कमजोर बाजार के बावजूद अक्टूबर में इक्विटी फंड निवेश 41 887 करोड़ रुपये के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा : AMFI

ओपन-एंडेड इक्विटी फंडों में होने वाला निवेश लगातार 44वें महीने पॉजिटिव जोन में बना रहा। एएमएफआई के आंकड़ों से पता चलता है कि मासिक एसआईपी के जरिए म्यूचुअल फंड में निवेश अक्टूबर में 25,322 करोड़ रुपये रहा जो सितंबर में 24,509 करोड़ रुपये के मुकाबले अब तक का उच्चतम स्तर है

अपडेटेड Nov 11, 2024 पर 5:43 PM
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म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री की ट्रेड बॉडी एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स ऑफ इंडिया (एएमएफआई) द्वारा 11 नवंबर को जारी आंकड़ों के मुताबिक अक्टूबर में इक्विटी फंड सेगमेंट में ओपन-एंडेड इक्विटी म्यूचुअल फंड में होने वाला निवेश महीने-दर-महीने आधार पर 21.69 फीसदी बढ़कर 41,887 करोड़ रुपये पर रहा है। ओपन-एंडेड इक्विटी फंडों में होने वाला निवेश लगातार 44वें महीने पॉजिटिव जोन में बना रहा।

एएमएफआई के आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि मासिक एसआईपी के जरिए म्यूचुअल फंड में निवेश अक्टूबर में 25,322 करोड़ रुपये रहा जो सितंबर में 24,509 करोड़ रुपये के मुकाबले अब तक का उच्चतम स्तर है।

इक्विटी फंड में होने वाले निवेश में यह बढ़ोतरी पिछले महीने इक्विटी बाजारों के कमजोर प्रदर्शन के बीच हुई है। अक्टूबर में सेंसेक्स और निफ्टी दोनों में 5.77 फीसदी और 6.22 फीसदी की गिरावट आई है। एएमएफआई के आंकड़ों से पता चलता है कि स्मॉल-कैप, मिड-कैप और लार्ज-कैप फंड की मांग मजबूत रही क्योंकि महीने के दौरान तीनों श्रेणियों में अच्छा निवेश हुआ।


आईटीआई म्यूचुअल फंड के हितेश ठक्कर ने कहा "इस महीने के आंकड़ों से पता चलता है कि इक्विटी बाजारों में चल रही वोलैटिलिटी के कारण निवेशकों ने हाइब्रिड फंड को प्राथमिकता दी है। हम भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर पॉजिटिव हैं। भारत का इक्विटी बाजार अन्य उभरते बाजारों की तुलना में काफी अच्छा रिटर्न देगा। अमेरिका में ट्रम्प का राष्ट्रपति बनना हमारे लिए मोटे तौर पर अच्छा है। हमारा मानना ​​है कि कमजोर घरेलू अर्निंग साइकिल और पूंजी की भारी जरूरत वाले सेक्टरों के लिए सरकारी खर्च में देरी जैसे शॉर्ट टर्म फैक्टर्स के कारण बाजार वोलेटाइल है। हालांकि, निवेशकों को 3-5 साल की समयावधि के साथ इक्विटी म्यूचुअल फंड में निवेश जारी रखना चाहिए।"

इक्विटी फंड कटेगरी में,लार्ज-कैप फंडों में निवेश लगभग दोगुना होकर 3,452 करोड़ रुपये हो गया। इसके अलावा, मिड कैप फंडों में शुद्ध निवेश 50 फीसदी बढ़कर 4,683 करोड़ रुपये हो गया और स्मॉल कैप फंड में निवेश 23 फीसदी बढ़कर 3,772 करोड़ रुपये हो गया।

सेक्टोरल/थीमैटिक फंडों में होने वाले निवेश में 7 फीसदी की गिरावट आई,लेकिन अक्टूबर के दौरान यह 12,279 करोड़ रुपये पर टिका रहा। सेक्टोरल/थीमैटिक कटेगरी में चार नए फंड ऑफरों ने महीने के दौरान 3,517 करोड़ रुपये जुटाए।

फिक्स्ड-इनकम कटेगरी में, डेट म्यूचुअल फंडों में 1,57,402.30 करोड़ रुपये का निवेश हुआ। शॉर्ट-ड्यूरेशन लिक्विड फंड कटेगरी में महीने के दौरान सबसे अधिक 83,863 करोड़ रुपये का निवेश हुआ। इसके बाद ओवरनाइट फंड और मनी मार्केट फंड का स्थान रहा, जिसमें क्रमशः 25,303 करोड़ रुपये और 25,303 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश हुआ।

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मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट रिसर्च इंडिया के नेहल मेश्राम ने कहा, "हाल के महीनों में, ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद ने एक्टिव ड्युरेशन रणनीतियों में निवेशकों की रुचि को बढ़ावा दिया है, इन फंडों को ब्याज दरों में संभावित गिरावट से लाभ उठाने की पोजीशन में रखा गया है। अक्टूबर में, गिल्ट फंडों ने 1,375.57 करोड़ रुपये का निवेश हासिल किया, जबकि लंबी अवधि के बॉन्ड में 1,117.47 करोड़ रुपये का निवेश हुआ। ब्याज दरों में ढील का चक्र शुरू होने के बाद इन फंडों में होने वाले निवेश में और बढ़त होने की उम्मीद है।"

दूसरी ओर, क्रेडिट रिस्क फंड और मीडियम ड्यूरेशन फंड कटेगरियों में छोटी मात्रा में निकासी देखने को मिली। इसके अलावा, आर्बिट्रेज फंड, डायनेमिक एसेट एलोकेशन/बैलेंस्ड एडवांटेज फंड और मल्टी एसेट एलोकेशन फंड कटेगरी में मजबूत मांग के कारण, हाइब्रिड फंडों में महीने के दौरान 16,863 रुपये का शुद्ध निवेश हुआ।

दूसरी स्कीम कटेगरी में, इंडेक्स फंड में 7,931 करोड़ रुपये का निवेश हुआ तथा गोल्ड ईटीएफ (एक्सचेंज ट्रेडेड फंड) में 1,962 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश हुआ।

वहीं, दूसरी तरफ कुल मिलाकर,अक्टूबर के दौरान ओपन-एंडेड म्यूचुअल फंडों से 2,39,906.79 करोड़ रुपये की शुद्ध निकासी हुई।

 

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