Railway Stocks: रेलवे से जुड़े शेयरों में पिछले सप्ताह जबरदस्त तेजी देखी गई। यह इस सेक्टर में नए सिरे से निवेशकों की बढ़ती उम्मीदों की ओर संकेत देता है। हालांकि हालिया तेजी के बाद अब कुछ मार्केट पार्टिसिपेंट्स को चिंता है कि रेलवे स्टॉक ओवरबॉट जोन में चले गए हैं, यानी भारी खरीदारी के चलते अब ये अपने फेयर वैल्यू से ऊपर कारोबार कर रहे हैं। वहीं बाकी का कहना है कि इन शेयरों का फंडामेंटल्स मजबूत है, जिसमें और तेजी की संभावना जताता है।
रेल विकास निगम लिमिटेड (RVNL), टीटागढ़ रेल सिस्टम्स (Titagarh Rail Systems), जूपिटर वैगन्स (Jupiter Wagons), टेक्समैको रेल एंड इंजीनियरिंग (Texmaco Rail and Engineering), आईआरसीटीसी (IRCTC), रेलटेल कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (Railtel Corporation of India) और रिट्स (RITES) के शेयरों में पिछले एक हफ्ते में 5 से 24 फीसदी का उछाल आया है।
टेक्निकल चार्टिस्टों का मानना है कि इनमें से कई रेलवे स्टॉक ओवरबॉट जोन में हैं। हालांकि फंडामेंटल्स एनालिस्ट्स का मानना है कि इनमें से अधिकतर स्टॉक काफी समय से आगे नहीं बढ़ रहे थे, यही कारण है कि इनकी वैल्यू लंबे समय तक दबी हुई था। इसके अलावा, बाजार में यह भी चर्चा है कि इस सेक्टर में आने वाले दिनों में मर्जर देखने को मिल सकते हैं। अगर ऐसा हुआ तो इन रेलवे कंपनियों की लागत में कमी आएगी और इनकी दक्षता बढ़ेगी।
मार्केट पार्टिसिपेंट्स ने यह भी नोट किया है कि रेलवे सेक्टर में पैसा लगातार आ रहा है क्योंकि निवेशकों को इस सेक्टर में अहम वैल्यू मिलना जारी है।
इस साल 1 अप्रैल से 31 अगस्त तक, भारतीय रेलवे ने अपने कैपिटल एक्सपेंडिचर का करीब 48 फीसदी इस्तेमाल किया है, जो इसका उच्चतम स्तर है। अगस्त 2023 तक यानी मौजूदा वित्त वर्ष के पहले पांच महीनों में रेलवे ने 1,15,000 करोड़ रुपये खर्च किए।
मनीकंट्रोल ने हाल ही में बताया कि भारत सरकार रेलवे सेक्टर के लिए एक प्रोडक्शन-लिंक्ड इनसेंटिव (PLI) प्रोग्राम बनाने में लगी है। इस PLI स्कीम को खासतौर से लिंके हॉफमैन बुश (LHB) और वंदे भारत ट्रेन सेटों के लिए डिजाइन किए गए पहियों, ब्रेक और ट्रांसमिशन सिस्टम के देश में ही उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए तैयार किया जा रहा है।
भारतीय रेलवे विशेष रूप से लिंके हॉफमैन बुश (LHB) और वंदे भारत ट्रेन सेटों के लिए डिजाइन किए गए पहियों, ब्रेक और ट्रांसमिशन सिस्टम के घरेलू उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए सक्रिय रूप से प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) कार्यक्रम विकसित कर रहा है। PLI स्कीम का संभावित बजट 800-1,200 करोड़ रुपये के बीच हो सकता है और स्कीम की अवधि 3 सालों के लिए होगी।
एक अधिकारी ने मनीकंट्रोल को बताया कि सरकार को जो पिछला आकलन है, उसके मुताबिक पहियों, एक्सल और ब्रेकिंग सिस्टम के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए करीब 200-300 करोड़ रुपये की जरूरत होगी। वहीं लोकोमोटिव और ट्रैक मशीनों के निर्माण को बढ़ावा देने के लिए भी सरकार को 200-300 करोड़ रुपये खर्च करने पड़ेंगे।
भारतीय रेलवे के कैपटिल एक्सपेंडिचर को सरकार से सपोर्ट मिल रहा है। वित्त वर्ष 2024 में इसके लिए 2.4 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। यह इसके पिछले साल की तुलना में 65.6 प्रतिशत अधिक है। इसके तहत सुरक्षा पर विशेष जोर देने के अलावा रेल ट्रैक, वैगन, ट्रेन, विद्युतीकरण, सिग्नलिंग और स्टेशन सुविधाओं सहित रेलवे से जुड़े विभिन्न इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स पर पैसे खर्च किया जा रहा है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी को अपने बजट भाषण में इस ऐतिहासिक आवंटन की घोषणा की, जिसमें बताया गया कि यह 2013 में आवंटित आवंटन से नौ गुना अधिक है।