Rakesh Jhunjhunwala के देहांत से शेयर बाजार एक तरह से सूना हो गया है। ऐसा कोई नहीं नजर आता जो उनकी जगह ले सके। कई लोग उन्हें 'बिग बुल' कहते थे तो कई उन्हें इंडिया का वॉरेन बफे बताते थे। सच में वह बहुत बड़े बुल थे। इंडिया की ग्रोथ स्टोरी पर वह हमेशा भरोसा करते थे। इंडियन स्टॉक मार्केट के फ्यूचर को लेकर वह बहुत उत्साहित रहते थे।
बड़ी से बड़ी गिरावट के दौरान भी RJ के उत्साह में कमी नहीं आई। शेयरों में निवेश से कई लोगों ने अकूत दौलत कमाई है। लेकिन, जैसी छवि RJ की थी, वैसी किसी दूसरे की नहीं है। एक तरह से वह इंडियन स्टॉक मार्केट के पर्याय बन चुके थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इंडियन ग्रोथ स्टोरी में RJ के भरोसे के कायल थे।
मशहूर इनवेस्टर विजय केडिया का कहना है कि RJ और किसी दूसरे बुल के बीच बहुत बड़ा फर्क है। किसी जमाने में हर्षद मेहता को बिग बुल कहा जाता था। लेकिन, उनके दामन पर लगे धब्बों ने उनकी छवि खराब कर दी थीं।
बाजार के ज्यादातर एक्सपर्ट्स का कहना है कि आज इंडियन मार्केट में RJ की जगह लेने वाला कोई नजर नहीं आता। RPG Group के चेयरमैन हर्ष गोयनका ने इकोनॉमिक टाइम्स में RJ के बारे में एक लेख लिखा है। इसमें उन्होंने बताया है कि इंडियन ग्रोथ स्टोरी पर RJ कितना ज्यादा भरोसा करते थे।
गोयनका ने लिखा है वह सुबह की सूरज की तरह थे। हर वक्त गर्माहट और उत्साह से भरपूर। जिस तरह सूरज की चमक हर घंटे बढ़ती जाती है, उसी तरह RJ की गर्मजोशी और उत्साह बढ़ते जाता था। RJ गोयनका के पड़ोसी थे।
कोटक महिंद्रा बैंक के प्रमुख उदय कोटक ने कहा है कि फाइनेंशियल मार्केट की RJ की समझ गजब की थी। यह सही है क्योंकि जब हर दूसरे एक्सपर्ट्स इंडियन मार्केट को महंगा बताते थे तब भी RJ का मानना था कि इंडियन मार्केट अंडरवैल्यूड है।
मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के एमडी मोतीलाल ओसवाल का मानना है कि RJ सबसे बड़े बुल थे। इंडियन स्टॉक मार्केट को ऊंचाई पर पहुंचाने में उनका बड़ा योगदान रहा। उन्हें देखकर, उनसे प्रेरित होकर लाखों लोगों ने शेयरों में पैसा लगाना शुरू किया था। ओसवाल बताते हैं कि RJ जब भी मिलते तो मैं पूछता-क्या लगता है? उनका एक ही जवाब होता-तेजी, तेजी, तेजी।
RJ को बिग बुल कहने की कई वजहे हैं। उनके पोर्टफोलियो के कई शेयरों ने हैरतअंगेज रिटर्न दिए। टाइटन का शेयर उन्होंने 40 रुपये के भाव पर 2003 में खरीदा था। आज इस शेयर का भाव 2500 रुपये है। बिग बुल को यह समझ थी कि इंडिया किस दिशा में जाने वाला है। उसी हिसाब से वह निवेश के लिए शेयरों का चुनाव करते थे।