Ola Electric Shares: ओला इलेक्ट्रिक ने एक कारोबारी दिन पहले जून 2025 तिमाही के कारोबारी नतीजे जारी किए जिसमें इसे ₹428 करोड़ का शुद्ध घाटा हुआ। हालांकि इसके बावजूद नतीजे आने के बाद एक कारोबारी दिन पहले यह रिकॉर्ड निचले स्तर से रिकवर होकर 20% के अपर सर्किट पर पहुंच गया था और दिन के आखिरी में भी 18% से अधिक बढ़त के साथ बंद हुआ था। अब आज की बात करें तो आज भी इंट्रा-डे में बीएसई पर यह 3.71% उछलकर ₹48.88 पर पहुंच गया। इस प्रकार जून तिमाही में तगड़े घाटे के बावजूद दो कारोबारी दिनों में शेयर रिकॉर्ड निचले स्तर से 23.50% उछल गए।
इसके शेयरों की घरेलू मार्केट में 9 अगस्त 2024 को एंट्री हुई थी। आईपीओ निवेशकों को यह ₹76 के भाव पर जारी हुआ था। पिछले साल 20 अगस्त 2024 को यह ₹156.53 के रिकॉर्ड हाई पर पहुंचा था जिससे 11 महीने में यह 74.87% टूटकर 14 जुलाई 2025 को ₹39.58 के रिकॉर्ड निचले स्तर पर आ गया था।
आखिर क्यों रॉकेट बने Ola Electric के शेयर?
चालू वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही अप्रैल-जून 2025 में ओला इलेक्ट्रिक का शुद्ध घाटा सालाना आधार पर ₹347 करोड़ से उछलकर ₹428 करोड़ पर पहुंच गया और रेवेन्यू भी सालाना आधार पर 49.6% घटकर ₹828 करोड़ पर आ गया। इसके बावजूद शेयर रॉकेट बने हैं। इसकी वजह ये है कि तिमाही आधार पर यानी मार्च तिमाही की तुलना में कंपनी का घाटा कम हुआ है, ऑटो सेगमेंट में मार्जिन सुधरा है, ऑपरेटिंग प्रॉफिट जून में पॉजिटिव हुआ है। मार्च तिमाही में इसे ₹870 करोड़ का शुद्ध घाटा हुआ था और ₹611 करोड़ का रेवेन्यू।
इसके अलावा वित्त वर्ष 2026 के लिए कंपनी के गाइडेंस ने भी ओला इलेक्ट्रिक के शेयरों को सपोर्ट किया। कंपनी ने पीएलआई स जुड़े इंसेंटिव के चलते वित्त वर्ष 2026 में 35-40% के ग्रास मार्जिन का अनुमान लगाया है और दूसरी तिमाही से पॉजिटिव ईबीआईटीडीए का लक्ष्य तय किया है। कंपनी ने बिना रेयर अर्थ वाली गा़डियां भी पेश की हैं जिससे शेयरों को सपोर्ट मिला है। ओला ने वित्त वर्ष 2026 में 3.25 लाख-3.75 लाख गाड़ियां बेचने और ₹4200-₹4700 करोड़ के रेवेन्यू का अनुमान लगाया है। इन वजहों से ओला इलेक्ट्रिक के शेयरों को तगड़ा सपोर्ट मिला। कंपनी को वित्त वर्ष 2026 में 5% के ऊपर EBITDA का अनुमान है और ग्रास मार्जिन के बढ़कर 35%-40% तक पहुंचने का अनुमान है।
क्या कहना है एक्सपर्ट का?
घरेलू ब्रोकरेज फर्म कोटक इंस्टीट्यूशनल का कहना है कि जून तिमाही में घाटा अनुमान से कम रहा। इसके अलावा जेन-3 प्लेटफॉर्म शिफ्ट, वारंटी प्रोविजनिंग के रिवर्सल और लागत पर नियंत्रण की कोशिशों के चलते ग्रास मार्जिन में सुधार रहा। कोटक का कहना है कि प्रॉफिटेबिलिटी में अच्छा सुधार दिखने के बावजूद इंडस्ट्री की सुस्त ग्रोथ और बढ़ते कॉम्पटीशन के चलते वॉल्यूम उम्मीद से कम रही जो चिंता का विषय बना हुआ है। ऐसे में ब्रोकरेज फर्म ने ₹30 के टारगेट प्राइस सेल रेटिंग बरकरार रखा हुआ है
वहीं दूसरी तरफ एचएसबीसी ने होल्ड रेटिंग के साथ इसका टारगेट प्राइस बढ़ाकर ₹49 कर दिया है। ब्रोकरेज फर्म का कहना है कि कई बार चूकने के बाद अब जून तिमाही में ग्रास मार्जिन में मजबूत उछाल ने पॉजिटिव तरीके से चौंकाया है। हालांकि सेल मैन्युफैक्चरिंग बिजनेस को पीएलआई बेनेफिट्स नहीं मिलने के चलते लॉन्ग टर्म मार्जिन पर दबाव दिख सकता है। ओला इलेक्ट्रिक को कवर करने वाले आठ एनालिस्ट्स में से तीन ने खरीदारी, दो ने होल्ड और तीन ने सेल रेटिंग दी हुई है।
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