नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक देश के सबसे निजी बैंक एचडीएफसी बैंक के निराशाजनक नतीजों के बाद विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने जनवरी में भारतीय फाइनेंशिय कंपनियों में रिकॉर्ड मात्रा में बिक्री की है। बता दें कि इसी सेक्टर में उनकी सबसे बड़ी हिस्सेदारी भी है। फाइनेंशियल सेक्टर में लगभग 300 अरब रुपये की मासिक बिक्री ने जनवरी में भारतीय इक्विटी में एफपीआई की खरीदारी का सिलसिला रोक दिया है।
अगले कुछ महीनों में फिर होगी एफपीआई की वापसी
दिसंबर में रिकॉर्ड मासिक खरीदारी के बाद एफपीआई ने जनवरी में 257.44 अरब रुपये (3.10 अरब डॉलर) के शेयर बेचे। क्वांटम सिक्योरिटीज के निदेशक नीरज दीवान ने कहा “हम जनवरी में एफपीआई की बिकवाली को एक अस्थायी झटके के रूप में देखते हैं। अगले कुछ महीनों में वे संभवत: नेट बायर बन जाएंगे।''
जनवरी में भारतीय फाइनेंशियल सेक्टर के शेयरों में 4.61% की गिरावट
एफपीआई की बिकवाली से जनवरी में भारतीय फाइनेंशियल सेक्टर के शेयरों में 4.61 फीसदी और निफ्टी 50 इंडेक्स में 0.03 फीसदी की गिरावट आई है। एफपीआई नवंबर में नेट बायर बन गए थे और अमेरिका में दरों में जल्द कटौती की उम्मीद के चलते दिसंबर में मासिक खरीदारी रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई थी। नवंबर में 5.52 फीसदी की बढ़त और दिसंबर में 7.94 फीसदी की बढ़त के साथ निफ्टी 50 ने जुलाई 2022 के बाद से सबसे बेहतर मासिक बढ़त के साथ साल 2023 की क्लोजिंग की थी।
अगली दो तिमाहियों में आईटी सेक्टर में बढ़ेगा एफपीआई निवेश
विलियम ओ'नील (William O’Neil) के मयूरेश जोशी ने कहा, "हालांकि अमेरिका में दरों में कटौती की शुरुआत में देरी हो सकती है, अमेरिकी श्रम बाजार की मजबूती और महंगाई में नरमी ने इस धारणा को मजबूत किया है कि वहां सॉफ्ट लैंडिंग होगी। अगर मांग में सुधार उम्मीद के मुताबिक होता है तो आईटी सेक्टर में एफपीआई निवेश अगली दो तिमाहियों में और बढ़ना चाहिए"।
जनवरी में आईटी शेयरों में एफपीआई की तरफ से 44.85 अरब रुपये की खरीदारी देखने को मिली जो प्रमुख सेक्टरों में सबसे ज्यादा है। कमजोर नतीजों के बावजूद नकदी की उपलब्धता में बढ़त के कारण आईटी इंडेक्स में जनवरी महीने के दौरान 3.16 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।
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