नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) में शेयरहोल्डर्स की संख्या अब 1 लाख का आंकड़ा पार कर गई है। इसके चलते इनवेस्टर बेस के मामले में यह देश की सबसे बड़ी नॉन-लिस्टेड एंटिटीज में से एक बन गई है। दिलचस्प बात यह है कि देश की कई लिस्टेड कंपनियों के पास भी इतना बड़ा इनवेस्टर बेस नहीं है। बाजार सूत्रों के अनुसार, NSE प्रॉफिटेबिलिटी के मामले में देश की टॉप 25 कंपनियों में शामिल है।
एक्सचेंज के खुलासे के अनुसार, वित्त वर्ष 2025 में NSE का कंसोलिडेटेड बेसिस पर शुद्ध मुनाफा 12,188 करोड़ रुपये आंका गया। यह इससे पहले के वित्त वर्ष के मुनाफे से 47 प्रतिशत अधिक है। NSE शेयरधारकों की संख्या लगातार बढ़ रही है।
NSE शेयरहोल्डर्स में कौन से बड़े नाम शामिल
NSE के शेयरहोल्डर्स में शामिल कुछ बड़े नामों में LIC, GIC, न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी, नेशनल इंश्योरेंस कंपनी और ओरिएंटल इंश्योरेंस जैसी प्रमुख बीमा कंपनियां शामिल हैं। भारतीय स्टेट बैंक की भी एक्सचेंज में 3.23 प्रतिशत हिस्सेदारी है। NSE में कई विदेशी शेयरहोल्डर भी हैं, जैसे कि कनाडा पेंशन प्लान इनवेस्टमेंट बोर्ड, क्राउन कैपिटल, एमएस स्ट्रेटेजिक (मॉरीशस), TIMF Holdings, टीए एशिया पैसिफिक एक्वीजीशंस और अरंडा इनवेस्टमेंट्स (मॉरीशस) प्राइवेट लिमिटेड। मार्च 2025 तिमाही के लिए एक्सचेंज के शेयरहोल्डिंग पैटर्न के अनुसार, लगभग 34,000 रिटेल शेयरहोल्डर ऐसे हैं, जिनमें से हर एक के पास 2 लाख रुपये तक के शेयर हैं।
एक्सचेंज कर रहा IPO के लिए मंजूरी का इंतजार
NSE को अपने IPO के लिए रेगुलेटरी मंजूरी का इंतजार है। इसका IPO 8 साल से अधिक समय से अटका हुआ है। SEBI के चेयरमैन तुहिन कांत पांडेय का कहना है कि NSE IPO में देरी कराने वाले मुद्दों को हल करने के लिए काम किया जा रहा है। IPO पर जितनी जल्दी हो सके फैसला लेने का इरादा है। NSE ने पहली बार 2016 में लिस्टिंग के लिए आवेदन किया था। लेकिन रेगुलेटरी कंसर्न्स के चलते इसे लंबे वक्त तक सेबी के फैसले का इंतजार करना पड़ा। 2019 में, SEBI ने को-लोकेशन घोटाला मामले के चलते IPO दस्तावेज लौटा दिए, और पहले इस मुद्दे को हल करने की मांग की। हालांकि, NSE ने तब से 2019 में, 2020 में दो बार और 2024 में सेबी से कई बार मंजूरी मांगी।
NSE ने अक्टूबर 2024 में 643 करोड़ रुपये का जुर्माना देकर को-लोकेशन घोटाले के एक चैप्टर का निपटारा कर दिया, लेकिन उसी विवाद से जुड़े मामले अभी भी सुप्रीम कोर्ट में लटके हुए हैं। इस साल 28 मार्च को, NSE ने अपने IPO के लिए नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOC) की मांग करते हुए SEBI के पास एक आवेदन किया था। NOC एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है। NSE की ओर से IPO के लिए ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (DRHP) दाखिल किए जाने से पहले इसका मिलना जरूरी है।