गोल्ड, शेयर और बिटकॉइन: निखिल कामत के साथ इंटरव्यू में अरबपति निवेशक रे डैलियो ने बताए निवेश के ये 6 मंत्र

दुनिया के सबसे मशहूर और सफल निवेशकों में शुमार रे डैलियो (Ray Dalio) ने निवेश की दुनिया में अपने लंबे और उतार-चढ़ाव भरे सफर, अपनी सोच और रणनीतियों पर Zerodha के को-फाउंडर निखिल कामत से खुलकर बातचीत की है। डैलियो हाल ही में निखिल कामत के पॉडकास्ट शो 'WTF' के एक हालिया एपिसोड में नजर आए।

अपडेटेड Dec 23, 2025 पर 11:06 AM
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Ray Dalio ने माना कि बिटकॉइन की सप्लाई सीमित है और इसे भी वेल्थ के तौर पर देखा जा रहा है

दुनिया के सबसे मशहूर और सफल निवेशकों में शुमार रे डैलियो (Ray Dalio) ने निवेश की दुनिया में अपने लंबे और उतार-चढ़ाव भरे सफर, अपनी सोच और रणनीतियों पर Zerodha के को-फाउंडर निखिल कामत से खुलकर बातचीत की है। डैलियो हाल ही में निखिल कामत के पॉडकास्ट शो 'WTF' के एक हालिया एपिसोड में नजर आए।

75 वर्षीय अरबपति निवेशक ने इस बातचीत में बताया कि कैसे 12 साल की उम्र में गोल्फ कोर्स में कैडी का काम करते हुए उन्होंने शेयर बाजार में कदम रखा और कैसे वही अनुभव आगे चलकर उनके इनवेस्टमेंट स्टाइल की नींव बना। 2008 के वित्तीय संकट की सटीक भविष्यवाणी करने वाले डैलियो ने इनवेस्टमेंट, गोल्ड, पोर्टफोलियो बनाने के तरीके और बिटकॉइन पर कई अहम बातें शेयर कीं।

खेल में उतरना सबसे पहला सबक

रे डैलियो ने बताया कि वह एक गोल्फ कोर्स में कैडी थे और प्रति बैग उन्हें 6 डॉलर मिलते थे। जब उन्होंने 50 डॉलर बचाए, तो उसे शेयर बाजार में लगा दिया। उस समय, स्टॉक मार्केट में बूम था। उन्होंने कहा कि उन्होंने उस कंपनी में निवेश किया, जिसका शेयर 5 डॉलर से भी कम में मिल रहा था और जो दिवालिया होने वाली थी। लेकिन बाद में उस कंपनी का अधिग्रहण हो गया और शेयर तीन गुना हो गया।


डैलियो के मुताबिक, यहीं से उन्हें लगा कि शेयर बाजार “आसान” है। हालांकि बाद में समझ आया कि यह आसान नहीं है। लेकिन उसी उम्र में वह बाजार के “खेल” में उतर गए। उनका कहना है कि निवेश सीखने का सबसे अच्छा तरीका है नियम बनाना, उन्हें लिखना और यह देखना कि वे अतीत में कैसे काम करते।

डैलियो ने कहा कि मैंने इन्वेस्ट करना इसलिए सीखा क्योंकि मैंने फैसला लेने के लिए क्राइटेरिया लिख ​​लिए थे। फिर मैं देखता था कि पहले यह कैसे काम करता था। जब नियम बन जाते हैं है, तो आपको पता होता है कि यह हर समय कैसे काम करता है। अब आप बस उस डिसीजन रूल को खेल रहे हैं, और इससे मदद मिलती है। एक बार जब आप गेम खेलना शुरू कर देते हैं, तो आप गेम की बेसिक बातें सीखना शुरू कर देंगे। इसलिए जब आप इसे खेल रहे होते हैं, तो आप अपने अनुभवों और अपने विचारों और दूसरे लोगों की मदद से सीखेंगे।

एसेट्स की वैल्यू कैसे तय होती है?

रे डैलियो के अनुसार, किसी भी एसेट की कीमत दो चीजों से तय होती है। उसकी कीमत में बढ़ोतरी और उससे मिलने वाली आय यानी यील्ड (yield)। इन दोनों को मिलाकर ही कुल रिटर्न बनता है। उन्होंने कहा कि वह सभी एसेट्स की तुलना इसी आधार पर करते हैं और उनका मकसद उन एसेट्स से दूर रहना होता है जिनसे कम रिटर्न मिलने की उम्मीद हो, जबकि ज्यादा रिटर्न वाले एसेट्स में पोजिशन लेना होता है। इसके लिए लगातार कैलकुलेशन और तुलना जरूरी है।

