भारत में EV पैसेंजर कार मैन्युफैक्चरिंग को बड़ा बूस्ट मिलेगा। इसके लिए सरकार ने EV मैन्युफैक्चरिंग गाइडलाइंस जारी कर दी हैं। इन गाइडलाइंस के तहत मेक इन इंडिया के तहत 50 फीसदी उत्पादन जरूरी है। हालांकि, भारी उद्योग मंत्री H. D. Kumaraswamy टेस्ला ने भारत में कार बनाने में अभी कोई रुची नहीं दिखाई है। भारी उद्योग मंत्रालय ने आज नई EV पॉलिसी के लिए गाइडलाइंस जारी की है। आइए देखते हैं इसमें क्या है खास।
नई जारी की गई EV पॉलिसी गाइडलाइंस में भारी उद्योग मंत्रालय ने EV मैन्युफैक्चरिंग गाइडलाइंस जारी की है। इसमें भारत में EV पैसेंजर कार बनाने पर फोकस है। इसमें कहा गया है कि 3 साल में भारत में 4,150 करोड़ रुपए का निवेश जरूरी है। मेक इन इंडिया के तहत 50 फीसदी उत्पादन जरूरी है। अब जमीन की कीमत निवेश का हिस्सा नहीं होगी। नई स्कीम में 35,000 हजार डॉलर तक के कार इंपोर्ट को मंजूरी दी गई है। 5 साल तक 15 फीसदी टैरिफ पर EV कार इंपोर्ट को मंजूरी दी गई है।
इन नई पॉलिसी के तहत भारत में 48.6 करोड़ डॉलर तक के निवेश पर न्यूनतम ड्यूटी लगेगी। न्यूनतम ड्यूटी के लिए 48.6 करोड़ डॉलर का निवेश जरूरी होगा। नई स्कीम में सालाना 8,000 EVs इंपोर्ट को मंजूर किया गया है। मंजूरी मिलने के बाद 3 साल में EV उत्पादन जरूरी होगा। टेस्ला पर भारी उद्योग मंत्री का बड़ा बयान आया है जिसमें कहा गया है कि टेस्ला ने भारत में मैन्युफैक्चरिंग में अभी कोई रुची नहीं दिखाई है।
इस पॉलिसी के जरिए टेस्ला जैसी कंपनियों को लुभाने की कोशिश की जा रही। यह नीति विशेष रूप से दुनिया की जानी-मानी EV कंपनियों को आकर्षित करने के लिए बनाई गई है। नई नीति से घरेलू ऑटो कंपनियों के लिए चुनौती खड़ी हो सकती है। देश की मौजूदा EV कंपनियों को ग्लोबल दिग्गजों के साथ कड़ी प्रतिस्पर्धा करनी पड़ेगी। इससे टेक्नोलॉजी और क्वालिटी में सुधार की संभावनाएं भी बढ़ेंगी। चीन और अमेरिका के बाद भारत एशिया का तीसरा सबसे बड़ा ऑटो मार्केट है। यह पलिसी भारत को EV मैन्युफैक्चरिंग का ग्लोबल हब बनाने की दिशा में उठाया गया अहम कदम है।