RBI MPC meet: 8 जून को रियल एस्टेट शेयरों मुनाफावसूली देखने को मिली। हालांकि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने उम्मीद के मुताबिक ही रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है। बता दें कि रेपो रेट वह ब्याज दर है जिस पर आरबीआई कमर्शियल बैंकों को पैसा उधार देता है। बैंकों की तरफ से दिए जाने वाले अधिकांश कर्ज प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से रेपो दर पर ही आधारित होते हैं। ऐसें में इसमें होने वाले किसी बदलाव से उधार लेने वालों द्वारा बैकों को चुकाई जाने वाली ईएमआई पर प्रभाव पड़ता है। आज के कारोबारी सत्र में निफ्टी रियल्टी इंडेक्स में 1.58 फीसदी तक की गिरावट देखने को मिली। मैक्रोटेक डेवलपर्स, ब्रिगेड एंटरप्राइजेज, गोदरेज प्रॉपर्टीज और डीएलएफ आज की गिरावट के सबसे बड़े शिकार बने। ये भी बताते चलें कि ये स्टॉक पिछले कुछ हफ्तों में आउटपरफॉर्मर रहे हैं, जिसका मतलब है कि आज ऊपरी स्तरों से बिकवाली आई है।
इंडस्ट्री आरबीआई के फैसले से खुश
आज के कारोबार में रियल एस्टेट शेयरों मुनाफावसूली के बावजूद एनालिस्ट परेशान नहीं हैं। मानते हैं कि चूंकि मांग में मजबूत बनी हुई है। ऐसे में स्थितियां रियल एस्टेट सेक्टर के लिए अनुकूल हैं। आरबीआई की तरफ से कुछ सावधानी बरती गई है। क्योंकि पिछली बढ़ोतरी का असर अभी पूरी तरह से देखने को नहीं मिला है।
एनारॉक ग्रुप के चेयरमैन अनुज पुरी का कहना है कि दरों में बढ़त पर रोक जारी रहने से निकट भविष्य में होम लोन लेने की चाहत रखने वाले संभावित होमबॉयर्स को कुछ राहत मिली है। रेपो दर में कोई बढ़त न होने से घरों की बिक्री में गति बनाए रखने में मदद मिल सकती है।
एनारॉक रिसर्च के मुताबिक 2023 की पहली तिमाही में घरों की बिक्री ने नई ऊंचाई हासिल की है। देश के सात सबसे बड़े शहरों में 1 लाख यूनिट की बिक्री का आंकड़ा पार कर लिया है। 2023 की पहली तिमाही में देश के सात सबसे बड़े शहरों में 1.4 लाख घरों की बिक्री हुई है।
इसी तरह एंजेल वन लिमिटेड के प्रमुख सलाहकार, अमर देव सिंह का कहना है कि कुल मिलाकर होम लोन और रियल एस्टेट सेक्टर के लिए दर का न बढ़ना एक सकारात्मक निर्णय है।
इस साल निफ्टी रियल्टी में अब तक 14 फीसदी क बढ़त देखने को मिली है। जबकि इसी अवधि के दौरान निफ्टी में सिर्फ 3 फीसदी की बढ़त देखने को मिली है। रिकॉर्ड प्री-सेल बुकिंग और कमोडिटी की कीमतों में गिरावट के कारण निफ्टी रियल्टी आउटपरफॉर्म किया है। इससे आगे रियल एस्टेट शेयरों के मार्जिन में सुधार की उम्मीद है।
लेंडिंग रेट पर रेपो दर में अब तक हुई बढ़ोतरी का पूरा असर आना बाकी
नाइट फ्रैंक इंडिया के शिशिर बैजल का कहना है कि पिछले एक साल में बेस लेंडिंग रेट (MCLR) में 150 बीपीएस की बढ़ोतरी के बावजूद हाउसिंग और कमर्शियल दोनों सेगमेंट से रियल एस्टेट लोन की मांग में मजबूत बनी हुई है। हालांकि अब सतर्क रहने की जरूरत है क्योंकि लेंडिंग रेट पर रेपो दर में अब तक हुई बढ़ोतरी का पूरा असर अभी आना बाकी है।
वित्त वर्ष 2024 की पहली तिमाही से दरों में कटौती मुमकिन
एक निवेश परामर्श फर्म मिलवुड केन इंटरनेशनल के संस्थापक और सीईओ निश भट्ट का कहना है कि नीति दरों में कोई बदलाव न होना केंद्रीय बैंक के लचीलेपन को इंगित करता है। ब्याज दरों के मौजूदा स्तरों से ऊपर जाने की उम्मीद नहीं है। वित्त वर्ष 2024 में महंगाई दर के 6 फीसदी से काफी कम रहने की उम्मीद है। ऐसे में आरबीआई वित्त वर्ष 2024 की पहली तिमाही से अपनी नीति दरों में कटौती शुरू कर सकता है।