JP Morgan में इमर्जिंग मार्केट इकोनॉमिक्स के हेड जहांगीर अजीज ने भविष्य में इंडियन गवर्नमेंट बॉन्ड्स के दूसरे ग्लोबल बॉन्ड इंडेक्स का हिस्सा बनने की उम्मीद जताई है। जेपी मॉर्गन ने भारत सरकार के बॉन्ड्स को गवर्नमेंस बॉन्ड इंडेक्स-इमर्जिंग मार्केट्स (GBI-EM) का हिस्सा बनाने का फैसला किया है। यह फैसला जून 2024 से लागू हो जाएगा। इससे गवर्नमेंट बॉन्ड्स की मांग बढ़ जाएगी। अजीज ने मनीकंट्रोल को दिए इंटरव्यू में कहा कि अगर अगले कुछ महीनों में कुछ दूसरे ग्लोबल बॉन्ड्स सूचकांक इंडियन गवर्नमेंट बॉन्ड्स को अपना हिस्सा बनाने का ऐलान करते हैं तो मुझे आश्चर्य नहीं होगा। जेपी मॉर्गन चेज एंड कंपनी ने 22 सितंबर को कहा था कि वह अपने GBI-EM ग्लोबल इंडेक्स में भारत सरकार के बॉन्ड्स को शामिल करेगी। इस इंडेक्स में इंडियन बॉन्ड्स का वेटेज धीरे-धीरे बढ़ेगा। मार्च 2025 तक यह 10 फीसदी तक हो जाएगा।
इन ग्लोबल इंडेक्स में भारतीय बॉन्ड्स शामिल हो सकते हैं
उन्होंने कहा कि जेपी मॉर्गन का GBI-EM विदेशी निवेशकों के लिए एक प्रमुख बॉन्ड इंडेक्स है। अगर एक बार कोई बॉन्ड इस इंडेक्स का हिस्सा बन जाता है तो उसके लिए बड़ी बाधा खत्म हो जाती है। उसके लिए दुनिया के दूसरे प्रमुख बॉन्ड सूचकांकों का हिस्सा बनना आसान हो जाता है। अगर इंडियन बॉन्ड्स दूसरे ग्लोबल बॉन्ड इंडेक्स के हिस्सा बन जाते हैं तो अरबों डॉलर का इनवेस्टमेंट उनमें होगा। फिलहाल, FTSE Russell ने अपने बॉन्ड इंडेक्स में इंडियन बॉन्ड के शामिल करने के प्लान को रोक दिया है। लेकिन, उम्मीद है कि Bloomberg Global Aggregate Index इंडियन बॉन्ड्स को अपना हिस्सा बना सकता है।
अमेरिकी फंड मैनेजर्स ने भी दिखाई दिलचस्पी
सितंबर में मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया था कि अमेरिकी फंड मैनेजर्स ब्लूमबर्ग इंडेक्स में इंडियन बॉन्ड्स को शामिल करने के पक्ष में हैं। खबरों में यह भी कहा गया था कि सेटलमेंट के लिहाज से इंडिया के डोमेस्टिक डिलीवरी एंड पेमेंट सिस्टम और यूरोक्लियर के सेटलमेंट में किसी तरह की दिक्कत नहीं आएगी। इससे पहले भारत सरकार ने अपने बॉन्ड्स को Euroclear के विदेशी बॉन्ड प्लेटफॉर्म पर लिस्ट कराने के लिए बातचीत की थी। लेकिन, बेल्जियम के इस प्लेटफॉर्म ने कैपिटस गेंस पर टैक्स लगाने का प्रस्ताव का विरोध किया। इसकी वजह यह थी कि उसके सिस्टम को कैपिटल गेंस के कैलकुलेशन में दिक्कत आ सकती थी।