RIL Q1 preview: बाजार जानकारों का कहना है कि कन्ज्यूमर ग्रोथ में मजबूती के बावजूद वित्त वर्ष 2023-24 की पहली तिमाही में रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) की कमाई में सुस्ती रहने की उम्मीद है। इस अवधि में कंपनी के ऑयल-टू-केमिकल (O2C)कारोबार में गिरावट से कन्ज्यूमर ग्रोथ से होने वाला फायदा सीमित हो जाएगा। बता दें की कंपनी 21 जुलाई को अपने जून तिमाही के नतीजे जारी करने वाली है। इन नतीजों से पहले 19 जून को बीएसई पर आरआईएल का स्टॉक 52-सप्ताह के उच्चतम स्तर 2,855.00 रुपये प्रति शेयर पर पहुंच गया था। इस दिन कंपनी की फाइनेंशियल शाखा के डिमर्जर के चलते शेयरों में तेजी आई थी। वहीं, 20 जुलाई को भी ये शेयर 1.2 फीसदी की बढ़त लेकर 2619.80 रुपये पर बंद हुआ था।
क्या कहता है ब्लूमबर्ग सर्वे?
14 ब्रोकरेज के बीच कराए गए ब्लूमबर्ग के सर्वे से निकलकर आया है कि 30 जून 2023 को खत्म हुई पहली तिमाही में रिलायंस समूह की कंसोलीडेटेड नेट सेल्स 2.14 लाख करोड़ रुपये के आसपास रह सकती है। इस सर्वे में शामिल सात ब्रोकरेज के मुताबिक इस अवधि में कंपनी का नेट प्रॉफिट 16995.50 करोड़ रुपये पर रहने का अनुमान है।
एमके रिसर्च (Emkay Research) ने निवेशकों के लिए जारी अपने एक नोट में कहा है कि 30 जून को खत्म हुई पहली तिमाही में रिलायंस इंडस्ट्रीज का एबिटडा तिमाही-दर-तिमाही आधार पर 1 फीसदी बढ़कर 38800 करोड़ रुपये पर रह सकता है। वहीं, कंपनी के ऑयल-टू-केमिकल (O2C)कारोबार का एबिटडा 4 फीसदी घटकर 15600 करोड़ रुपये पर आ सकता है। पेट्रोकेम मार्जिन में सुधार से इसको कुछ सपोर्ट मिलेगा। जून तिमाही में रिलायंस जियो के साथ 65 लाख नए ग्राहक जुड़ने की संभावना है। वहीं, रिलायंस जियो की प्रति उपभोक्ता औसत आय (ARPU)1 फीसदी की बढ़त के साथ 180 रुपए पर आ सकती है।
एमके रिसर्च के मुताबिक जून तिमाही में रिलायंस के रिटेल कारोबार का एबिटडा तिमाही आधार पर 2 फीसदी बढ़कर 5000 करोड़ रुपये रह सकता है। जबकि अपस्ट्रीम EBITDA काफी हद तक सपाट रह सकता है। एमके रिसर्च अनुमान है कि JPL-RRVL MI के बाद कंपनी का कंसोलीडेटेड एडजस्टेड PAT 14 फीसदी घटकर 16500 करोड़ रुपये पर रह सकता है।
ग्रॉस रिफाइनिंग मार्जिन में गिरावट का अनुमान
हालांकि आरआईएल ग्रॉस रिफाइनिंग मार्जिन (GRMs)की रिपोर्ट अलग से नहीं जारी करता है, लेकिन बाजार जानकारों को उम्मीद है कि जून तिमाही में कंपनी की जीआरएम 11 डॉलर प्रति बैरल पर रहा सकता है जो वित्त वर्ष 2022-23 की चौथी तिमाही में 13 डॉलर प्रति बैरल पर रहा था। बेंचमार्क सिंगापुर जीआरएम में आई गिरावट को ध्यान में रखते हुए ये अनुमान लगाया गया है। बता दें कि सिंगापुर जीआरएम में कमजोर मांग के कारण साल-दर-साल आधार पर 70 फीसदी से ज्यादा और तिमाही आधार पर करीब 50 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है।
पेट्रोकेमिकल EBIT सपाट रहने की उम्मीद
एनालिस्ट्स का अनुमान है कि बाजार में सीमित प्राइसिंग पावर के कारण कंपनी के पेट्रोकेमिकल EBIT (ब्याज और करों से पहले की कमाई) में तिमाही आधार पर कोई बदलाव होने की उम्मीद नहीं है। ज्यादा सप्लाई और कम मांग इस स्थिति के लिए जिम्मेदार हैं। कंपनी तेल और गैस कारोबार में के रेवेन्यू में तिमाही आधार पर 1.6 फीसदी की बढ़त हो सकती है। वहीं, इसकी EBIT के स्थिर रहने की उम्मीद है।
ब्रोकरेज फर्म जेपी मॉर्गन का अनुमान है कि रिलायंस जियो के ग्राहकों में 30 जून 2023 को खत्म हुई पहली तिमाही में भी बढ़त देखने को मिल सकती है। इसके अलावा पहली तिमाही में कंपनी के ARPU में भी हल्की बढ़त देखने को मिल सकती है। इसी तरह रिलायंस रिटेल की कमाई में साल-दर-साल आधार पर 25 फीसदी की बढ़त देखने को मिल सकती है। जेपी मॉर्गन का यह भी अनुमान है कि रिलायंस रिटेल की रेवेन्यू ग्रोथ इस इंडस्ट्री के उसके दूसरे प्रतिद्वंदियों की तुलना में ज्यादा रहेगी।
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