवरी और महिंद्रा लॉजिस्टिक्स में शॉर्ट टर्म के नजरिए से खरीदारी की जानी चाहिए। वहीं, वेंचुरा सिक्योरिटीज के विनीत बोलिंजकर को मिड-कैप पैक से सुजलॉन एनर्जी पसंद आ रहा है। उनको रिन्यूएबल एनर्जी, हॉस्पिटल स्टॉक्स और कोयला स्टॉक्स अच्छे नजर आ रहे हैं।
लंबी अवधि के निवेशक क्या करें?
फिनएज के फिनएज के अनिरुद्ध बोस का कहना है कि जिन लंबी अवधि के निवेशकों ने बुनियादी तौर पर मजबूत कंपनियों में निवेश कर रखा है। उन्हें चिंता नहीं करनी चाहिए। मिडकैप फंड और स्टॉक आमतौर पर उन निवेशकों के लिए होते हैं जिनके लॉन्ग टर्म गोल होते हैं। ये गोल 7 साल या उससे ज्यादा के होते हैं।
लोटसड्यू वेल्थ एंड इन्वेस्टमेंट एडवाइजर्स के फाउंडर और सीईओ अभिषेक बनर्जी भी इस बात से सहमत हैं। उनका कहना है कि मिडकैप के लिए लॉन्ग टर्म नजरिया पॉजिटिव बना हुआ है। अधिकांश मिडकैप कंपनियों का कारोबार घरेलू अर्थव्यवस्था से जुड़ा हुआ है। इनमें से तमाम अपने सेक्टर में एकाधिकार रखती हैं। यही नहीं कुछ चुनिंदा मिडकैप बाजार की इस अफरातफरी में निवेशकों को छुपने की जगह दे सकते हैं।
जीसीएल ब्रोकिंग के वैभव कौशिक का कहना है कि सभी अहम इंडेक्स अपने 200-डे मूविंग एवरेज (डीएमए) के करीब कारोबार कर रहे हैं। ये आगे अभी और गिरावट की गुंजाइश का संकेत दे रहे हैं। निफ्टी मिडकैप सेलेक्ट इंडेक्स 8600 के आसपास मंडरा रहा है। जबकि इसका 200-डीएमए 8200 के आसपास है। उन्होंने आगे कहा कि निवेशकों इस इंडेक्स में क्लोजिंग बेसिस पर 8080 के स्टॉप-लॉस के साथ लगभग 8200 के स्तर के आसपास धीरे-धीरे खरीदारी (accumulate)करनी चाहिए।
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