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RBI ने दो तरीकों से बैंकों में लिक्विडिटी बढ़ाने का किया फैसला, क्या 6 मार्च को बैंकिंग स्टॉक्स को लगने वाले हैं पंख

RBI उभरती हुई लिक्विडिटी कंडीशंस और मार्केट कंडीशंस की निगरानी करना जारी रखेगा। साथ ही व्यवस्थित लिक्विडिटी कंडीशंस सुनिश्चित करने के लिए उचित उपाय करेगा। इससे पहले RBI ने 28 फरवरी को 10 अरब डॉलर वैल्यू की डॉलर-रुपया अदला-बदली के लिए नीलामी आयोजित की थी। इस नीलामी का सेटलमेंट 4 मार्च और 6 मार्च को तय किया गया

Edited By: Ritika Singhअपडेटेड Mar 05, 2025 पर 10:59 PM
RBI ने दो तरीकों से बैंकों में लिक्विडिटी बढ़ाने का किया फैसला, क्या 6 मार्च को बैंकिंग स्टॉक्स को लगने वाले हैं पंख
भारतीय रिजर्व बैंक ने कहा है कि हर काम के लिए डिटेल में निर्देश अलग से जारी किए जाएंगे।

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने ओपन मार्केट ऑपरेशंस (OMO) खरीद और डॉलर/रुपया बाय/सेल स्वैप ऑक्शंस के जरिए बैंकिंग सिस्टम में लिक्विडिटी बढ़ाने का फैसला किया है। RBI ने कहा कि वर्तमान और उभरती हुई लिक्विडिटी कंडीशंस का रिव्यू करने के बाद, केंद्रीय बैंक ने बैंकिंग सिस्टम में लिक्विडिटी बढ़ाने के लिए उपाय करने का फैसला किया है। एक बयान में कहा कि दो बराबर की किश्तों (50000-50000 करोड़) में भारत सरकार की सिक्योरिटीज की OMO खरीद नीलामी की जाएगी, जिसकी कुल राशि 1 लाख करोड़ रुपये है।

पहली किश्त के तहत खरीद 12 मार्च, 2025 को और दूसरी किश्त के तहत खरीद 18 मार्च, 2025 को आयोजित की जाएगी। इसके अलावा 24 मार्च, 2025 को 36 महीने की अवधि के लिए 10 अरब अमेरिकी डॉलर की डॉलर/रुपया खरीद/बिक्री स्वैप नीलामी आयोजित की जाएगी। डॉलर/रुपया बाय/सेल स्वैप में केंद्रीय बैंक भारतीय रुपये के बदले बैंकों से डॉलर खरीदता है और तुरंत बैंकों के साथ विपरीत सौदा करता है। इस सौदे में बाद की तारीख में डॉलर बेचने का वादा किया जाता है।

इसके उलट डॉलर/रुपया बिक्री/खरीद स्वैप में रिजर्व बैंक रुपये के बदले डॉलर बेचता है और कुछ वर्षों के बाद बैंकों से डॉलर खरीदने का वादा करता है। फॉरेक्स स्वैप लिक्विडिटी मैनेजमेंट में मदद करते हैं। यह कदम सीमित तरीके से करेंसी रेट्स को कंट्रोल में रखने में भी मदद करता है।

लिक्विडिटी कंडीशंस और मार्केट कंडीशंस पर लगातार रहेगी नजर

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