सोना क्यों है सबसे अलग एसेट

डैलियो ने सोने को लेकर कहा कि इतिहास में सोना सबसे ज्यादा स्वीकार की गई “मनी” रहा है। सोना ऐसा एसेट है, जिसे रखने के लिए किसी तीसरे पक्ष पर निर्भर नहीं रहना पड़ता। उनके मुताबिक, बाकी सभी तरह की करेंसी किसी न किसी संस्था या सरकार के वादे पर आधारित होती हैं, जबकि सोना अपने आप में मूल्य रखता है। इसे न तो छापा जा सकता है और न ही इसकी सप्लाई मनचाहे तरीके से बढ़ाई जा सकती है। यही वजह है कि सोना आज भी दुनिया भर में वेल्थ का भरोसेमंद स्टोरेज माना जाता है।

सोने पर कोई इंटरेस्ट रेट नहीं होता

रे डैलियो ने कहा कि सोने की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इस पर कोई ब्याज नहीं मिलता। इतिहास में कई बार ऐसा हुआ है कि जब सोने के बड़ी भंडार की खोज हुई है, तो उसकी कीमत पर असर पड़ा, क्योंकि उसकी मात्रा बढ़ गई। धीरे-धीरे सोना मुद्रा के रूप में कम इस्तेमाल होने लगा और उसकी जगह बॉन्ड्स जैसे साधन लोकप्रिय हो गए। जब भी ऐसी मुद्रा (फिएट मनी) होती है, जिसे आसानी से छापा या बनाया जा सकता है, तो उस पर ब्याज देने का लालच आ जाता है।

डैलियो ने कहा कि इतिहास में बार-बार ऐसा हुआ कि लोगों को यह भरोसा दिलाया गया कि अगर वे “सोना पाने के वादे” को रखें, तो उन्हें ब्याज भी मिलेगा और जरूरत पड़ने पर सोना भी मिल जाएगा। यही वह जाल था, जिसमें निवेशक फंसते रहे।

क्या आज पोर्टफोलियो में सोना जोड़ना चाहिए?

सोने की हालिया तेजी पर सवाल पूछे जाने पर डैलियो ने साफ कहा कि निवेशकों को मार्केट टाइमिंग के बारे में सोचना बंद करना चाहिए। उन्होंने कहा, "अगर आप आज से अपना इनवेस्टमेंट पोर्टफोलियो बनाना चाहते हैं, तो सबसे पहले यह सोचना बंद करें कि सोने के दाम पहले कितना बढ़ चुके हैं या आगे क्या होंगे। असली सवाल यह होना चाहिए कि आपको अपने पोर्टफोलियो में कितना सोना रखना चाहिए, न कि सही समय का इंतज़ार करना। इसलिए जवाब है-हां, आज से शुरुआत करनी चाहिए।"

उन्होंने कहा कि सोने की कीमतों की चिंता करने के बजाय यह तय करें कि आपके कुल निवेश का कितना हिस्सा सोने में होना चाहिए। अगर पोर्टफोलियो को सही तरीके से संतुलित किया जाए, तो सोना सालाना करीब 1.2% का रियल रिटर्न देता है। भले ही यह रिटर्न ज्यादा न हो, लेकिन जब बाकी निवेश खराब प्रदर्शन करते हैं, तब सोना अक्सर अच्छा करता है। इसी वजह से यह एक बेहतरीन डायवर्सिफायर है। उनके अनुसार, एक संतुलित पोर्टफोलियो में सोने का हिस्सा आमतौर पर 5 से 15 प्रतिशत के बीच होना चाहिए।

बिटकॉइन बनाम सोना: डैलियो किसे मानते हैं बेहतर

रे डैलियो ने माना कि बिटकॉइन की सप्लाई सीमित है और इसे भी वेल्थ के तौर पर देखा जा रहा है। हालांकि सेंट्रल बैंक और ऐसी दूसरी संस्थाए इसे शायद ही होल्ड करके रखेंगी क्योंकि कई समस्याओं से घिरा है। उन्होंने कहा कि बिटकॉइन के सभी लेन-देन ट्रैक किए जा सकते हैं। सरकारें मॉनिटर कर सकती हैं कि ट्रांजैक्शन क्या हैं, और सरकारें उन ट्रांजैक्शन में दखल दे सकती हैं। वहीं सोना इकलौता ऐसा एसेट हैं, जिसे आप कंट्रोल नहीं कर सकते; बिटकॉइन के साथ ऐसा नहीं है। इसके अलावा, तकनीकी जोखिम और सिस्टम से जुड़े खतरे भी बने रहते हैं। डैलियो ने यह जरूर स्वीकार किया कि उनके पास थोड़ी मात्रा में बिटकॉइन है, लेकिन उनके लिए यह सोने जितना आकर्षक नहीं है।

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