बाजार नियामक SEBI (सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया) ने दो ब्रोकरेजेज का रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया है। ये दो ब्रोकरेज आर्केडिया कमोडिटीज एंड ट्रेडिंग (Arcadia Commodities and Trading) और मोडेक्स कमोडिटी ट्रेड्स (Modex Commodity Trades) हैं। अब इन दोनों ब्रोकरेज के जरिए नेशनल स्पॉट एक्सचेंज लिमिटेड (NSEL) पर पेयर्ड कॉन्ट्रैक्ट्स की ट्रेडिंग नहीं हो सकेगी। सेबी ने अभी इन दोनों ब्रोकरेज पर ही कार्रवाई की है लेकिन जांच के दायरे में इन कॉन्ट्रैक्ट्स की ट्रे़डिंग की सुविधा देने वाली सभी ब्रोकरेज आ गए हैं। सेबी के मुताबिक NSEL पर ट्रेड होने वाले पेयर्ड कॉन्ट्रैक्ट्स ने मार्केट को काफी नुकसान पहुंचाया है।
NSEL को कुछ परिस्थितियों में FCRA (फॉरेन कॉन्ट्रिब्यूशन रेगुलेशन एक्ट) से छूट मिली हुई है। सेबी के मुताबिक इन परिस्थितियों में उल्लंघन के कुछ मामले पाए गए। यह पाया गया है कि पेयर्ड कॉन्ट्रैक्ट्स को फिक्स्ड इनकम इंस्ट्रूमेंट्स के विकल्प के तौर पर प्रचारित किया गया जबकि इसमें अच्छा-खासा रिस्क भी शामिल है। सेबी के आदेश के मुताबिक NSEL पर ट्रेड होने वाले पेयर्ड कॉन्ट्रैक्ट्स ने मार्केट को काफी नुकसान पहुंचाया है। जिन दोनों ब्रोकरेज के रजिस्ट्रेशन को सेबी ने रद्द किया है, उन्होंने इन कॉन्ट्रैक्ट्स को बढ़ावा दिया।
इस कारण ये सभी ब्रोकरेज आए जांच के दायरे में
करीब 16 साल पहले वर्ष 2007 में केंद्र सरकार ने NSEL पर खरीद-बिक्री होने वाली कमोडिटीज के एक दिन की अवधि वाले फॉरवर्ड कॉन्ट्रैक्ट्स को कुछ परिस्थितियों में FCRA (फॉरेन कॉन्ट्रिब्यूशन रेगुलेशन एक्ट) के प्रावधानों से मुक्त रखा गया। अब कुछ परिस्थितियों की बात करें तो ये हैं कि एक्सचेंज के सदस्य शॉर्ट सेल नहीं करेंगे और सभी आउटस्टैंडिंग पोजिशन्स दिन के आखिरी में डिलीवरी होंगे।
हालांकि NSEL के कामकाज पर गौर करने वाले फॉरवर्ड मार्केट कमीशन (FMC) ने पाया कि एक्सचेंज ने नो-शॉर्ट-सेल क्लॉज का उल्लंघन किया था और यह उन कॉन्ट्रैक्ट्स को भी अनुमति दे रहा था जिनकी सेटलमेंट पीरियड निर्धारित सीमा से अधिक थी। ऐसे में अब इन कॉन्ट्रैक्ट्स की ट्रे़डिंग की सुविधा देने वाली सभी ब्रोकरेज जांच के दायरे में हैं।