इजराइल ने हिजबुल्लाह के खिलाफ जमीनी हमले शुरू कर दिए हैं। वह अमेरिका, यूरोपीय संघ सहित दुनिया के ताकतवर देशों की संघर्षविराम की अपील अनसुनी कर दी है। मिडिलईस्ट में लगातार खराब हो रहे हालात ने पूरी दुनिया की चिंता बढ़ा दी है। अब तक स्टॉक मार्केट्स पर मध्यपूर्व में टेंशन का असर नहीं पड़ा है। इंडियन मार्केट्स के प्रमुख सूचकांक रिकॉर्ड ऊंचाई के करीब बने हुए हैं। लेकिन, एनालिस्ट्स का कहना है कि अगर इजराइल को रोका नहीं गया तो मध्यपूर्व की यह चिंगारी बड़ा दावानल बन सकती है। इसकी आंच में शेयर बाजार भी झुलस सकता है। खासकर क्रूड ऑयल की कीमतों में उछाल पूरा खेल बिगाड़ सकता है।
ईरान के लड़ाई में कूदने से बिगड़ जाएंगे हालात
इजराइल (Israel) की IDF के हमले में 27 सितंबर को हिजबुल्लाह (hezbollah) चीफ हसन नसरल्लाह सहित कई सीनियर कमांडर मारे गए थे। हिजबुल्लाह ने जवाबी कार्रवाई की धमकी दी है। इससे टेंशन काफी बढ़ गया। इस बीच, आईडीएफ ने 30 सितंबर को लेबनान में खास ठिकानों को निशाना बनाने के लिए जमीने हमले शुरू कर दिए हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि जल्द हालात बेकाबू हो सकते हैं। ईरान ने अब तक खुलकर मैदान में उतरने से परहेज किया है। वह परोक्ष रूप से हिजबुल्लाह की मदद कर रहा है। लेकिन, इजराइल का आक्रामक रुख जारी रहने पर उसके सब्र का बांध टूट सकता है।
होर्मुज स्ट्रेट के रास्ते ऑयल की सप्लाई पर पड़ सकता है असर
एसएस वेल्थस्ट्रीट की फाउंडर सुगंधा सचदेवा ने मध्यपूर्व में जारी तनाव ऑयल की ग्लोबल कीमतों के लिए एक बड़ा खतरा है। खासकर इसलिए कि इसका असर स्ट्रेट ऑफ होर्मुज (Strait of Hormuz) पर पड़ सकता है। इस रास्ते से दुनिया में ऑयल की करीब 30 फीसदी सप्लाई होती है। यह ओमान और ईरान के बीच लगभग 40 किलोमीटर चौड़ी एक समुद्री पट्टी है। इस रास्ते से इंडिया सहित कई देश सऊदी अरब, इराक और यूएई से क्रूड ऑयल इंपोर्ट करते हैं।
क्रूड का भाव 87 डॉलर प्रति बैरल तक जाने का डर
ईरान ने हिजबुल्लाह चीफ पर इजराइल के हमले को गंभीरता से लिया है। अगर वह जवाबी कार्रवाई करता है तो स्ट्रेट ऑफ होर्मुज के रास्ते होने वाली सप्लाई में बाधा आ सकती है। सचदेवा ने कहा कि स्ट्रेट ऑफ होर्मुज से होने वाली सप्लाई इंडिया के लिए बहुत अहम है। इंडिया करीब 82 फीसदी ऑयल का इंपोर्ट करता है। अगर इस रास्ते में कोई बाधा आती है तो इसका सीधा असर ऑयल की कीमतों पर पड़ेगा। अभी ऑयल की कीमत 71 डॉलर प्रति बैरल के करीब है। यह बढ़कर 85-87 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकती है। क्रूड में उछाल इंडियन इकोनॉमी के लिए अच्छा नहीं होगा।
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क्रूड में उछाल का खराब असर इंडिया पर पड़ेगा
रिलायंस सिक्योरिटीज में सीनियर रिसर्च एनालिस्ट जिगर त्रिवेदी ने कहा कि अगर ईरान मध्यपूर्व की लड़ाई में शामिल हो जाता है तो क्रूड की कीमत 78-80 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकती है। इसकी वजह यह है कि ईरान ओपेक का सदस्य है। वह दुनिया में क्रूड ऑयल का बड़ा उत्पादक है। इंडिपेंडेंट मार्केट एनालिस्ट अंबरीश बालिगा ने कहा कि अगर क्रूड की कीमतों में उछाल आता है तो इसका असर इंडियन स्टॉक मार्केट्स पर पड़ेगा। इससे मार्केट में बड़ी गिरावट आ सकती है। सबसे ज्यादा गिरावट ऑयल मार्केटिंग कंपनियों के शेयरों में आएगी।
गोल्ड का भाव 3000 डॉलर तक जा सकता है
त्रिवेदी ने कहा कि मध्यपूर्व में बढ़ते टेंशन का असर गोल्ड पर दिख रहा है। इस साल गोल्ड और सिल्वर में आई तेजी में मध्यपूर्व टेंशन का भी हाथ रहा है। उन्होंने अगले चार से पांच महीनों में गोल्ड के 3,000 डॉलर प्रति औंस पहुंच जाने का अनुमान जताया। एमसीएक्स में गोल्ड का प्रािस, 76,000-78,000 रुपये प्रति 10 ग्राम जा सकता है।