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क्या Nifty-50 इसी साल दोबारा छू सकता है 26,000 का स्तर?

निफ्टी-50 इंडेक्स में सितंबर 2024 के उसके शिखर से अबतक करीब 13 फीसदी की गिरावट आ चुकी है। हालांकि अंतरराष्ट्रीय ब्रोकरेज फर्म सिटी रिसर्च (Citi Research) का मानना है कि निफ्टी 50 इस गिरावट की भरपाई इसी साल कर सकता है और यह दिसंबर 2025 तक दोबारा 26,000 के स्तर तक पहुंच सकता है। यह मौजूदा स्तर से निफ्टी में करीब 13 फीसदी तेजी के अनुमान को दिखाता है

अपडेटेड Feb 18, 2025 पर 11:43 AM
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Nifty Target: सिटी का मानना है कि शेयर बाजार की हालिया गिरावट ने लार्ज-कैप कंपनियों को आकर्षक बना दिया है

निफ्टी-50 इंडेक्स में सितंबर 2024 के उसके शिखर से अबतक करीब 13 फीसदी की गिरावट आ चुकी है। हालांकि अंतरराष्ट्रीय ब्रोकरेज फर्म सिटी रिसर्च (Citi Research) का मानना है कि निफ्टी 50 इस गिरावट की भरपाई इसी साल कर सकता है और यह दिसंबर 2025 तक दोबारा 26,000 के स्तर तक पहुंच सकता है। यह मौजूदा स्तर से निफ्टी में करीब 13 फीसदी तेजी के अनुमान को दिखाता है। सिटी रिसर्च का मानना है कि शेयर बाजार में आई हालिया गिरावट ने लार्ज-कैप कंपनियों को निवेशकों के लिए आकर्षक बना दिया है। इन कंपनियों के भाव अब अधिक वाजिब स्तर पर आ गए हैं।

ब्रोकरेज ने कहा कि इसके अलावा, इनकम टैक्स दरों में कटौती, रेपो रेट में कटौती और महंगाई दर में गिरावट की तिकड़ी से उपभोक्ताओं के पास अधिक पैसा बचेगा, जिससे निवेश व खपत को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही सरकार के खर्च (कैपिटल एक्सपेंडिचर) में इस साल बढ़ोतरी की उम्मीद है, जिससे आर्थिक गतिविधियां तेज हो सकती हैं।

Citi Research किन शेयरों पर बुलिश है?

ब्रोकरेज ने HDFC बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, मारुति सुजुकी, एंड्यूरेंस टेक्नोलॉजीज, HDFC लाइफ, टोरेंट फार्मा और मेकमायट्रिप के शेयरों पर अपनी 'खरीदारी' (Buy) की रेटिंग दोहराई है। वहीं सेक्टोरल मोर्च पर सिटी इस समय बैंकिंग, टेलीकॉम और फार्मा शेयरों पर बुलिश है। दूसरी तरफ वो आईटी, मेटल और कंज्यूमर डिस्क्रेशनरी काउंटर पर अंडरवेट है।


सिटी के एनालिस्ट सुरेंद्र गोयल ने पिछले महीने की शुरुआत में एक रिपोर्ट में कहा कि भारतीय कंपनियों की EPS (अर्निंग्स प्रति शेयर) का आउटलुक मजबूत है और विभिन्न क्षेत्रों में सूचीबद्ध कंपनियों के चलते यह अपेक्षाकृत कम जोखिम वाला बाजार बना हुआ है। हालांकि, ब्रोकरेज का यह भी कहना है कि प्राइवेट इनवेस्टमेंट में तेजी आना अभी भी मुश्किल हो सकता है।

ब्रोकरेज ने यह भी कहा कि सरकारी खर्च में तेजी आ रही है और वित्त वर्ष 2026 में राजकोषीय घाटा, वित्त वर्ष 2025 की तुलना में कम रहने की उम्मीद है। इस बीच, RBI ने बाजार में लिक्विडिटी बढ़ाने के उपायों पर फोकस करना शुरू किया है, जो हालिया सुस्ती का एक प्रमुख कारण रहा है। रिटेल निवेशकों ने भी लचीलापन दिखाया है, जिससे बाजार में उछाल की संभावना मजबूत हुई है।

हालांकि इस सबके बीच पॉलिसी के स्तर पर गलतियों, अमेरिकी बाजार में गहरी गिरावट और ग्लोबल आर्थिक सुस्ती जैसे कुछ जोखिम भी बने हुए हैं। सिटी ने कहा कि इन अनिश्चितताओं के बावजूद बेहतर फंडामेंटल्स ने रिकवरी के लिए एक मंच तैयार कर दिया है।

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