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Rajputana IPO Listing: कबाड़ से मेटल प्रोडक्ट बनाने वाली राजपूताना की धांसू लिस्टिंग, पहले ही दिन पैसे डबल

Rajputana IPO Listing: राजपूताना इंडस्ट्रीज खुले बाजारों से मेटल के कबाड़ खरीदती है और फिर इससे एलुमिनियम, तांबा या पीतल के बिलेट्स बनाती है। खुदरा निवेशकों के दम पर इसके आईपीओ को निवेशकों का जबरदस्त रिस्पांस मिला था। आईपीओ के तहत सिर्फ नए शेयर जारी हुए हैं। चेक करें कंपनी की कारोबार सेहत कैसी है और आईपीओ के जरिए जुटाए गए पैसों का इस्तेमाल कंपनी कैसे करेगी?

अपडेटेड Aug 06, 2024 पर 3:50 PM
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Rajputana IPO Listing: राजपूताना का ₹23.88 करोड़ का आईपीओ सब्सक्रिप्शन के लिए 30 जुलाई से 1 अगस्त तक खुला था। आज इसके शेयरों की लिस्टिंग हुई है।

Rajputana IPO Listing: कबाड़ से मेटल बिलेट्स बनाने वाली राजपूताना इंडस्ट्रीज (Rajputana Industries) के शेयरों की आज NSE के SME प्लेटफॉर्म पर धांसू एंट्री हुई। खुदरा निवेशकों के दम पर इसके आईपीओ को ओवरऑल 376 गुना से अधिक बोली मिली थी। आईपीओ के तहत 38 रुपये के भाव पर शेयर जारी हुए हैं। आज NSE SME पर इसकी 72.20 रुपये पर एंट्री हुई है यानी कि आईपीओ निवेशकों को 90 फीसदी का लिस्टिंग गेन (Rajputana Listing Gain) मिला। लिस्टिंग के बाद शेयर और ऊपर चढ़े। उछलकर यह 75.80 रुपये (Rajputana Share Price) के अपर सर्किट पर पहुंच गया और इसी पर बंद भी हुआ यानी कि पहले कारोबारी दिन की समाप्ति पर आईपीओ निवेशक 99.47 फीसदी मुनाफे में हैं।

Rajputana IPO को मिला था तगड़ा रिस्पांस

राजपूताना का ₹23.88 करोड़ का आईपीओ सब्सक्रिप्शन के लिए 30 जुलाई से 1 अगस्त तक खुला था। खुदरा निवेशकों के दम पर इस आईपीओ को निवेशकों का अच्छा रिस्पांस मिला था और ओवरऑल यह 376.41 गुना सब्सक्राइब हुआ था। इसमें क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल बायर्स (QIB) के लिए आरक्षित हिस्सा 177.94 गुना, नॉन-इंस्टीट्यूशनल इनवेस्टर्स (NII) का हिस्सा 417.95 गुना और खुदरा निवेशकों का हिस्सा 524.61 गुना और एंप्लॉयीज का हिस्सा 2.80 गुना भरा था। इस आईपीओ के तहत 10 रुपये की फेस वैल्यू वाले 62.85 लाख नए शेयर जारी हुए हैं। इन शेयरों के जरिए जुटाए गए पैसों का इस्तेमाल कंपनी वर्किंग कैपिटल की जरूरतों को पूरा करने, ग्रिड सोलर पावर जेनेरेटिंग सिस्टम की खरीदारी और आम कॉरपोरेट उद्देश्यों में करेगी।


Rajputana Industries के बारे में

वर्ष 2011 में बनी राजपूताना इंडस्ट्रीज खुले बाजारों से मेटल के कबाड़ खरीदती है और फिर इससे एलुमिनियम, तांबा या पीतल के बिलेट्स बनाती है। इसकी मैनुफैक्चरिंग फैसिलिटी राजस्थान के सीकर में है। कंपनी इन बिलेट्स की बिक्री या तो कई मैनुफैक्चरिंग कंपनियों को करती है या इनका इस्तेमाल कॉपर रॉड, एलुमिनियम रॉड, कॉपर मदर ट्यूब, पीतल के वायर इत्यादि को बनाने में होता है। अब यह प्रोडक्ट पोर्टफोलियो को और बढ़ा रही है और इसके लिए यह कंस्ट्रक्शन इंडस्ट्री में इस्तेमाल होने वाले केबल और मोटर के अंडरवाटर केबल बनाएगी।

कंपनी के वित्तीय सेहत की बात करें तो इसकी सेहत लगातार मजबूत हुई है। वित्त वर्ष 2022 में इसे 2.64 करोड़ रुपये का शुद्ध मुनाफा हुआ था जो अगले वित्त वर्ष 2023 में उछलकर 3.10 करोड़ रुपये और वित्त वर्ष 2024 में 5.13 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। इस दौरान कंपनी का रेवेन्यू सालाना 15 फीसदी से अधिक की चक्रवृद्धि दर (CAGR) से बढ़कर 327.01 करोड़ रुपये पर पहुंच गया।

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