RBI Monetary Policy : आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने 8 फरवरी को मॉनीटरी पॉलिसी की घोषणा करते हुए कहा कि गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFCs) के वित्तीय मापदंडों में बैंकों की तरह ही सुधार हो रहा है। दास ने कहा, "वित्तीय संस्थानों की सुरक्षा के लिए सुशासन, मजबूत सिस्टम, मजबूत कम्प्लायंस संस्कृति और ग्राहकों के हितों की सुरक्षा सर्वोपरि है।"
इससे पहले, 22 नवंबर को शक्तिकांत दास ने कहा था कि बैंकों और एनबीएफसी को अपने लेखे पर उभरते तनाव के प्रति सतर्क रहने की जरूरत है। इंडस्ट्री बॉडी फिक्की और भारतीय बैंक संघ द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते हुए दास ने बैंकों और एनबीएफसी से अपने बही-खातों का स्ट्रेस टेस्ट जारी रखने को कहा था। दास ने कहा, "बैंकों और एनबीएफसी को अपने बही-खातों का स्ट्रेस टेस्ट करते रहना चाहिए। फिलहाल अभी चिंता की कोई बात नहीं है।"
शक्तिकांत दास ने आगे कहा, "वास्तव में, रियल सेक्टर की कंपनियों के लिए भी अपने कारोबार और बैलेंस शीट का स्ट्रेस टेस्ट करने पर जोर देने का एक मजबूत मामला बनता है। उनमें से कई पहले से ही ऐसा कर रही होंगी, लेकिन सही यही होगा कि दूसरी तमाम कंपनियां भी ऐसा ही करें।"
आज भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (RBI MPC) ने नीतिगत रेपो दर को 6.5 फीसदी पर ही बरकरार रखने का निर्णय लिया है। 6 सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति ने वित्त वर्ष 2024 की अपनी आखिरी बैठक में रेपो दर को 6.50 फीसदी पर बनाए रखने के लिए 5:1 बहुमत से मतदान किया। खुदरा महंगाई अपने 4 फीसदी के लक्ष्य से ऊपर बनी हुई है। ऐसे में आरबीआई ने दरों में बदलाव न करने का निर्णय लिया है।
एमपीसी ने 6 में से 5 सदस्यों के बहुमत से "एकोमोडेशन वापस लेने" पर फोकस करने का निर्णय लिया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि ग्रोथ को सपोर्ट करते हुए महंगाई धीरे-धीरे अपने लक्ष्य के करीब आए।