लगातार चौथे कारोबारी दिन बीएसई स्मॉलकैप इंडेक्स में गिरावट का दबाव रहा। घरेलू इक्विटी बेंचमार्क इंडेक्स बीएसई सेंसेक्स (BSE Sensex) और निफ्टी 50 (Nifty 50) लगभग फ्लैट हैं लेकिन लगातार पांचवे महीने ये निगेटिव रिटर्न देने की कगार पर हैं। बीएसई स्मॉलकैप (BSE SmallCap) इंडेक्स की बात करें तो फिलहाल यह 1.84 फीसदी कमजोर दिख रहा है जबकि बीएसई मिडकैप (BSE MidCap) 0.97 फीसदी कमजोर है। वैसे फरवरी स्मॉलकैप्स को लेकर कमजोर रहा है और पिछले 17 वर्षों में से 12 वर्ष स्मॉलकैप इंडेक्स कमजोर हुआ है। इस साल भी फरवरी में बीएसई स्मॉलकैप इंडेक्स के करीब 12 फीसदी कमजोर होने का संकेत मिल रहा है।
मार्केट पर अमेरिकी राष्ट्रपति की टैरिफ पॉलिसी, विदेशी निवेशकों की बिकवाली और जियोपॉलिटिकल टेंशन के चलते दबाव बना है। इसके अलावा मिड और स्मॉलकैप सेगमेंट के ओवरवैल्यूएशन ने भी बिकवाली बढ़ाई है।
इन शेयरों ने बनाया BSE Smallcap और Midcap पर दबाव
बीएसई स्मॉलकैप पर आज आरसिस्टम्स (-6.98%), आईनॉक्स विंड (-6.85%), प्रीकैम (-6.63%), ईएमबीडीएल (-6.38%), और जेबीएमए (-6.36%) ने तगड़ा दबाव बना। वहीं दूसरी तरफ सांधवी मूवर्स (+5.40%), स्टर्लिंग टूल्स (+5.37%), और एमपीएस (+4.47%) ने इसे संभालने की कोशिश की। अब बीएसई मिडकैप इंडेक्स की बात करें तो सुजलॉन एनर्जी (-4.18%), रेल विकास (-3.93%), और डिक्सन टेक (-3.20%) ने इस पर दबाव बनाया जबकि एयू स्मॉल फाइनेंस बैंक (+6.08%), एलएंडटी फाइनेंस (+9.75%), और मुथूट फाइनेंस (+3.52%) इसे ऊपर लाने की कोशिश में हैं।
क्या कहना है एक्सपर्ट्स का?
बैंक ऑफ अमेरिका सिक्योरिटीज में प्रमुख (इंडिया) अमीश शाह स्मॉलकैप को लेकर काफी चिंति हैं। उनका कहना है कि पिछले कुछ महीनों से गिरावट के बावजूद मिड और स्मॉलकैप स्टॉक अभी भी ओवरवैल्यूड हैं। एक और ब्रोकरेज फर्म कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज का कहना है कि लॉर्जकैप में अब सीमित रेंज में उतार-चढ़ाव दिख सकता है जबकि मिड और स्मॉलकैप स्पेस में कुछ ऐसे स्टॉक्स जो फंडामेंटल्स नहीं बल्कि बुलिश माहौल में ऊपर चढ़ गए थे, उनमें तेज गिरावट दिख सकती है।
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