Pearl Global Industries Stock Price: रेडीमेड गारमेंट्स की मैन्युफैक्चरर और एक्सपोर्टर पर्ल ग्लोबल इंडस्ट्रीज लिमिटेड के शेयरों में शुक्रवार, 4 अप्रैल को 18% की गिरावट आई। दिन में शेयर BSE पर 20 प्रतिशत तक टूट गया था और 1,009.95 रुपये पर लोअर प्राइस बैंड को टच कर गया था। लेकिन सर्किट नहीं लगा। इससे पहले गुरुवार को शेयर 7 प्रतिशत लुढ़का था। इस तरह पिछले दो दिनों में पर्ल ग्लोबल इंडस्ट्रीज लिमिटेड का शेयर 25 प्रतिशत की मार झेल चुका है।
शेयर में आई गिरावट की अहम वजह अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से घोषित किए गए रेसिप्रोकल टैरिफ हैं। अमेरिका ने भारत के साथ-साथ चीन, बांग्लादेश वियतनाम और इंडोनेशिया जैसे कई अन्य देशों से अमेरिका में आने वाले सामानों पर इन टैरिफ को लगाया है। भारत से अमेरिका में आने वाले सामानों पर 26 प्रतिशत का टैरिफ लगाया गया है। वहीं बांग्लादेश पर 37 प्रतिशत, चीन पर 54 प्रतिशत (नया 34 प्रतिशत+इस साल पहले लगाए जा चुके 20 प्रतिशत), वियतनाम पर 46 प्रतिशत और थाइलैंड पर 36 प्रतिशत का टैरिफ लगाया गया है।
अमेरिका टैरिफ से कैसे प्रभावित है Pearl Global Industries
भारत के मुकाबले चीन, बांग्लादेश, वियतनाम, इंडोनेशिया पर ज्यादा टैरिफ के चलते गोकलदास एक्सपोर्ट्स, वर्धमान टेक्सटाइल्स, KPR मिल जैसी टेक्सटाइल कंपनियों के शेयरों में तो तेजी दिखी। लेकिन पर्ल ग्लोबल इंडस्ट्रीज के शेयर को भारी गिरावट झेलनी पड़ रही है। इसकी वजह है कि कंपनी की भारत में 7 फैक्ट्री हैं। वहीं बांग्लादेश में 9, वियतनाम में 5 और इंडोनेशिया में 2 फैक्ट्री हैं। ब्रोकरेज फर्म प्रभुदास लीलाधर ने अपने नोट में लिखा कि बांग्लादेश और वियतनाम में मैन्युफैक्चरिंग प्रेजेंस को देखते हुए पर्ल ग्लोबल पर निगेटिव इंपैक्ट पड़ता दिख रहा है।
अमेरिका पर्ल ग्लोबल इंडस्ट्रीज के लिए सबसे बड़ा बाजार है। कंपनी का 60% से अधिक बिजेनस अमेरिका से ही है। दिसंबर 2024 तिमाही के आखिर तक पर्ल ग्लोबल इंडस्ट्रीज में प्रमोटर्स के पास 62.82% हिस्सेदारी थी। म्यूचुअल फंड्स की कंपनी में 10.59% हिस्सेदारी थी, जिसमें टाटा मल्टीकैप फंड, एचएसबीसी एमएफ, आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल एमएफ और एचडीएफसी एमएफ शामिल हैं। विदेशी संस्थानों में, गोल्डमैन सैक्स की कंपनी में 2.77% हिस्सेदारी है। निवेशक मुकुल अग्रवाल की भी कंपनी में 2.61% हिस्सेदारी है।