आज युवा लीक पर चलने की जगह अपना रास्ता खुद बनाना पसंद करते हैं। हम बात कर रहे हैं प्रफुल कुलकर्णी (Praful Kulkarni) की। कर्नाटक के दावणगेरे के रहने वाले कुलकर्णी ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई के बाद चार साल तक एक PSU में नौकरी की। फिर वह शेयर ट्रेडिंग की दुनिया में आ गए। अपनी स्ट्रेटेजी के साथ वह यूट्यूब चैनल पर लाइव ट्रेड करते हैं। यह चीज उन्हें दूसरे ट्रेडर्स से अलग करती है। मनीकंट्रोल ने ट्रेडिंग के उनके सफर के बारे में जानने के लिए बातचीत की। उनके ट्रेडिंग स्टाइल के बारे में सवाल पूछे। यह भी पूछा कि वे स्टॉक मार्केट्स की दुनिया में किस तरह आ गए।
चार साल काम करने के बाद नौकरी छोड़ने का फैसला
कुलकर्णी ने बताया कि इंजीनियरिंग की पढ़ाई के बाद उन्होंने चार साल तक बतौर अफसर एक पीएसयू में काम किया। साथ काम करने वाले एक साथी की मदद से उन्हें फाइनेंशियल मार्केट्स के कॉन्सेप्ट को समझने का मौका मिला। 2019 में उन्होंने नौकरी छोड़ने का फैसला किया। शुरुआत में कई गलतियां की। उसके बाद धीरे-धीरे मुझे ट्रेडिंग की बारीकियां समझ में आने लगीं। कई स्ट्रेटेजी को आजमाने का बाद मैंने अपने लिए एक स्ट्रेटेजी का चुनाव किया।
पॉजिशनल शॉर्ट वॉलैटिलिटी ट्रेडिंग में मिली सफलता
स्ट्रेटेजी के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि शुरुआत में मेरा फोकस निफ्टी इंडेक्स पर था। कोविड के दौरान VIX 80 पर पहुंच गया। ऐसे में हाई प्रीमियम की वजह से पॉजिशनल शॉर्ट वॉलैटिलिटी ट्रेडिंग में काफी सफलता मिली। पूरे 2020 के दौरान ऑप्शन चेन के अंदर ऑप्शंस को बेचने की मेरी स्ट्रेटेजी फायदेमंद साबित हुई। ज्यादा लॉस के बगैर अपने पॉजिशंस से मैंने ओवरनाइट बड़े रिटर्न कमाएं।
एक्सपायरी की तारीख के नजदीक ट्रेडिंग
उन्होंने कहा कि पॉजिशनल शॉर्ट वॉलैटिलिटी ट्रेडिंग से फायदा घटने पर मैं उसी एप्रोच के साथ इंट्रा-डे ट्रेडिंग में आ गया। उसके बाद मैंने एक्सपायरी की तारीख के नजदीक ट्रेड करना शुरू किया। 2022 में FinNifty Index शुरू होने के बाद मेरे लिए मौके और बढ़ गए। अब पांच एक्सपायरी डेट्स उपलब्ध होने से मैं आम तौर पर एक्सपायरी से एक दिन पहले (1DTE) या एक्सपायरी के दिन (0DTE) ट्रेड करना पसंद करता हूं।
कॉल और पुट के बीच बैलेंस के लिए डेल्टा हेजिंग
ट्रेड के टूल के बारे में पूछने पर कुलकर्णी ने कहा कि वह ज्यादातर सूचकांकों पर शॉर्ट वॉलैटिलिटी ट्रेडिंग करते हैं। इसे शॉर्ट गामा ट्रेडिंग भी कहा जा सकता है। मेरी स्ट्रेटेजी प्रीमियम लेवल और पिछले दिन की ट्रेडिंग रेंज के आधार पर नॉन-डायरेक्शनल ट्रेड्स करने पर होती है। मार्केट मूवमेंट्स के आधार पर मैं कॉल और पुट के बीच बैलेंस बनाए रखने के लिए डेल्टा हेजिंग से अपने पॉजिशन को एडजस्ट करते रहता हूं।
उन्होंने इसे एक उदाहरण की मदद से बताया। उन्होंने कहा कि अगर निफ्टी एक्सपायरी के दिन 22,100 पर खुलता है तो मैं 15 रुपये पर 22,000 का एक ऑप्शन और 22,000 रुपये का एक पुट ऑप्शन शॉर्ट कर सकता हूं। यह काम मैं 9:20 बजे सुबह करता हूं। इस तरह मैं एक शॉर्ट स्ट्रैंगल बनाता हूं। कभी-कभी यह स्ट्रेटेजी शॉर्ट स्ट्रैडल बन जाती है। मेरा मकसद डेल्टा हेजिंग से रिस्क को कम से कम करना होता है। खासकर तब जब मार्केट में लगातार उतार-चढ़ाव होता है।
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