HDFC Bank-HDFC Merger: म्यूचुअल फंड्स एचडीएफसी बैंक के शेयर बेचने को हो सकते हैं मजबूर, जानिए क्या है पूरा मामला

सेबी के नियम के मुताबिक कोई स्कीम अपने कुल कॉर्पस का 10 फीसदी से ज्यादा किसी एक कंपनी के शेयर में निवेश नहीं कर सकती। माना जा रहा है कि विलय के बाद स्कीमों का निवेश HDFC Bank के शेयरों में 10 फीसदी की तय सीमा को पार कर जाएगा, क्योंकि विलय के बाद एचडीएफसी का वजूद खत्म हो जाएगा। साथ ही एचडीएफसी के निवेशकों को एचडीएफसी बैंक के शेयर एलॉट होंगे

अपडेटेड Jun 14, 2023 पर 6:09 PM
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एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस विलय के बाद म्यूचुअल फंड हाउसेज पर एचडीएफसी बैंक में अपनी हिस्सेदारी घटाने का दबाव बनेगा।

HDFC Bank में एचडीएफसी के विलय से म्यूचुअल फंड हाउसेज की परेशानी बढ़ सकती है। इसकी वजह यह है कि म्यूचुअल फंड हाउसेज की कई स्कीमों का निवेश एचडीएफसी बैंक और एचडीएफसी दोनों में है। सेबी के नियम के मुताबिक कोई स्कीम अपने कुल कॉर्पस का 10 फीसदी से ज्यादा किसी एक कंपनी के शेयर में निवेश नहीं कर सकती। माना जा रहा है कि विलय के बाद स्कीमों का निवेश HDFC Bank के शेयरों में 10 फीसदी की तय सीमा को पार कर जाएगा, क्योंकि विलय के बाद एचडीएफसी का वजूद खत्म हो जाएगा। साथ ही एचडीएफसी के निवेशकों को एचडीएफसी बैंक के शेयर एलॉट होंगे।

SEBI से राहत की उम्मीद कम

इस मामले की जानकारी रखने वाले दो सूत्रों ने रायटर्स को बताया है कि SEBI म्यूचुअल फंड हाउसेज को एक शेयर में 10 फीसदी मैक्सिमम निवेश के नियम में राहत नहीं देगा। उम्मीद है कि एचडीएफसी बैंक में एचडीएफसी के विलय की प्रक्रिया अगले कुछ हफ्तों में पूरा हो जाएगी। इससे एचडीएफसी बैंक SBI के बाद इंडिया का दूसरा सबसे बड़ा फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन बन जाएगा।


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MF पर बनेगा हिस्सेदारी घटाने का दबाव

एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस विलय के बाद म्यूचुअल फंड हाउसेज पर एचडीएफसी बैंक में अपनी हिस्सेदारी घटाने का दबाव बनेगा। सेबी का नियम कहता है कि म्यूचुअल फंड की कोई स्कीम किसी एक सिक्योरिटी में 10 फीसदी से ज्यादा इनवेस्ट नहीं कर सकती है। हालांकि, ETF और खास सेक्टर में निवेश करने वाली स्कीमों को इस नियम से छूट मिलती है।

कई फंडों का निवेश तय सीमा से ज्यादा

म्यूचुअल फंड्स की कम से कम 60 फीसदी स्कीम की एचडीएफसी बैंक और एचडीएफसी के शेयरों में कंबाइंड हिस्सेदारी 10 फीसदी की सीमा को पार कर चुकी है। इस बारे में सवालों के जवाब एचडीएफसी बैंक और सेबी ने नहीं दिए। एक सूत्र ने कहा कि सेबी इस 'ओवरशूट' को पैसिव ब्रीच कह सकता है। इसका मतलब है कि नियमों का उल्लंघन जानबूझकर नहीं किया गया है। ऐसे मामलों में फंड्स को अपने पोर्टफोलियो की रीबैलेंसिंग के लिए 30 दिन का समय मिलता है। इसे और 60 दिन तक बढ़ाया जा सकता है। इस समयसीमा के बाद भी नियम का पालन नहीं करने पर सेबी फंड हाउस के खिलाफ कदम उठा सकता है।

रेगुलेटरी हस्तक्षेप की जरूरत

एक दूसरे सूत्र ने कहा कि इस मामले में रेगुलेटरी हस्तक्षेप की जरूरत तब पड़ती है जब इसका मार्केट पर ज्यादा असर पड़ने के आसार होते हैं। लेकिन, एचडीएफसी के मामले में ऐसी स्थिति नहीं है। दोनों सूत्रों ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर यह जानकारी दी, क्योंकि उन्हें मीडिया से बातचीत करने की इजाजत नहीं है। म्यूचुअल फंड्स के दो एग्जिक्यूटिव्स ने बताया कि इस मामले को AMFI के पास भेजा गया है।

निवेशकों के लिए खरीदारी का मौका

KRChoksy Holdings के फाउंडर देवेन चोकसी ने कहा, "रेगुलेटरी रिक्वायरमेंट को देखते हुए ऐसे कुछ म्यूचुअल फंड्स हैं, जिन्हें कुछ बिकवाली करनी पड़ सकती है। इसका असर शेयरों पर देखने को मिलेगा। शेयरों पर दबाव बनने से उनकी कीमतें नीचे आएंगी, जिससे छोटे निवेशकों को इन शेयरों को खरीदने का अच्छा मौका मिल सकता है।" एक बड़े म्यूचुअल फंड हाउस के एग्जिक्यूटिव ने कहा कि फंडों को एचडीएफसी बैंक के 30 अरब से 40 अरब डॉलर तक के शेयर बेचने पड़ सकते है।

Rakesh Ranjan

Rakesh Ranjan

First Published: Jun 14, 2023 6:04 PM

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