हाल के दिनों में बेंचमार्क इंडेक्स कई बार नए हाई के करीब पहुंचते नजर आए हैं। लेकिन अंत में हमें निराशा का सामना करना पड़ा है। ग्लोबल मंदी का डर बाजार की तेजी को सीमित कर रहा है। ये बातें वीकेंड इन्वेस्टिंग के फाउंडर (Weekend Investing founder) आलोक जैन ने मनीकंट्रोल के साथ हुई एक बातचीत में कही हैं। इक्विटी मार्केट में 25 साल से ज्यादा का अनुभव रखने वाले आलोक जैन का मानना है कि जून और उसके बाद होने वाली अगली कुछ पॉलिसी बैठक में आरबीआई अपने रूख में कोई बदलाव नहीं करेगा।
उन्होंने आगे कहा कि आरबीआई अपनी दरों में कटौती करने के पहले अभी और कुछ तिमाहियों तक इंतजार करेगा। आरबीआई की नजर अमेरिका में घट रही घटनाओं पर रहेंगी। यूएसफेड के नजरिए में नरमी के संकेत के साथ ही आरबाई भी अपनी दरों में कटौती ऐलान कर सकता है।
फाइनेंशियल सेक्टर की तेजी आगे भी रहेगी जारी
फाइनेंशियल और इंश्योरेंस सेक्टर पर बात करते हुए आलोक जैन ने कहा कि भारत का फाइनेंशियल सेक्टर मजबूत दौर में है। फाइनेंशियल कंपनियों की बैलेंस सीट काफी अच्छी स्थिति में है। इनके मैनजेमेंट की कमेंट्री उम्मीदें जगा रही हैं। इन कंपनियों के स्टॉक प्राइस में भी तेजी देखने को मिल रही है। फाइनेंशियल निफ्टी और बैंक निफ्टी अपने ऑल टाइम हाई के करीब चक्कर लगा रहे हैं। महंगाई में कमी के साथ ही इस बात की उम्मीद बढ़ रही है कि आरबाई अपनी दरों में और बढ़ोतरी नहीं करेगा। इसके साथ ही इस कैलेंडर ईयर के दूसरी छमाही में इकोनॉमी के भी गति पकड़ने की उममीद है। इसके अलावा साल 2024 में आम चुनाव होने वाले हैं। इसके चलते सरकार विकास और कल्याणकारी योजनाओं पर खर्च बढ़ाती नजर आ सकती है। सरकार क्रेडिट ग्रोथ के भी उपाय कर सकती है। ऐसे में अगर कोई अप्रत्याशित घटना नहीं होती है तो फाइनेंशियल सेक्टर की तेजी आगे भी जारी रहेगी।
विदेशी संस्थागत निवेशकों से जुडे सवाल का जवाब देते हुए आलोक जैन ने कहा कि पिछले कुछ महीनों के दौरान FII एक बार फिर से भारत की तरफ रूख करते नजर आए हैं। लेकिन हाल के दिनों में डॉलर एक बार फिर मजबूत होता दिखा है। ऐसे में अगर डॉलर में मजबूती जारी रहती है तो उभरते बाजारों में आने वाले विदेशी पैसे पर नेगेटिव प्रभाव पड़ सकता है। अगर डॉलर इंडेक्स 101 से नीचे फिसलता है तो भारत में हमें विदेशी पैसे का प्रवाह बढ़ता नजर आएगा।
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