भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने फरवरी की रिव्यू मीटिंग में रेपो रेट को 0.25 प्रतिशत घटाकर 6.25 प्रतिशत कर दिया। आर्थिक वृद्धि को गति देने के मकसद से यह फैसला किया गया। केंद्रीय बैंक ने लगभग 5 साल बाद रेपो रेट में कटौती की है। इससे ऑटोमोबाइल, रियल एस्टेट और कंज्यूमर ड्यूरेबल्स जैसे सेक्टर्स को खपत में बढ़ोतरी की मदद से बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। ये सेक्टर उच्च महंगाई के दबाव के बीच मांग संबंधी चिंताओं से जूझ रहे हैं।
आनंद राठी के रिसर्च हेड नरेंद्र सोलंकी का कहना है कि वोल्टास और हैवेल्स जैसी कंपनियों सहित कंज्यूमर ड्यरेबल्स जैसे सेक्टर्स को फायदा होने की उम्मीद है। इसकी वजह है कि वित्तीय लागत में कमी आएगी और घरेलू सामानों की बिक्री में वृद्धि होगी।
टैक्स रिलीफ से हाउसहोल्ड कंजंप्शन के मजबूत रहने की उम्मीद
नए RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने मौद्रिक नीति समिति के फैसले बताते हुए कहा, "आगे, स्वस्थ रबी फसल की संभावनाओं और औद्योगिक गतिविधि में अपेक्षित सुधार से वित्त वर्ष 2025-26 में आर्थिक विकास को सपोर्ट मिलना चाहिए। डिमांड साइड के प्रमुख ड्राइवर्स में, हाउसहोल्ड कंजंप्शन के केंद्रीय बजट 2025-26 में मिले टैक्स रिलीफ की मदद से मजबूत रहने की उम्मीद है।"
RBI गवर्नर ने आगे कहा कि ग्रामीण मांग में तेजी का रुख है, जबकि शहरी मांग मिश्रित है। रोजगार की स्थिति में सुधार, टैक्स में छूट, महंगाई में कमी आदि घरेलू खपत के लिए अच्छे संकेत हैं।
बजट में क्या टैक्स रिलीफ मिला
रेपो रेट में कटौती का कदम बजट में खपत को बढ़ावा देने के लिए उठाए गए कदमों को मजबूती देगा। सरकार ने बजट 2025 में नई आयकर व्यवस्था के तहत 12 लाख रुपये तक की सालाना टैक्सेबल इनकम को टैक्स फ्री बना दिया है। ऐसा रिबेट की मदद से किया जा सकेगा। बेसिक टैक्स एग्जेंप्शन लिमिट को बढ़ाकर 4 लाख रुपये कर दिया गया है। इसके अलावा टैक्स स्लैब में भी बदलाव किए गए हैं। सीनियर सिटीजन के लिए ब्याज आय के मामले में टैक्स से छूट की लिमिट को बढ़ाकर 1 लाख रुपये कर दिया गया है।