Stock Markets: बड़ी रैली के बाद फिलहाल बड़ी गिरावट का नहीं है डर, ये 4 बड़ी वजह हैं पीछे

Nifty touches 21000 Mark: शेयर बाजार रोज नए शिखर छू रहा है। यह एक नजरिए से डरावना हो सकता है क्योंकि यहां से भारी गिरावट की आशंका बनती है। बाजार में हर बुल रैली के दौरान ऐसी चिंता देखने को मिलती है। हालांकि अगर आप चिंतित रहते हैं और तेजी की सवारी करने से इनकार कर देते हैं, तो आप पैसा नहीं कमा सकते हैं। आइए उन 4 बड़े कारणों को जानते हैं, जो बताते हैं कि आपको बाजार में बड़ी गिरावट आने की आशंका को लेकर डरना नहीं चाहिए

अपडेटेड Dec 09, 2023 पर 7:37 PM
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Nifty ने 8 दिसंबर को पहली बार 21000 का लेवल क्रॉस किया था।

Nifty touches 21000 Mark: शेयर बाजार (Stock Market) रोज नए शिखर छू रहा है। यह एक नजरिए से डरावना हो सकता है क्योंकि यहां से भारी गिरावट की आशंका बनती है। बाजार में हर बड़ी रैली के दौरान ऐसी चिंता देखने को मिलती है। अगर इस चिंता की वजह से आप तेजी की सवारी करने से इनकार कर देते हैं, तो आप पैसा नहीं कमा सकते हैं। निफ्टी (NSE Nifty) ने 21,000 के मनोवैज्ञानिक स्तर को पार कर लिया है। ऐसे में आइए उन 4 बड़े कारणों को जानते हैं, जो बताते हैं कि आपको बाजार में बड़ी गिरावट आने की आशंका को लेकर डरना नहीं चाहिए-

1. नीतियों के स्तर पर निरंतरता

इस सप्ताह शेयर बाजार में आई हालिया तेजी के पीछे मुख्य वजह बीजेपी की 3 मुख्य हिंदी राज्यों में बड़ी जीत रही है। यह बाजार की उम्मीदों से अच्छे नतीजे थे। हालांकि विधानसभा चुनाव के नतीजे अगर अलग आते तो भी, बाजार में कोई बहुत गिरावट नहीं आती। ऐसा इसलिए क्योंकि एक मतदाता आमतौर पर विधानसभा चुनाव के मुकाबले लोकसभा चुनावों में अलग तरीके से वोट करता है। हालांकि बीजेपी के पक्ष में आए नतीजों ने बाजार का यह नजरिए मजबूत किया है, पार्टी आगे लोकसभा में भी जीत की पोजिशन में है।

बाजार को भरोसा है कि यह सरकार मुश्किल भू-राजनीतिक स्थितियों से चतुराई से निपटने में सक्षम रही है। साथ ही इसने राजकोषीय स्थिति को काबू में रखने हुए भारत को विकास पथ पर मजबूती से बनाए रखा है। इसके चलते विधानसभा नतीजों से निवेशकों का सेंटीमेंट बेहतर हुआ है। साथ ही उनमें यह भरोसा जगा है कि साल 2024 के बाद भी केंद्र के स्तर पर नीतियों मे निरंतरता बनी रहेगी।


2. आगे बढ़ने के लिए काफी जगह मौजूद

शेयरों के तेजी के पीछे सबसे बड़ी वजह कंपनियों के वित्तीय नतीजे होते हैं। भारत की बढ़ती प्रति व्यक्ति आय के साथ इसमें बी इजाफा होने की उम्मीद है। हाल ही में मॉर्गन स्टेनली के रिधम देसाई ने मनीकंट्रोल के साथ इंटरव्यू में कहा कि, अर्निंग में 5 चीजें अहम होती हैं- अर्थव्यवस्था में निवेश का दर, गवर्नमेंट डेफिसिट, घरेलू बचत, व्यापार व चालू खाता घाटा और लाभांश। उनमें से 4 चीजें भारत में पॉजिटिव हैं, जो बताता है अर्निंग्स में बढ़ोतरी जारी रहने वाली हैं।

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3. बाजार उतना महंगा नहीं है जितना आप सोच रहे हैं

अधिकांश निवेशक सोचते हैं कि शिखर पर जाने के बाद बाजार महंगा हो जाता है। आमतौर पर वे बेंचमार्क इंडेक्स की ओर देखते हैं, जो पूरे बाजार के 'वास्तविक मूल्य' का प्रतिनिधित्व नहीं कर रहे होते हैं। एक शेयर या फिर पूरे बाजार की 'वैल्यू', उसके भविष्य के मुनाफे का रियायती मूल्य होता है। रिवर्स डिस्काउंटिंग मेथेड के जरिए इसका आकलन किया जा सकता है।

ब्लूमबर्ग के आंकड़ों के साथ मनीकंट्रोल की ओर की गई कैलकुलेशन से पता चलता है कि, निफ्टी-50 की 20 प्रतिशत कंपनियां फिलहाल 20 प्रतिशत से अधिक की इंप्लॉयड ग्रोथ दिखा रही हैं। वहीं निफ्टी की 56 फीसदी कंपनियों में 10-19 फीसदी की बढ़ोतरी दिख रही है, जबकि 22 फीसदी में 1-10 फीसदी के बीच ग्रोथ दिख रही है।

4. विदेशी निवेश एक दशक के निचले स्तर पर

कोविड महामारी में आई गिरावट के बाद विदेशी निवेशक ही बाजार को नई ऊंचाइयों पर ले गए थे। उस वक्त दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों ने कई सारे आर्थिक इनसेंटिव के ऐलान किए थे, जिससे बाजार में काफी पैसा आ गया था। हालांकि इसके साथ महंगाई भी बढ़ गई। महंगाई पर लगाम लगाने के लिए अमेरिकी फेड की अगुवाई में दुनियाभर के केंद्रीय बैंकों को फिर ब्याज दरें बढ़ाई पड़ी। इससे विदेशी निवेशकों ने भारत से पैसा खींचा, जिसे FII की होल्डिंग एक दशक के निचले स्तर पर पहुंच गई।

उम्मीद है कि अब इसमें बदलाव आएगा। ऐसा इसलिए क्योंकि महंगाई का मुद्दा अब कम होता दिख रहा है। ऐसे में अधिकतर अर्थशास्त्री यह उम्मीद जगा रहे हैं कि ब्याज दरें चरम पर हैं और यहां से नीचे जाना शुरू हो जाती हैं। दरें गिरेंगी तो विदेशी निवेशक भी भारत में वापस आएंगे, जो जो एक बार फिर शेयर की कीमतों को बढ़ाएगा।

Moneycontrol News

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First Published: Dec 08, 2023 10:35 PM

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