प्रमोटर्स ने ही बेचे शेयर! करीब 600 कंपनियों में घटा दी हिस्सेदारी, निवेशकों के लिए खतरे की घंटी?
शेयर बाजार में अक्टूबर महीने की शुरुआत से ही भारी उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है। हालांकि इससे ठीक पहले सितंबर तिमाही में करीब 600 कंपनियों (सटीक रूप से 597) के मालिकों यानी प्रमोटरों ने अपनी कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी घटा दी थी। कंपनियों के सितंबर तिमाही के शेयरहोल्डिंग आंकड़ों से यह जानकारी मिली है। वहीं दूसरी ओर महज 210 कंपनियां ऐसी रही, जिनमें प्रमोटरों ने सितंबर तिमाही के दौरान अपनी हिस्सेदारी बढ़ाई है
करीब 2500 कंपनियों के प्रमोटर हिस्सेदारी में कोई बदलाव नहीं हुआ
Promoter Stakes: शेयर बाजार में अक्टूबर महीने की शुरुआत से ही भारी उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है। हालांकि इससे ठीक पहले सितंबर तिमाही में करीब 600 कंपनियों (सटीक रूप से 597) के मालिकों यानी प्रमोटरों ने अपनी कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी घटा दी थी। कंपनियों के सितंबर तिमाही के शेयरहोल्डिंग आंकड़ों से यह जानकारी मिली है। वहीं दूसरी ओर महज 210 कंपनियां ऐसी रही, जिनमें प्रमोटरों ने सितंबर तिमाही के दौरान अपनी हिस्सेदारी बढ़ाई है।
Ace Equities के जुटाए आंकड़ों के मुताबिक, 3300 से ज्यादा कंपनियों ने अपने सितंबर तिमाही के शेयरहोल्डिंग डेटा जारी कर दिए हैं। इनमें से करीब 2500 कंपनियों के प्रमोटर हिस्सेदारी में कोई बदलाव नहीं हुआ।
एक्सपर्ट्स का मानना है कि प्रमोटर्स की हिस्सेदारी में गिरावट का मुख्य कारण शेयरों का ऊंचा वैल्यूएशन है। जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज (Geojit Financial Services) के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर सतीश मेनन ने बताया कि प्रमोटर्स के हिस्सेदारी बेचने के पीछे कई कारण हो सकते हैं। उन्होंने, "प्रमोटर अपनी कंपनियों में हिस्सेदारी कई कारणों से बेच सकते हैं, इसमें पर्सनल फाइनेंशियल वजह से लेकर बिजनेस से जुड़े रणनीतिक कदम तक शामिल हैं।"
उन्होंने कहा कि आमतौर पर प्रमोटर्स कर्ज को चुकाने, कॉम्पिटीशन में बने रहने, वेल्थ के डायवर्सिफिकेशन या किसी दूसरे वेंचर को फंडिंग मुहैया कराने के लिए भी हिस्सेदारी बेचते हैं।
मेनन का मानना है कि इन बिक्री को चिंता का कारण नहीं माना जाना चाहिए। उन्होंने कहा, "जब तक यह बिक्री मजबूत वैल्यूएशन और बिजनेस फंडामेंटल्स के साथ हो रही है, तब तक इसे एक स्वस्थ कंपनी के संकेत के रूप में देखा जा सकता है और इससे निवेशकों को चिंता नहीं होनी चाहिए।"
असित सी मेहता में इंस्टीट्यूशन रिसर्च के हेड, सिद्धार्थ भामरे ने भी इससे सहमति जताई और कहा कि मौजूदा वैल्यूएशन स्तर एक मोटिवेशन के रूप में काम कर रहा है। उन्होंने कहा, "बाजार काफी प्रीमियम वैल्यूएशन पर कारोबार कर रहे हैं और यही कारण है कि प्रमोटरों को अपनी हिस्सेदारी कम करना आसान लग रहा है।"
सितंबर तिमाही के दौरान जिन बड़ी कंपनियों में प्रमोटर की हिस्सेदारी घटी है उनमें टाटा मोटर्स, प्रेस्टीज एस्टेट प्रोजेक्ट्स, अदाणी एनर्जी सॉल्यूशंस, इंटरग्लोब एविएशन और स्पाइसजेट शामिल हैं।
Tradejini के सीओओ, ट्रिवेश डी मानना है कि कई बार प्रमोटर्स बाजार के ऊंचे वैल्यूएशन को देखते हुए अपने रिटर्न को भुनाने के लिए हिस्सेदारी बेचते हैं, जो शॉर्ट-टर्म में उतार-चढ़ाव का कारण बन सकता है।
इन कंपनियों की प्रमोटर्स हिस्सेदारी में आई सबसे अधिक गिरावट-
निवेशकों के लिए सतर्कता जरूरी
एक्सपर्ट्स का कहना है कि निवेशकों को प्रमोटर्स की हिस्सेदारी बिक्री के पीछे के कारणों पर ध्यान देना चाहिए। अगर प्रमोटर पूंजी जुटाने के लिए हिस्सेदारी बेचते हैं ताकि बिजनेस में विस्तार किया जा सकते या कर्ज को घटाया जा सके, तो यह अच्छा संकेत हो सकता है। लेकिन अगर वे व्यक्तिगत उद्देश्यों के लिए बेचते हैं, तो यह निवेशकों के लिए नकारात्मक संकेत हो सकता है।
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