अनसेक्योर्ड लोन की तेज ग्रोथ का असर One97 Communications के स्टॉक्स पर पड़ा है। यह कंपनी Paytm ब्रांड नाम से फाइनेंशियल सर्विसेज देती है। यह कंपनी स्टॉक मार्केट में नवंबर 2021 में लिस्ट हुई थी। इसका इश्यू प्राइस 2,150 रुपये था। शेयर का प्राइस नवंबर 2022 में गिरकर 472 रुपये पर आ गया था। इससे इसकी मार्केट वैल्यू 1,00,000 करोड़ से ज्यादा घट गई थी। पिछले कुछ समय से कंपनी के प्रदर्शन में सुधार दिखा है। पिछली चार तिमाहियों से कंपनी लगातार ऑपरेटिंग प्रॉफिट (ESOP कॉस्ट छोड़कर) कमा रही है। इसमें लेंडिंग वर्टिकल में शानदार ग्रोथ का बड़ा हाथ है। इसके स्टॉक की कीमत नवंबर में 470 रुपये से 875 रुपये पर आ गई है। लेकिन, सेक्योर्ड लोन पर RBI के रिस्क वेटेज बढ़ा देने से पेटीएम की ग्रोथ पर फिर से काले बादल दिख रहे हैं। सवाल है कि क्या केंद्रीय बैंक के इस कदम से पेटीएम के लिए आगे का रास्ता मुश्किल हो जाएगा? इस सवाल का जवाब जानने के लिए हमें पेटीएम के सफर को समझना होगा। अभी यह Bajaj Finance के बाद अनसेक्योर्ड क्रेडिड कस्टमर्स के लिए दूसरा सबसे बड़ा एक्विजिशन प्लेटफॉर्म है।
यूनिक यूजर्स की संख्या में उछाल
पिछले दो सालों में पेटीएम के पर्सनल लोन ऑफरिंग, मर्चेंट लोन वर्टिकल और पेटीएम पोस्टपेड की ग्रोथ काफी अच्छी रही है। चूंकि, पेटीएम के पास सीधे लोन देने का लाइंसेस नहीं है, जिससे ये लोन पेटीएम के प्लेटफॉर्म पर पार्टनर्स के जरिए दिए जाते हैं। इस फाइनेंशियल ईयर की दूसरी तिमाही में पेटीएम ने टाटा कैपिटल से समझौता किया था। इससे इसके एनबीएफसी पार्टनर्स की संख्या बढ़कर 9 हो गई है। पेटीएम प्लेटफॉर्म के जरिए लोन लेने वाले यूनिक यूजर्स की संख्या सितंबर में 1.18 करोड़ पहुंच गई। इस प्लेटफॉर्म के जरिए दिए गए कुल लोन की वैल्यू इस वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में 16,211 करोड़ रुपये थी। पिछले वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में यह सिर्फ 1,257 करोड़ रुपये थी। इस वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में दिए गए करीब 56 फीसदी लोन बाय नाउ पे लेटर कैटेगरी के लोन थे। ये पेटीएम के पोस्टपेड कस्टमर्स को दिए गए।
फाइनेंशियल सर्विसेज की अच्छी ग्रोथ
इस वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में पेटीएम के रेवेन्यू में फाइनेंशियल सर्विसेज की हिस्सेदारी 23 फीसदी थी। यह पिछले वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में 18 फीसदी के मुकाबले अच्छी ग्रोथ कही जाएगी। FY21 में यह हिस्सेदारी सिर्फ 3.8 फीसदी थी। इससे यह पता चलता है कि पेटीएम की फाइनेंशियल सर्विसेज की ग्रोथ अच्छी है। इस साल सितंबर में पेटीएम के प्लेटफॉर्म के जरिए दिए गए लोन में कमी देखने को मिली। यह RBI के अनसेक्योर्ड लोन पर रिस्क वेटेज बढ़ाने से पहले की बात है। इससे पता चलता है कि पेटीएम का लेंडिंग बिजनेस बैंक और एनबीएफसी की ग्रोथ पर निर्भर है।
यूपीआई की शुरुआत से लगा था झटका
RBI के रिस्क वेटेज के नए नियम लागू होने के बाद से संभावना है कि बैंक और एनबीएफसी कंज्म्पशन के लिए लोन देने में सख्ती बरतेंगे। इसका असर पेटीएम पर पड़ेगा। उसके लोन डिस्बर्सल में कमी आ सकती है। इसका असर पार्टनर बैंकों से उसे मिलने वाली फीस पर पड़ेगा। यह पहली बार नहीं है जब पेटीएम के सामने प्रॉब्लम आई है। इससे पहले UPI की शुरुआत से इसके वॉलेट बिजनेस को बड़ा झटका लगा था। ऐसे में कंपनी के लिए सिर्फ लेंडिंग वर्टिकल पर निर्भर रहने की बजाय नए प्रोडक्ट/स्ट्रेटेजी पर काम करना होगा।
बड़े इनवेस्टर्स ने बेची है हिस्सेदारी
पेटीएम अपने बिजनेस मॉडल के तहत कंज्यूमर्स और मर्चेंट्स को पेमेंट सॉल्यूशंस ऑफर करती है। यह ज्यादा मार्जिन वाली फाइनेंशियल सर्विसेज के साथ उन्हें क्लाउड सर्विसेज ऑफर करती है। ऐसे में वैल्यूएशन के लिहाज से कंपनी का लेंडिंग बिजनेस बहुत अहम हो जाता है। पेमेंट बिजनेस पेटीएम के लिए सबसे अहम है, लेकिन इसे सपोर्ट करने में लेंडिंग बिजनेस की अहम भूमिका है। ऐसे में RBI का हालिया कदम पेटीएम की ग्रोथ के लिए ठीक नहीं है। हाल में Berkshire Hathaway ने पेटीएम में अपनी पूरी 2.5 फीसदी हिस्सेदारी बेच दी है। पांच साल तक हिस्सेदारी बनाए रखने के बाद उसने इसे लॉस पर बेचा है।
ग्रोथ के लिए रास्ता आसान नहीं
पेटीएम की वैल्यूएशन अब पहले के मुकाबले सही लेवल पर दिख रही है। यह FY25 में इसके रेवेन्यू का 5.5 गुना है। IPO आने के वक्त यह वन ईयर फॉरवर्ड का 13.4 गुना था। इसके बावजूद पेटीएम के स्टॉक में ज्यादा उछाल की उम्मीद नहीं दिखती, क्योंकि कंपनी के रास्ते में कई चुनौतियां हैं। इसके अलावा कुछ बड़े इनवेस्टर्स के हिस्सेदारी बेचने का असर भी इस पर पड़ सकता है। हालांकि, MSCI में शामिल होने से इसके स्टॉक की कीमतों को कुछ सपोर्ट मिलेगा। हमें इस स्टॉक का प्रदर्शन कमजोर रहने की उम्मीद है। इसलिए इनवेस्टर्स को सावधान रहने की जरूरत है।